जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

राजधानी जयपुर के पृथ्वीराज नगर में रहने वाले करीब 30 हजार परिवारों को बिजली कनेक्शन मिलेगा या नहीं, इसका फैसला राजस्थान हाई कोर्ट करेगा। जयपुर की पृथ्वीराज नगर योजना में पिछले 10 साल से नए बिजली और पानी कनेक्शन जारी करने पर रोक लगा रखी है। आज हाईकोर्ट इस मामले में सुनवाई अधूरी रही। करीब 2 घंटे जस्टिस समीर सैन के अदालत में बहस हुई। अब कल सुबह 11:00 बजे फिर मामले में सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट ने सोसाइटी पट्टे पर साल 2013 में बिजली कनेक्शन देने पर रोक लगाई थी, यह रोक अभी तक चली आ रही है। कुछ महीने पहले यह रोक हटाने के लिए पृथ्वीराज नगर की विभिन्न विकास समितियों और अनेक भूखंड मालिकों ने हाईकोर्ट में एप्लीकेशन लगाई थी। इस पर हाई कोर्ट में जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ सुनवाई करेगी। इस मामले में सरकार के रुख को देखते हुए रोक हटने की संभावना जताई जा रही है। हाईकोर्ट के नोटिस पर सरकार ने कोर्ट में लिखित जवाब दिया है कि अगर हाईकोर्ट बिजली कनेक्शन जारी करने पर लगी रोक हटाता है तो उस पर राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं हैं।

यह था पूरा मामला
दरअसल पूरा मामला पृथ्वीराज नगर योजना में सफल आवंटियों से जुड़ा हुआ है। योजना के तहत कुछ सफल आवंटियों को पृथ्वीराज नगर में भूखण्ड नहीं मिले थे। ऐसे में उन्होंने हाईकोर्ट का रास्ता अख्तियार किया था। उनकी याचिकाओ पर सुनवाई करते हुए साल 2013 में जस्टिस मनीष भंडारी की अदालत ने पृथ्वीराज नगर में सोसाइटी पट्टों पर बिजली कनेक्शन जारी करने पर रोक लगा दी थी। यह रोक अभी तक चली आ रही है। जिसके चलते क्षेत्र में रहने वाले लोगों व दुकानदारों को बिजली कनेक्शन नहीं मिल पा रहा हैं। इसे लेकर लोग सालों से सरकार के यहां चक्कर लगा रहे थे। लेकिन राज्य सरकार भी हाईकोर्ट की रोक का हवाला देकर कनेक्शन जारी करने से मना कर रही थी। इसके बाद कई विकास समितियों व व्यक्तिगत रूप से लोगों ने पूरे मामले में पक्षकार बनने व स्टे हटाने को लेकर प्रार्थना पत्र दायर किए। जिस पर कल हाई कोर्ट सुनवाई करने जा रहा है।

हाईटेंशन के चलते पृथ्वीराज नगर में नहीं मिल रहे जेडीए पट्टे

दरअसल पृथ्वीराज नगर में 132 केवी और 220 केवी की हाई टेंशन लाइन गुजर रही है। इस हाईटेंशन लाइन के नीचे बसे मकानों और दुकानों को जेडीए पट्टे जारी नहीं कर रहा हैं। एनटीपीसी के 3 फरवरी 2015 के नियमों के तहत 132 केवी की लाइन के नीचे बसें मकानों और दुकानों के सामने राइट ऑफ वे (सामने की सड़क व सेफ्टी-वे) 27 मीटर और 220 केवी के नीचे बसे मकानों के लिए 37 मीटर अनिवार्य था। जिसे केंद्र सरकार ने 16 जुलाई 2020 को नियमों में संशोधन करते हुए आरओडब्ल्यू को घटा दिया। लेकिन राज्य सरकार ने इन नियमों को लागू नहीं किया। जिससे क्षेत्र के लोगों को जेडीए पट्टे नहीं मिल पा रहे है।