जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

राज्य सरकार की बजट में की गई मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा फ्री फूड पैकेट्स योजना गले की फांस बन गई है। खाद्य विभाग के प्रस्ताव पर सरकार ने बजट में इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी खाद्य विभाग को ही दी थी, लेकिन अब इसकी जिम्मेदारी सहकारिता विभाग को दे दी है। जबकि भारतीय संविधान के आर्टिकल 203 व 204 के अनुसार बजट के विनियोग विधेयक में आए मद के काम का क्रियान्वयन और उसका पैसा वही विभाग कर सकता है, जिसको इस विधेयक में शामिल किया गया हो।

केंद्रीय महालेखाकार के अनुसार यह संविधान के नियमों का उल्लंघन है। इसके लिए सरकार को फिर से विधानसभा की अनुमति लेना आवश्यक है। अनुमति के लिए सत्र बुलाकर संशोधित विनियोग बिल पारित कराना होेगा। चूंकि खाद्य विभाग ने अभी तक इसकी नोडल एजेंसी बनने से इनकार कर दिया है, ऐसे में नियमों के उल्लंघन पर वित्त विभाग से लेकर सहकारिता में हड़कंप मचा है। वित्त विभाग के सर्कुलर 4 सितंबर 2013 के अनुसार कॉनफैड को थोक में खरीद खुली निविदा से ही की जा सकती है। ऐसे में इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पर सहकारिता में काम भी शुरू कर दिया गया है।

कैसे बंटेगा राशन, NFSA परिवार खाद्य के पास
असल में ये फूड किट केंद्र सरकार के तहत एनएफएसए से जुड़े 1.06 करोड़ परिवारों को वितरित किए जाने हैं। ये परिवार खाद्य विभाग से जुड़े हैं व उनको राशन का गेहूं भी विभाग के अंतर्गत काम करने वाले राशन विक्रेताओं के माध्यम से पोस मशीन द्वारा दिया जाता है। ऐसे में इस बात की आपत्ति थी कि जब सिस्टम बना हुआ है तो काम कॉनफैड से कराने की क्या जरूरत। मामला बढ़ा तो अब कहा जा रहा है कि सरकार खरीद संबंधी सभी काम कॉनफैड से कराने और वितरण खाद्य विभाग से करने की गली निकाल रही है।

मंत्री ने हाथ पीछे खींचे : इस उल्लंघन से बचने के लिए वित्त विभाग ने खाद्य विभाग को नोडल एजेंसी के रूप में काम करने को कहा गया था, लेकिन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ऐसा करने से इनकार कर चुके हैं। असल में 3000 करोड़ रुपए के बजट वाली स्कीम में कॉनफैड ही राशन सामग्री की खरीद करेगा और उसकी नोडल एजेंसी खाद्य विभाग को बनाया जाएगा, इससे मंत्री नाखुश थे। बताया जा रहा है कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए ही उन्होंने नोडल एजेंसी बनने से इनकार कर दिया था।

प्रताप सिंह बोले- जांच कराएंगे
मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास का कहना है कि खाद्य विभाग के द्वारा किया जाने वाला कार्य सहकारिता विभाग से करवाया जाना नियम एवं प्रक्रियाओं के अनुसार गलत है। जिन अधिकारियों ने विधानसभा और राज्य सरकार के नियम और कायदों का उल्लंघन किया है, उन अधिकारियों से जवाब लिया जाएगा। सारे मामले की जांच कराकर यह तय किया जाएगा कि अधिकारियों ने किन कारणों से नियम कायदों को ताक पर रखकर खाद्य विभाग के कार्यों को सहकारिता विभाग में ट्रांसफर कर दिया।

मद केवल खाद्य का
निशुल्क किट योजना बजट मद-3456 के तहत अलग-अलग मदों में 650 करोड़, 200 करोड़ तथा 150 करोड़ काप्रावधान खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के लिए किया गया। अब केंद्र के सीजीए द्वारा राज्य के आय-व्यय के लिए बनाए गए इस मद में केवल खाद्य विभाग ही राशि खर्च कर सकता है। इसी बजट में विभाग को 1000 करोड़ रुपए आवंटित हो चुका था, जिसे और कोई डिपार्टमेंट खर्च नहीं कर सकता।

टेंडर प्रक्रिया में हैं : इस संबंध में कॉ-ऑपरेटिव रजिस्ट्रार मेघराज सिंह रत्नू ने बताया कि फूड किट वितरण की प्रक्रिया शुरू करने से पहले उसके लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। विधानसभा के नियमों के उल्लंघन के सवाल पर रत्नू ने कहा कि इसकी जानकारी नहीं है।