जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

पेपरलीक और करप्शन के खिलाफ सचिन पायलट की जनसंघर्ष यात्रा का आज अंतिम दिन है। यात्रा आज महापुरा मोड़ से शुरू होकर एक ही फेज में पूरी हो जाएगी। अजमेर रोड पर 11 बजे से पायलट की सभा रखी गई है। इस सभा में पायलट अगले सियासी कदम की घोषणा कर सकते हैं।

पायलट ने 11 मई को अजमेर में आरपीएससी के पास से जनसंंघर्ष यात्रा शुरू की थी। पांच दिन में 125 किलोमीटर की दूरी तय करके यात्रा जयपुर पहुंची है। इस यात्रा ने पेपरलीक और बीजेपी राज में करप्शन के मुद‌दे को फिर हवा दे दी है। पायलट की यात्रा में उठाए गए बीजेपी राज के करप्शन को लेकर अब आगे भी सियासी विवाद होना तय माना जा रहा है।

पायलट बोले- मौसम बदल रहा है, यात्रा किसी के खिलाफ नहीं करप्शन के खिलाफ

यात्रा खत्म होने से पहले सचिन पायलट ने कहा- मौसम बदल रहा है। यह यात्रा युवाओं के भविष्य के लिए है। सभा में युवाओं को जुड़ना है। जनसंघर्ष यात्रा किसी के खिलाफ नहीं है, यह यात्रा करप्शन के खिलाफ है।

पायलट अगले सियासी कदम की घोषणा कर सकते हैं

पायलट की सभा पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। सभा में युवाओं को बुलाया गया है। पायलट इस सभा में अगले कदम की घोषणा कर सकते हैं। पायलट इस सभा में सरकार को कार्रवाई करने के लिए नए सिरे से डेडलाइन दे सकते हैं। बताया जाता है कि पायलट इस सभा में आगे की रणनीति के बारे में संकेत जरूर देंगे। पायलट ने जिस तरह सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला है। उसके बाद तरह तरह के कयास लग रहे हैं। हालांकि पायलट से जब उनके अगले कदम पर पूछा गया तो सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन इतना जरूर कहा कि अटकलें लगाना छोड़ दीजिए, कांग्रेस की मजबूती के लिए ही काम कर रहा हूं।

दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने के भी प्रयास

फिलहाल सरकार के किसी जिम्मेदार नेता ने पायलट से बात नहीं की है। कुछ न्यूट्रल नेता चाहते हैं कि चुनावी साल में गहलोत और पायलट के मतभेद खत्म् करवाकर दोनों को एक साथ कैंपेन के लिए मैदान में उतारा जाए। पायलट के अनशन के बाद उनसे बातचीत कर मनाने के लिए एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ को जिम्मा दिया था। कमलनाथ ने पायलट से बात की थी। हांलांकि सुलह नहीं हो सकी। एक बार फिर कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अब सुलह की कोश्मेिश का रास्ता तलाशने के लिए लगे हुए हैं।

पायलट गुट चाहता है, गहलोत के हाथ पूरा पावर नहीं रहे

सचिन पायलट और उनके खेमे से जुड़े विधाययक लंबे समय से सत्ता के विकेंद्रीकरण की मांग कर रहे हैं। पायलट गुट चाहता है कि हाईकमान उनकी राय को भी अहमियत दे। पायलट की सबसे बड़ी और प्रमुख मांग सीएम अशोक गहलोत के हाथ पूरा पावर नहीं रहने देने की है। पायलट गुट चाहता है कि मुख्यमंत्री के पास से गृह, वित्त जैसे अहम विभाग नहीं रहे। पावर सेंट्रलाइजेशन पर भी पायलट गुट नाराज है।