जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

जनता के कार्यों में गड़बड़ी व मिलीभगत को लेकर तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों के खिलाफ राजस्व विभाग, रेवेन्यू बोर्ड व जिला प्रशासनों को पिछले एक साल में 1450 शिकायतें मिली हैं। पांच साल में 22 तहसीलदारों व नायब के अलावा 188 पटवारी घूस लेते रंगेहाथ पकड़े गए हैं।

प्रदेश के 1793 तहसीलदारों व नायब में से हर पांचवां जांच के दायरे में है। रेवेन्यू विभाग के 34 अफसर-कार्मिक तो ऐसे हैं, जिनके खिलाफ विभागाध्यक्षों ने अभियोजन स्वीकृति ही नहीं दी। जबकि ये रंगेहाथ पकड़े गए थे। इनमें से 20 मामलों में जांच अधिकारी सबूत तक दे चुके हैं।

100 करोड़ की जमीन मामले में सस्पेंड तहसीलदार 3 माह में बहाल

दबाव में फिर से पोस्टिंग

केस-1: रामगढ़ (अलवर) में सिवायचक व चरागाह के खातों के आवंटन व डिक्री से नामांतरण खोलने के मामले में नायब तहसीलदार घमंडीलाल को जुलाई 2022 में सस्पेंड किया गया था। सियासी व ब्यूरोक्रेसी के दबाव पर बहाल कर भरतपुर के नगर उपखंड में नायब तहसीलदार लगा दिया गया।

रंगेहाथ पकड़ा, अब बरी

केस-2: सिवाणा (बाड़मेर) तहसीलदार रहते बाबूसिंह को 27 जनवरी 2021 को एसीबी ने 10 हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था।

बाद में सस्पेंड व एपीओ किया गया लेकिन अब बाड़मेर ग्रामीण तहसील में नायब तहसीलदार हैं। राजपुरोहित का कहना है- कोर्ट मुझे बरी कर चुका है।

वापस तहसील में तैनात

केस-3: अप्रैल 22 में सौ करोड़ की जमीन का विवादित नामांतरण खोलने पर सांगानेर तहसीलदार अस्मिता सिंह सस्पेंड, दो दिन बाद एपीओ।

तीन महीने बाद झालरापाटन तहसील में लगाया। शिकायतों के बाद सितंबर 2022 में अजमेर आरआरटीई में ट्रांसफर हुआ तो रेट से स्टे लिया।

पिछले साल 18 पर केस, सजा 8 को ही

एसीबी ने गत वर्ष रेवन्यू के 18 अफसर-कार्मिकों पर मामले दर्ज िकए। सर्वाधिक मामले रेवन्यू, पंचायती राज में पकड़े। इनमें सबसे ज्यादा संख्या पटवारियों की है। एसीबी के अनुसार वर्ष 2022 में 109 भ्रष्ट अफसर-कार्मिकों को सजा हुई। इनमें रेवन्यू के 8 कर्मचारी हैं।

अफसर खुद भी सुधरें : मंत्री

फलौदी प्रकरण की कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है। अभियोजन स्वीकृति देने के निर्देश हैं लेकिन कई बार कोर्ट से स्टे ले आते हैं। अफसरों को खुद भी सुधरना चाहिए।
-रामलाल जाट, राजस्व मंत्री