जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस विनीत कुमार माथुर ने एक याचिका को स्वीकार करते हुए बीस वर्ष की सेवा उपरान्त स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले याचिकाकर्ता को राहत दी है। उन्होंने पेंशन सहित सभी लाभ देने के आदेश दिए हैं।

याचिकाकर्ता भगवानसिंह की ओर से अधिवक्ता हापूराम विश्नोई ने याचिका पेश की कि याचिकाकर्ता वर्ष 1995 में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के तौर पर रोडवेज में ड्राइवर पद पर लगा। उसको विभाग की ओर से वर्ष 1999 में नियमित सेवा के तहत नियुक्ति दी गई। वर्ष 2009 में प्रथम पदोन्नति लाभ दिया गया।

उसके बाद उसने रतौंधी रोग होने पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए दो बार आवेदन किए, जो खारिज कर दिए गए। हाईकोर्ट में याचिका के जरिये अभ्यावेदन प्रस्तुति के आदेश के बाद सेवानिवृत्ति को मंजूर किया गया, लेकिन पेंशन व अन्य लाभ यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि 20 वर्ष की सेवाएं पूरी नहीं हुई है।

इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पेंशन लाभ की गणना करते समय दैनिक वेतन की सेवाओं को ध्यान में रखा जाएगा। हाईकोर्ट ने विभाग के आदेश को निरस्त करते हुए सभी लाभ देने के निर्देश दिए।