हनुमानगढ़ - विश्वास कुमार 
मरूधरा विचार मंच द्वारा विश्व हास्य दिवस पर टाउन के राजवी पैलेस में भव्य कवि सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में विशेष रूप से विश्व प्रसिद्ध कवियत्री कविता तिवारी, कवि अमन अक्षर, शशिकांत यादव, पार्थ नवीन व राम भादावर ने वीर रस की कविताओं से समस्त उपस्थितजनों में देश भक्ति के प्रति जोश भर दिया। कार्यक्रम की शुरूवात आयोजन समिति सदस्य प्रदीप ऐरी ने समस्त कवियों का स्वागत व अभिनंदन किया। कवि सम्मेलन को संबोधित करते हुए सबसे पहले कविता तिवारी ने सभी को इतिहास याद दिलाते हुए 1857 की क्रांति के ऊपर और वीरांगना लक्ष्मीबाई के ऊपर भी देशभक्ति से ओतप्रोत अनेक रचनाए प्रस्तुत की, जिन्हें सुनकर श्रोताओं का रोम-रोम रोमांचित हो उठा। कविता तिवारी ने काव्य पाठ के माध्यम से ही कहा कि अगर 1857 की क्रांति में ग्वालियर के सिंधिया ने लक्ष्मीबाई का थोड़ा भी साथ दे दिया होता तो हम लोग इतने वर्षों तक अंग्रेजों के गुलाम न रहते। उन्होने देश की युवा पीढ़ी की बेटियों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए कहा कि अगर हमने अपना प्ररेणास्त्रोत हमारे इतिहास को चुना होता तो आज बेटियों के 36 टुक्कड़े नही हो रहे होते। चित्तौड़गढ़ के हास्य पैराडी कवि पार्थ नवीन ने राजनीति में कुवारों का बोल बाला कविता सुनाते हुए सभी को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया इसी के साथ साथ कई फिल्मी धुन पर हास्य व व्यंग्य की पैरोडी सुनाकर लोगो को हंसने पर मजबूर कर दिया। कवि अमन अक्षर ने कविता के माध्यम से भगवान श्री राम के जीवन का सार बताते हुए कहा कि माता सीता को अग्नि परीक्षा की आग भी न जला पाई और भगवान श्री राम जलसमाधी में जल उठे। उन्होने कहा कि भगवान श्रीराम के जीवन पर चार पंक्तियां सुनाते हुए सभी को भावुक कर दिया। कवि राम भदावर ने पन्नाधाय पर गीत प्रस्तुत कर चित्तौड़गढ़ के शौर्य से श्रोताओं को रूबरू करवाकर देशभक्ति का जोश भर दिया। उन्होने काव्य पाठ करते हुए चित्तोड़ के इतिहास का बखान करते हए कहा कि यह रण ऐसा था जिस रण में कोई दुश्मन था नहीं लड़ा। भाले बरछी जब नहीं लड़े तो फिर इस रण में कौन लड़ा।। तर्कों से तर्क लड़े खुलकर प्रशनों से प्रशन झगड़ते थे। करुणा से करुणा लड़ती थी आँसू से आँसू लड़ते थे।। आहों से आहें टकराईं मन से मन युद्ध रचा बैठा। दांया या बाएं से भिड़ा और तन से तन युद्ध रचा बैठा।। अंगुली से अंगुली उलझाकर मानो एक जाल बनाती थी। जब कण्ठ घोटता था गर्दन आवाज दबी रह जाती थी।। क्षमता से क्षमता लड़ती थी नमता से नमता लड़ती थी। एक मां से लड़ती थी एक मां ममता से ममता लड़ती थी।। बलिदान दामिनी के समान दम दमक दमक लड़ जाता था। हां! दूध दूध से लड़ता था तो नमक नमक लड़ जाता था।। मेवाड़ विजय की महावीर बलिदान तमन्ना लड़ती थी। धरती से लड़ती थी धरती पन्ना से पन्ना लड़ती थी से श्रौताओं में जोश भरते हुए राजस्थान के इतिहास से अवगत करवाया। उन्होने राजस्थान के वीर शहीदों व शूरवीरों को नमन करते हुए कहा कि अगर राजस्थान न होता तो हिन्दुस्थान न होता। कवि सम्मेलन का मंच संचालन देवास के ओजस्वी कवि शशिकांत यादव ने किया। इस मौके पर मरुधरा विचार मंच के संयोजक प्रदीप ऐरी, पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ राम प्रताप,भाजपा जिला अध्यक्ष बलवीर बिशनोई, पूर्व सभापति राजकुमार हिसारिया, जिला महामंत्री जुगलकिशोर गौड, पूर्व कृषि मंडी चेयरमैन अरुण खिलेरी, अजय ज्याणी,अरोड़वंश अध्यक्ष अतुल धींगड़ा, पार्षद मनोज बंसल,बलराज दनेवालिया,सौरभ शर्मा,पूजा सैन,पूर्व पार्षद भरत कुमार,राजेन्द्र डोडा,बनवारी पारीक,पूर्व पी एम ओ डॉ एम पी शर्मा,सतीश बंसल,अमृत सिंगला, देवेन्द्र अग्रवाल, देवेन्द्र पारीक,अजय सराफ,बलकरण सिंह,मुरलीधर सोनी,पारस गर्ग,आदित्य गुप्ता,नरोत्तम सिंगला,वीरेंद्र उपाध्याय, गोविंद,कृष्ण तायल,भवानी शंकर शर्मा,जय भगवान सोनी, लीलाधर सोनी,प्रवीण मोदी, राजपाल,अश्वनी डुमरा,विश्व हिंदू परिषद जिला अध्यक्ष राजेंद्र स्वामी,आशीष पारीक,इंद्रजीत नांदिवाल, लोकेश शर्मा,शिमला मेहंदीरत्ता,अशोक गर्ग,त्रिभुवन सिंह राजवी,प्रभु जांगिड़,विजय वर्मा,सुरेन्द्र नरूला,ओम सोनी,अशोक भारती,डॉ गरिमा गुप्ता,विक्रम जीत सिंह कोरा सहित बड़ी संख्या में मंच कार्यकर्ता व अतिथि शामिल हुए।