जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

प्रदेश में विधायकों की सिफारिश व डिजायर पर लगे तहसीलदार व नायब तहसीलदार आम जनता की सुनवाई ही नहीं कर रहे हैं। तहसीलों की निरीक्षण रिपोर्ट में सामने आया है कि सांगानेर तहसील में कुछ प्रकरणों, कंपनियों व संस्थाओं से संबंधित कार्य एक ही दिन में हो जाते हैं, जबकि गरीब व किसान की जमीनों के लैंड कंवर्जन, नामांतरण, सीमा ज्ञान, खाता विभाजन, कुर्रेजात व 90 ए की रिपोर्ट महीनों तक तहसील में दफ्तर दाखिल पड़ी रहती है। आम लोगों की शिकायतों के बाद जयपुर जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने जब सांगानेर तहसील का निरीक्षण करवाया तो वहां 20 से ज्यादा अनियमितताएं मिली।

सांगानेर के तहसीलदार दिनेश कुमार साहू को विधायक गंगादेवी की डिजायर पर लगाया था। लेकिन बाद में कलेक्टर की सिफारिश पर रेवेन्यू बोर्ड ने सस्पेंड कर दिया। कलेक्टर ने तहसीलदार दिनेश साहू को सीसीए नियम 16 में चार्जशीट दी है। बताया जा रहा है कि प्रदेश की ज्यादातर तहसीलों में पत्रावलियों के रजिस्टर ही मेंटेन नहीं हैं। आम जनता की समस्याओं को रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता है ताकि कार्य पेंडिंग ही नहीं दिखे। जयपुर, सांगानेर, चौमूं व आमेर तहसीलों में जमीनों के भाव ज्यादा हैं तथा काॅलोनियां बस रही हैं।

डिजायर ले गया होगा, लेकिन काम तो करना पड़ेगा : विधायक
बगरू विधायक गंगादेवी का कहना है कि किसी कार्यकर्ता के कहने से डिजायर की होगी। लेकिन जनता को परेशान किया तो सरकार ने हटा दिया। काम तो करना ही पड़ेगा। बगरू के नायब तहसीलदार गौरव पूनियां को भी मेरे से बिना पूछे लगा रखा है। अब मै किसको कहूं।

विधायक के बेटे ने की शिकायत
भांकरोटा में एक बड़ी जमीन पर कॉलोनी बसाने के लिए जेडीए से 90ए हुई। इस जमीन का 90ए का नामांतरण खोलने के लिए एक विधायक के बेटे ने सिफारिश की थी। लेकिन तहसीलदार दिनेश साहू ने हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने की दलील दी। इस पर विधायक के बेटे व दूसरे लोगों ने तहसीलदार की शिकायत कर दी।

पोस्टिंग के लिए जरूरी है डिजायर
पटवारी से लेकर तहसीलदार तक की पोस्टिंग के लिए विधायक व जनप्रतिनिधियों की सिफारिश व डिजायर जरूरी हो गई। राजस्व विभाग व रेवेन्यू बोर्ड ने 10 महीने में तहसीलदार सेवा (आरटीएस) के 1514 तहसीलदार व नायब तहसीलदार के तबादले किए हैं। इसमें से 110 से ज्यादा अधिकारी तो ऐसे हैं, जिनका 3 से 4 बार तबादला किया है। ज्यादातर तबादले विधायक या वहां से चुनाव लड़ चुके जनप्रतिनिधि की अनुशंषा पर ही हुए हैं।

निरीक्षण किया गया तो सामने आईं कई अनियमितताएं

  • हाईकोर्ट और दूसरे कोर्ट के विचाराधीन 25 मुकदमों का जवाब नहीं दिया।
  • रेवेन्यू ऑफिसर की मीटिंग में निर्देश के बाद भी कुर्रेजात रिपोर्ट कोर्ट में नहीं दी।
  • जेडीए की 90ए के आदेशों की पालना नहीं।
  • सीमाज्ञान प्रकरण का निस्तारण व मॉनिटरिंग नहीं।
  • प्रदेश की कई तहसीलों में निरीक्षण में जमाबंदी के नामांतरण पेडिंग पाए गए।
  • फाइनल डिक्री व निर्णय प्रकरणों की पालना नहीं। माॅनिटरिंग, कंट्रोल, रजिस्टर व रिकॉर्ड संधारित नहीं।