कोटा ब्यूरो रिपोर्ट। 

शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमाें काे लेकर सरकार ने नीति बदली है। अब सामान्य काॅलेज से भी बीएड व एमएड की जा सकेगी। वे समकक्ष आईटीईपी (इंटरग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्राेग्राम) शुरू कर सकते हैं। हालांकि, ऐसा वे काॅलेज ही कर सकेंगे जहां कला और विज्ञान संकाय संचालित है। काॅलेज स्वयं इसके लिए आवेदन करेंगे, जिस पर राज्य सरकार एनओसी जारी करेगी। इसके बाद एनसीटीई दिल्ली से मंजूरी ले सकेंगे। काॅलेजाें काे एनआेसी के लिए 30 जून तक का समय दिया है।

टीचर ट्रेनिंग प्राेग्राम से पहले नैक जरूरीसरकार काॅलेजाें काे टीचर ट्रेनिंग प्राेग्राम शुरू करने के लिए शिथिलता दे रही है, लेकिन अभी यह आसान नहीं हाेगा। इस प्राेग्राम के पहले नैक की मान्यता लेना अनिवार्य है। वर्तमान में अधिकांश काॅलेजाें के पास ‘नैक’ की मान्यता नहीं है। नई मान्यता के लिए करीब 6 महीने लगेंगे। क्योंकि, इसके लिए लंबी तैयारियां करनी हाेती है। हालांकि, अगले साल से अधिकांश काॅलेजाें में बीएड-एमएड की शुरुआत हाे सकती है।

काॅलेज की आर्थिक स्थिति मजबूत हाेगी: काॅलेजाें में यह अच्छी शुरूआत है। काफी काॅलेज ऐसे हैं जाे पात्रता रखते हैं। वे इसके लिए आवेदन करेंगे। इससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हाेंगे। क्याेंकि। टीचर प्राेग्राम में हर स्टूडेंट से सालाना फीस 30 हजार रुपए तक हाेती है। यह काॅलेजाें में ही रहती है। अभी तक किसी भी सरकारी काॅलेज में आईटीपी प्राेग्राम संचालित नहीं था। -डाॅ. संजय भार्गव, प्राचार्य, जेडीबी काॅलेज

दाखिला प्रदेशस्तरीय प्रवेश परीक्षा से ही: काॅलेज शिक्षा के सहायक निदेशक डाॅ. रघुराजसिंह परिहार का कहना है कि नई नीति पर प्रक्रिया चल रही है। काेई भी विश्वविद्यालय सीधे बीएड या आइटीपी प्राेग्राम संचालित नहीं कर सकेंगे। राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा से दाखिले हाेंगे।

वर्तमान में इनके लिए पीटीईटी परीक्षा हाेती है। इससे ही इन काॅलेजाें में दाखिले हाेंगे। हालांकि, कुछ विश्वविद्यालय अपने स्तर पर परीक्षा करवाते हैं। प्रदेश में वर्तमान में 1897 निजी और 545 सरकारी काॅलेज हैं। इनमें दस फीसदी काॅलेज मेें कला और विज्ञान संकाय संचालित है। ये इसके लिए पात्र होंगे।