जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 
भगवान विष्णु के अवतार कहे जाने वाले नरसिंह अवतार का प्राकट्य उत्सव गुरुवार को धूमधाम से मनाया गया। शहर के कई मंदिरों से भगवान नरसिंह अवतार खंभ फाड़कर प्रकट हुए और भक्तों को दर्शन दिया गुलाबी नगरी के ताडकेश्वर मंदिर, जाट के कुए का रास्ता स्थित नरसिंह मंदिर, खजाने वालों का रास्ता स्थित नरसिंह मंदिर और नींदड़ राव जी का रास्ता स्थित नरसिंह मंदिर सहित कई मंदिरों में भगवान नरसिंह अवतार की झांकी सजाई गई। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को उसके पिता और दैत्यराज हिरण्यकश्यपु से बचाने के लिए अवतार धारण किया था।  हिरण्यकश्यप  को यह वरदान प्राप्त था कि वह ना नर से  मरेगा ना जानवर से, ना दिन में मरेगा ना रात को, ना बाहर मरेगा ना भीतर और ना आकाश मे मरेगा ना धरती पर। इस वरदान की प्राप्ति के बाद हिरण्यकश्यपु ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया था। उसी के निवारण के लिए भगवान विष्णु ने यह नर और सिंह को मिलाकर नरसिंह अवतार धारण किया और दैत्यराज को उसी के वरदान की परिधि के बाहर रहते हुए मार दिया था।    वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार हुआ और उसी के बाद से ही हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष इस दिन भगवान नरसिंह की झांकी सजाई जाती है।