जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच जुबानी जंग छिड़ी हुई है। दोनों का एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप थमने का नाम नहीं ले रहा। सोमवार को एमएनआईटी जयपुर के कार्यक्रम में आए केंद्रीय मंत्री मीडिया से बातचीत में अशोक गहलोत और राजस्थान सरकार पर जमकर हमला बोला।

संजीवनी घोटाले पर बोले मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

मुख्यमंत्री की संजीवनी घोटाले वाले आरोप पर जवाब देते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पलटवार करते हुए कहा- 2019 में जब संजीवनी के इन्वेस्टर्स मुख्यमंत्री से पहली बार मिले थे तब उन्होंने कहा था कि मुझसे पूछ करके इन्वेस्ट किया था क्या ! अब वह कहते हैं कि संजीवनी के लोग जब मेरे सामने आते हैं तो मेरे आंखों में आंसू आ जाते हैं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि यह एकमात्र ऐसे सोसाइटी नहीं है। राजस्थान में सबसे बड़ी क्रेडिट-को-ऑपरेटिव सोसाइटी जो फेल हुई, वह आदर्श क्रेडिट-को-ऑपरेटिव सोसायटी थी। 20 लाख इसके निवेशक हैं और जैसा मुझे समाचार पत्रों से और एसओजी की ब्रीफिंग में जानकारी मिली है उसके मुताबिक इसमें 14 हजार करोड रूपए का घोटाला हुआ है।

उन्हें 20 लाख लोगों के आंसू दिखाई नहीं दिए। और दूसरा जिस दिशा में जांच जारी है। क्योंकि भारत सरकार ने इस तरह के विषयों की जांच के लिए संसद में कानून पारित किया है। बैनिंग ऑफ़ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम कानून वो एक्सिस्टेंस में है। उस कानून के उपबंधो के अनुसार कोई भी केस उस कानून के तहत दर्ज होने के बाद में उसकी जांच केवल सीबीआई के माध्यम से ही हो सकती है। और सीबीआई को जांच देने के इस उपबंध के चलते गुजरात और मध्य प्रदेश दोनों दे चुके हैं ।अब जब यहां जांच होगी जो सीबीआई को देने के लिए राजस्थान सरकार कोर्ट में भी प्रतिरोध कर रहा है जब इन्वेस्टर्स का फोरम जाकर के सुप्रीम कोर्ट में खड़ा हुआ तो राजस्थान में उसका अप्रोच किया जाए। मैं पूछना चाहता हूं जब जांच पूरी हो जाएगी और कोर्ट इस पर विचार करेगा तब यह तर्क अभियुक्तों की तरफ से दिया जाएगा कि जो जांच की सक्षम एजेंसी है उसके द्वारा जांच नहीं की गई है और इसके चलते अगर अभियुक्त छूट जाएंगे तो उनको बचाने का षड्यंत्र और निवेशकों को डुबाने का षड्यंत्र के जिम्मेदार स्पष्ट तौर पर अशोक गहलोत और उनकी सरकार को जाएगा।

राजस्थान सरकार की कुर्सी के खेल के चलते राजस्थान की जनता आज खून के आंसू रो रही है

राजस्थान सरकार के पास पिछले साढ़े चार साल से एकमात्र मुद्दा है कुर्सी बचाने का। उनके आपस के सत्ता के संघर्ष के कारण से, उनके आपस में कुर्सी पर बैठने के खेल के चलते जिस तरीके के हालात के बारे में मैं बयान दूं या भारतीय जनता पार्टी के लोग बयान दें तो शायद आप उसे राजनीति से प्रेरित टिप्पणी कहेंगे। लेकिन जब सत्ता में बैठे हुए लोग उनके विधायक सदन में अपनी ही सरकार के खिलाफ जिस तरीके के आरोप लगाते हैं भ्रष्टाचार के आरोपों से लेकर तुष्टीकरण के आरोप लगाते हैं उनकी सरकार के मंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति जो मुख्यमंत्री के सलाहकार कहलाते हैं की पोजीशन पर बैठे वह सदन में खड़े होकर के मंत्री को भ्रष्ट होने की चुनौती देते हैं उसको ललकारते हैं। मंत्री हजारों लाखों लोगों की उपस्थिति में मंच पर खड़े होकर भाषण देते हैं कि वर्तमान सरकार जो है लोकतांत्रिक राजस्थान की सबसे भ्रष्ट सरकार है मुझे लगता है। मुद्दे उनके अपने दिखाई नहीं देते केवल उनके लिए एक मुद्दा है वह सत्ता की कुर्सी पर किस तरीके से चिपके रहना। और उसके कारण से राजस्थान की जनता आज खून के आंसू रो रही है।

भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार है जिसने भ्रष्टाचार के सारे बेंचमार्क स्कोर तोड़ दिए

स्टोर कीपर वाले मामले पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि अगर वह स्टोर कीपर है तो यह राजस्थान की जनता के 7:30 करोड़ लोगों का प्रश्न यह है कि वह स्टोरकीपर किस के धन को स्टोर कीपिंग कर रहा था। और कहां-कहां कर रहा था और कितना कर रहा था। इतना धन कहां से बरामद हुआ बहुत सारे प्रश्न राजस्थान की जनता के दिमाग में घूम रहे हैं। मैं उन्हीं की तरफ से आपके माध्यम से प्रश्न करना चाहता हूं कि इसका खुलासा निश्चित रूप से होना चाहिए। कौन-कौन लोग इस में कितने वर्षों से इंवॉल्व थे । वे लोग इस दिशा में क्या काम कर रहे थे क्यों कर रहे थे इसके अतिरिक्त भी जो है कहां कहां इस तरीके के काले धन छिपे पाए गए थे। मुझे तो यह लगता है कि भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार है जिसने भ्रष्टाचार के सारे बेंचमार्क स्कोर तोड़ दिए हैं। और उनकी जो अधिकारियों और नेताओं की घरों की तिजोरीयों से इस तरीके का सोना और कैश मिलना होता है क्या। अब तो सचिवालय में और कार्यालयों में से इस तरीके से सोना और नकदी मिलना। तो अब राजस्थान की जनता निश्चित रूप से संपूर्ण खुलासा एवं इसकी जानकारी चाहती है।

पेपर लीक की जांच आगे अगर होती तो कई सफेद कुर्ते पहनकर सत्ता के सिंहासन पर बैठे लोग भी बेनकाब हो जाते

यहां पेपर लीक हुआ था पेपर लीक की रिपीटेड घटनाओं के बाद में मुख्यमंत्री जी ने हर बार यह कहा था। ना इसमें कोई अधिकारी लिप्त है ना कोई राजनेता लिप्त है। और अंततः एक कदम आगे बढ़कर जनता के दबाव से भारतीय जनता पार्टी द्वारा बार-बार सड़क से लेकर संसद तक भिड़ने के बाद में जिस तरीके से एक कदम आगे बढ़ाया उसमें वहां से लेकर आरपीएससी तक के काले कारनामे उजागर हो गए है। लेकिन उससे भी आगे अगर सरकार जांच करती तो उससे भी ऊपर के लोग जो सफेद कुर्ते पहनकर सत्ता के सिंहासन पर बैठे हैं वे लोग भी शायद बेनकाब हो जाते। आज जो एक केस हुआ है इस घटना के लिए व्यापक स्तर पर जांच हो तो शायद कई काले कौवे नजर आ जाएंगे।

जयपुर के किशनपोल बाजार में लगे पोस्टर पर बोले राजस्थान में वर्तमान सरकार कर रही तुष्टीकरण की राजनीति

जयपुर के किशनपोल बाजार में लगे पोस्टर और बोलते हुए मंत्री ने कहा कि राजस्थान में वर्तमान सरकार जिस तरीके से तुष्टीकरण अपने वोट बैंक के लालच में किया है। जिस तरीके से अपने वोट बैंक को बचाए रखने के लिए निरंतर तुष्टीकरण को खाद पानी और हवा दी है। उसके चलते यह आज एक जहरीले वृक्ष के रूप में खड़ा हो गया है।यह एक केवल किशनपोल बाजार का मामला नहीं है। राजस्थान में उठा कर देखेंगे तो अनेक कस्बों अनेक मोहल्लों में इस तरीके की परिस्थितियां हैं जहां लोग पलायन करने को मजबूर है। यह तुष्टीकरण की नीति के कारण है। राजस्थान में करौली से दंगों की आग प्रारंभ होकर के भीलवाड़ा से होते हुए जोधपुर पहुंचती है। यह तुष्टीकरण के कारण ही राजस्थान में कन्हैयालाल का गला रेत कर हत्या कर दी जाती है। राजस्थान में खुलेआम नारे लगाए जाते हैं, गला रेतने की धमकियां दी जाती है। यह तुष्टीकरण की राजनीति के कारण ही राजस्थान में भगवान की मंदिरों को तोड़ा जाता है। जेसीबी मशीन से शिवालयाें को तोड़ा जाता है। तुष्टीकरण की नीति है जिसके चलते भगवान के भक्ताें पर प्रतिबंध लगाया जाता है। जिसके चलते राजस्थान में हिंदू त्योहारों पर 144 लगाया जाता है। तुष्टीकरण की नीति हीं है जिसके चलते सामाजिक ताने-बाने का काम किया है और उसके जिम्मेदार अशोक गहलोत और उनकी सरकार है।

मुख्यमंत्री राजस्थान की जनता के हितों से जुड़े हुए विषयों को सीरियसली नहीं लेते

मैं एक बात पूछना चाहता हूं कि अगर संजीवनी अशोक गहलोत साहब की प्राथमिकता ना हो करके जितना समय संजीवनी पर लगाते हैं और जितना यह घड़ियाली आंसू संजीवनी को लेकर के बहाते हैं। कभी तो कहते हैं मुझे पूछ कर इन्वेस्ट किया था और कभी उन्हें देखकर कहते हैं कि मुझे आंसू आ जाते हैं। उसके बजाय अगर वह इन विषयों पर काम करते। इन विषयों को प्रायोरिटी देकर काम करते। राजस्थान की जनता के हितों से जुड़े हुए विषयों को सीरियसली लेते। राजस्थान में जिस तरीके से भ्रष्टाचार फैला हुआ है। उसे अगर सीरियसली लेते। राजस्थान में जिस तरीके से माफिया राज पनपा है कम से कम उसको सीरियसली ले लेते। राजस्थान की महिलाओं की अस्मिता जिस तरीके से खतरे में है अगर उसको सीरियसली ले लेते। राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था जिस तरीके से चौपट हुई है कम से कम उसको सीरियसली ले लेते। राजस्थान में जिस तरीके से कानून व्यवस्था बिगड़ी है इसको लेकर सीरियसली ले लेते। किसी चीज को तो लेकर सीरियस ले लेते और इन सब से आगे बढ़कर के अगर माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो इस दिशा में ठीक से काम किया होता तो शायद आज उनको इस तरीके से घूम घूम कर के भाग-भाग के राहत शिविरों में जाकर लोगों को आहत करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

इआरसीपी मुद्दें पर बोले मंत्री इज्जत बचाने के लिए 10 जिलों की जनता के साथ अशोक गहलोत की सरकार ने धोखा किया

इआरसीपी के पीछे स्वर्गीय अटल जी का एक सपना था की डाउन बेसीन से सर प्लस बेसिन में पानी ले जाया जाना चाहिए। नदियों को जोड़ा जाना चाहिए उस परिकल्पना के तहत जो देश भर में इस तरीके के पोटेंशियल्स लिंक्स आईडेंटिफाई किए गए थे जहां पानी की अधिकता से लेकर के पानी की न्यूनता तक पानी ले जाया जा सके। उसमें से एक लिंक राजस्थान मध्य प्रदेश के बीच पार्वती कालीसिंध और चंबल लिंक है। क्योंकि लिंक में दोनों ही प्रदेशों की सहमति नहीं थी जिसके चलते उसके आगे का काम रद्द कर दिया गया। विगत राजस्थान सरकार वसुंधरा जी के नेतृत्व में उसे वापस जीवित किया मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान का समझौता हुआ और समझौते के तहत राजस्थान में एक प्रोजेक्ट ज्वाइन किया उसकी डीपीआर बनाएं डीपीआर भारत सरकार की संस्था की ओर से बनाया गया डीपीआर जब जब बनी उसमें कुछ टेक्निकल फॉल्ट था उस टेक्निकल फॉल्ट के चलते उसे डीपीआर को तत्कालीन सरकार के समय 2018 में चुनाव से पहले भारत सरकार के सेंट्रल वाटर कमीशन ने वापस राजस्थान की सरकार को उसको रीडिजाइन करने के लिए भेज दिया। जिस विषय को पहले ही प्रदेशभर के नियम कानून और जिस तरीके के उपबंध बने उसके दृष्टिकोण से काम शुरू किए गए। राजस्थान की सरकार ने बार-बार लिखा कि हमें उसी फॉर्मेट में अप्रूव करें जोकि संभव नहीं था । बार-बार मीटिंग्स में राजस्थान सरकार के मंत्री मुख्यमंत्री जी को आमंत्रित किया। उनसे कहा आप आकर बैठे इस पर चर्चा करें। सभी अधिकारियों ने जो प्रस्ताव था उस पर सहमति जताई लेकिन दुर्भाग्य से राजस्थान कि सरकार पानी लाने के बजाए राजनीति करती रही। इनका काम राजनीति से प्रेरित होता है। जिलों के सूखे पर कंट्रोल करने के बजाए इस पर राजस्थान की सरकार साढ़े तीन साल तक राजनीति करती रही। एक भी कदम उस दिशा में आगे नहीं बढ़ाया। क्योंकि जिस प्रस्ताव के लिए राजस्थान सरकार वर्तमान में काम करना चाहती है उस प्रस्ताव का पहल मध्य प्रदेश की तरफ से तत्कालीन कांग्रेस सरकार के माननीय मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने किया था। उन्होंने चिट्ठी लिखकर के राजस्थान सरकार को कहा था कि इस प्रोजेक्ट पर आगे नहीं बढ़े। और भारत सरकार को भी कहा था कि आप इस दिशा में राजस्थान सरकार को रोके। इज्जत बचाने के लिए 10 जिलों की जनता के साथ अशोक गहलोत की सरकार ने धोखा किया है।

2000 के नोट बंदी पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने यह एक उपाय किया है या निश्चित रूप से एक उपाय है जाे अलमारियों में जिस तरीके से नोट योजना भवन में मिले हैं ऐसी बहुत सारी अलमारियों से फंसे हुए नोट बाहर निकल कर के सरकुलेशन में आएंगे।