जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के अल्टीमेटम देने के 10 दिन बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हमला बोला है। पायलट की पेपरलीक से प्रभावित कैंडिडेट्स को मुआवजा देने की मांग को गहलोत ने 'बुद्धि का दिवालियापन' कहा है। उन्होंने नाम लिए बिना पायलट की बड़ी मांग पर हमला बोल कर सियासी हलकों में फिर नई चर्चाएं छेड़ दी हैं। इसे नए सिरे से टकराव की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री गुरुवार को जयपुर स्थित सिंधी कैंप बस स्टैंड के नए टर्मिनल के शुभारंभ के मौके पर बोल रहे थे।

आरोपियों को जेल भेजा जा रहा है
गहलोत ने कहा- पेपर आउट कहां नहीं हो रहे हैं? कानून हमने बनाया है। हम पेपर आउट करने वालों को जेल भेज रहे हैं। हमने 200 लोगों को जेल भेज दिया। किस राज्य ने जेल भेजा है। विपक्ष के पास कोई बात नहीं है तो वो पेपर आउट की बात करेंगे। और कहेंगे कि इन्हें मुआवजा दो, जो 26 लाख लोग बैठे हैं, इन्हें मुआवजा दो। ऐसी मांग की जाती है कि पेपर आउट हो गए इसलिए इन्हें मुआवजा मिलना चाहिए। इसको आप क्या कहेंगे? इसे बुद्धि का दिवालियापन नहीं कहेंगे? इनको मुआवजा दो। दुनिया के इतिहास में किसी ने कभी मांग की है क्या कि पेपर आउट हो गए और जो बच्चे पढ़ाई कर रहे थे, एग्जाम नहीं दे पाए हैं, उनको मुआवजा दो। दे सकती है क्या सरकार? आप बताइए, ऐसी मांगें भी की जाती हैं। पेपर आउट हो गया तो अच्छे काम किए वो तो पीछे हो गए। पेपर आउट...पेपर आउट हो गया। गुजरात में 15 और गुजरात में 22 पेपर आउट हुए हैं। कहां पेपर आउट नहीं हो रहे हैं।

शानदार व्यवस्था की
गहलोत ने कहा- हमने 26 लाख बच्चों को रोडवेज में फ्री सफर करवाने की व्यवस्था की। बच्चे दूर-दूर से एग्जाम देने आ रहे थे। उन्हें रुकवाने की व्यवस्था करवाई। खाने-पीने और रहने की व्यवस्था करवाई। 26 लाख लोगों को जिलों में रुकवाया। इतनी शानदार व्यवस्था की।

पायलट का नाम नहीं लिया
गहलोत ने विपक्ष में रहकर संघर्ष करने का जिक्र करते हुए रामेश्वर डूडी और गोविंद सिंह डोटासरा का जिक्र किया, लेकिन सचिन पायलट का नाम नहीं लिया। गहलोत ने कहा- समझते ही नहीं क्या करना है? अरे भाई आप विपक्ष में हो, हम भी विपक्ष में थे। डोटासराजी हमारे अध्यक्ष थे, रामेश्वर डूडी हमारे नेता प्रतिपक्ष थे। हम अपने इश्यू बनाते थे। इश्यू बनाए, संघर्ष भी किया। सड़कों पर संघर्ष किया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बैनर तले भी किया, अलग भी किया। कोई कमी नहीं रखी।

गहलोत का साफ संकेत
पायलट ने 15 मई को जयपुर में की गई सभा में गहलोत सरकार के सामने तीन मांगें रखते हुए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। पायलट की तीन मांगों में एक मांग पेपरलीक से प्रभावित बच्चों को मुआवजा देने की थी। पायलट की मांगों में आरपीएएसी को भंग कर उसका पुनर्गठन करना और बीजेपी राज के करप्शन की जांच के लिए हाईलेवल कमेटी बनाना शामिल था।

गहलोत के आज के बयान से यह साफ हो गया कि वे पायलट की मांगों को नहीं मानेंगे। 30 मई को सचिन पायलट का अल्टीमेटम पूरा हो रहा है। गहलोत के इस बयान से अब यह माना जा रहा है कि वे मुआवजे वाली मांग तो नहीं मानेंगे, दो और मांगों पर उन्होंने कुछ कहा नहीं है लेकिन संकेत साफ है।

गहलोत के बयान के सियासी मायने
अशोक गहलोत ने सचिन पायलट का नाम लिए बिना विपक्ष की आड़ लेकर यह बयान दिया है। गहलोत विपक्ष की आड़ भले लें, लेकिन मुआवजे की मांग 15 मई को सबसे पहले सचिन पायलट ने ही उठाई थी और यह पायलट को ही जवाब माना जाएगा। तकनीकी रूप से गहलोत ने पायलट को जवाब भी दे दिया और विवाद होने पर यह कहने की गुंजाइश भी छोड़ दी कि उन्होंने तो विपक्ष को जवाब दिया था।

गहलोत का वसुंधरा पर तंज
गहलोत ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर जुबानी हमला करते हुए कहा- वसुंधरा तो वसुंधरा ही हैं। उन्हें कोई समझा सकता है क्या? पता नहीं किस माटी की बनी हुई है? पता नहीं क्या-क्या बोलती रहती हैं। अजमेर रोड वाला ब्रिज बना और नीचे वाला मेट्रो बना तो राजे ने कहा अशोक गहलोत ने जयपुर की खूबसूरती खराब कर दी। इतना शानदार ब्रिज बना कि लोगों को गर्व होता है। जोधपुर में ब्रिज बना तो वसुंधरा राजे ने कहा कि इसे तोड़ दीजिए। वहां के इंजीनियर भागकर आए और उन्हें बताया कि अब पिलर खड़े हो गए, अब पिलर टूट नहीं सकते। उनकी सोच अलग तरह की सोच थी। हमारी सोच अलग तरह की है।

राजे ने मेट्रो तक को बंद करने को कहा
गहलोत ने कहा- हमारे समय में जयपुर मेट्रो आधी-अधूरी बनकर चली। सरकार बदली और वसुंधरा राजे आ गईं। वसुंधरा ने कहा कि मेट्रो घाटे में है। यह प्रॉफिट में नहीं है। इसे बंद कर दो। दुनिया भर में मेट्रो और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सर्विसेज घाटे में है। सरकार की जिम्मेदारी है कि जनता को सुविधा दें। जनता को दी जाने वाली सुविधाओं में घाटा-नफा नहीं देखा जाता है।