जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

सचिन पायलट मामले में एक्शन को लेकर फिलहाल कांग्रेस नेताओं ने वेट एंड वॉच की रणनीति अपना ली है। पायलट मामले में पहले मुखर रहे प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा अब सीधे बयान देने से बच रहे हैं। पायलट पर एक्शन के सवाल पर रंधावा ने कहा- मेरे लिए यही दोनों लीडर (गहलोत, पायलट) ही नहीं हैं, मेरे पास राजस्थान में दोनों के अलावा और भी बहुत लीडर हैं। इनसे मैं बात कर रहा हूं। हर लीडर के साथ बात कर रहा हूं। रंधावा दिल्ली में मीडिया से बातचीत कर रहे थे।

पायलट की यात्रा को लेकर पूछे गए सवाल पर रंधावा ने कहा- सचिन पायलट की यात्रा का मामला पुराना हो गया है, कोई नई बात करो।

पायलट मसले पर कोई अलग से बैठक नहीं
पायलट मामले में बैठक के सवाल पर रंधावा ने कहा- चार चुनावी राज्यों की बैठक बुलाई गई है। राजस्थान को लेकर अलग से कोई मीटिंग नहीं है। चुनावी तैयारियों पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई है। जो जितने लीडर हैं। सभी लीडर आएंगे। वहां कोई पार्टी की अंदरूनी राजनीति पर बात नहीं होगी। जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां तैयारियों पर बैठक होगी।

हमने कांग्रेस के सब नेताओं को बुलाया है तो सब आएंगे
सचिन पायलट के अल्टीमेटम के सवाल पर रंधावा ने कहा- अल्टीमेटम का जवाब चीफ मिनिस्टर दे सकते हैं, क्योंकि उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दिया है। यह मामला मेरे पास आएगा तो मैं जवाब दूंगा। कांग्रेस की बैठक में पायलट को बुलाने पर कहा कि वे कांग्रेस के लीडर हैं, हमने सब कांग्रेस के नेताओं को बुलाया है तो सब आएंगे।

आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं चाहिए

दिल्ली सरकार के अधिकारों को कम करने के मुद्दे पर विपक्षी एकता के आम आदमी पार्टी के आह्वान पर रंधावा ने कहा- मैं इसके अगेंस्ट हूं, जैसे हमने यूपी में बीएसपी के साथ गठबंधन किया। वैसा गठबंधन पंजाब में नहीं चाहिए। पंजाब में हम सक्षम हैं। पंजाब में जो वर्कर हैं, जिनके ऊपर आज भी बेइंतहा मुकदमें डाले जा रहे हैं। और भी बातें हो रही हैं। यह सही है कि केंद्र के पास ही सारी ताकत नहीं होनी चाहिए, सत्ता का विकेंद्रीकरण होना चाहिए। राज्यों के पास भी पावर होनी चाहिए। पंजाब में कांग्रेस को अलग ही रहना चाहिए, जालंधर में जो चुनाव लड़ा है। उसी स्टैंड पर बरकरार रहना चाहिए।

रंधावा ने पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी बताया था, लेकिन यात्रा पर तेवर बदले

सचिन पायलट के अनशन और यात्रा को लेकर सुखजिंदर सिंह रंधावा के तेवरों में काफी बदलाव आया है। पायलट ने बीजेपी राज के करप्शन पर कार्रवाई नहीं होने के विरोध में 11 अप्रैल को अनशन किया था। रंधावा ने 10 अप्रैल की रात को ही लिखित बयान जारी कर उसे पार्टी विरोधी गतिविधि बताया था। पार्टी प्लेटफॉर्म पर बात रखने की सलाह दी थी। इस पर विवाद होने के बाद रंधावा के सुर बदले। बाद में जब पायलट ने 11 मई को यात्रा शुरू की और 15 मई को सरकार को अल्टीमेटम दिया, उस वक्त रंधावा के तेवर बदले हुए थे। रंधावा के बदले हुए तेवरों के पीछे पार्टी की रणनीति को माना जा रहा है।