जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट  

शहर के पीआरएन (पृथ्वीराज नगर) योजना में सोसायटी पट्टों पर बिजली कनेक्शन जारी नहीं करने से जुड़े मामले में राज्य सरकार व जेवीवीएनएल ने बुधवार को हाईकोर्ट में कहा कि पीआरएन में सोसायटी पट्टों पर मकान बनाने वाले कब्जाधारक की श्रेणी में ही आते हैं। सुनवाई के दौरान राज्य के एएजी आरपी सिंह व जेवीवीएनएल के अधिवक्ता बिपिन गुप्ता ने कहा कि यदि कोई कब्जाधारक है तो उसे विद्युत अधिनियम की धारा 43 के तहत बिजली कनेक्शन दिया जा सकता है।

पीआरएन में भी सोसायटी पट्टाधारक कब्जेदार हैं, जिन्हें विद्युत अधिनियम के प्रावधानुासार बिजली कनेक्शन मुहैया कराया जा सकता है। राज्य सरकार व जेवीवीएनएल की दलील सुनने के बाद जस्टिस समीर जैन ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या किसी पार्क में निर्मित धार्मिक स्थल के लिए बिजली कनेक्शन जारी किया जा सकता है, क्योंकि वह भी कब्जाधारी की श्रेणी में ही आता है। इस पर एएजी ने कहा कि वैध कब्जाधारी और अवैध कब्जाधारी की स्थिति में अंतर होता है। वहीं प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने कहा कि उन्होंने सोसायटी पट्टों के जरिए पीआरएन में जमीन खरीद कर मकान बनाए थे। वे विद्युत अधिनियम की धारा 43 के तहत कब्जाधारी की परिभाषा में आते हैं।

इसके अलावा किसी भी न्यायालय का आदेश यदि नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ होगा तो वह लागू नहीं किया जाएगा। ऐसे में हाईकोर्ट का 5 जुलाई 2013 का सोसायटी पट्टों पर बिजली कनेक्शन नहीं देने का आदेश विद्युत अधिनियम की धारा 43 का उल्लंघन है। इसलिए पीआरएन में सोसायटी पट्टों पर भी बिजली कनेक्शन दिए जाएं। अदालत ने मामले से जुड़े पक्षकारों की बहस पूरी होने के बाद मामले में फैसला बाद में देना तय किया। अदालत ने यह निर्देश अनंत कासलीवाल व अन्य की याचिका पर दिया।