जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

दूध, मावा, पनीर, दही एवं मसालों जैसे खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारी अब फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड एक्ट के तहत हर माह 20 की जगह 5 नमूने ही ले सकेंगे। केन्द्र सरकार के जारी नए फरमान के तहत खाद्य सुरक्षा अधिकारी 25 सर्विलेंस के तहत और 5 सैंपल एक्ट के तहत ले सकेंगे। इसके अलावा दस निरीक्षण कर सकेंगे।

मौजूदा स्थिति में राज्य के खाद्य सुरक्षा अधिकारी को हर माह 20 नमूने लेने का टारगेट है। राज्य के फूड सेफ्टी कमिश्नर की ओर से किसी तरह के आदेश नहीं निकालने से असमंजस की स्थिति बनी है। केन्द्र सरकार के सचिव एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जी.कमलावर्धन राव ने राजस्थान समेत देश के सभी राज्यों के फूड सेफ्टी कमिश्नर को पत्र लिख है।

प्रदेश की हकीकत
प्रदेश में 11 में से 10 फूड टेस्टिंग लैब एनएबीएल से मान्य हैं, 104 खाद्य सुरक्षा अधिकारी हैं। चार साल में 34,607 नमूनों की जांच में से 9,679 मिलावटी, इनमें से 5303 सबस्टेंडर्ड, मिसब्रांड 2346 अौर 1385 अनसेफ मिले।

वो सबकुछ जो आप जानना चाहते हो

  • इनफोर्समेंट या फूड सेफ्टी एक्ट के तहत लिए जाने वाले सैंपलों की जांच के बाद मिसब्रांड या सब स्टेंडर्ड पाए जाने पर एडीएम स्तर के मामला जाने पर जुर्माने की कार्रवाई होती है। अनसेफ का मामला कोर्ट में जाता है। जबकि सर्विलेंस में किसी के खिलाफ लीगल कार्रवाई नहीं होती और सैंपल की जानकारी देनी पड़ती है।
  • खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को सर्विलांस नमूनों तक सीमित करने से खाद्य पदार्थों में मिलावट बढ़ेगी। अमानक निकले सर्विलांस नमूने के आधार पर जब एफएसओ संबंधित दुकान पर दोबारा जाएगा, उस समय उसी खाद्य पदार्थ का सैंपल ही नहीं मिलेगा, क्योंकि जब तक बाजार में बिक जाएगा।
  • मिलावट करने वाले को सजा दिलवाने के लिए ‘फास्ट ट्रेक कोर्ट’ खुले। मौजूदा स्थिति में कोर्ट में लंबे समय तक ट्रायल होने से सजा मिलने में सालों लग जाते हैं।

दूध में मिलावट की जांच के लिए िवशेष अभियान चलेगा
फूड सेफ्टी स्टेंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया नई दिल्ली ने दूध व इससे बने उत्पादों में मिलावट की जांच के लिए विशेष अभियान चलाएगा। हर राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर लिए जाने वाले सैंपल लेगा, जिसकी जिम्मेदारी एक एजेंसी को सौंपी है। अभियान का मुख्य उद्देश्य मिलावट वाले जिलों की पहचान करना, किस-किस तरह की मिलावट की जा रही है। जांच में मिलावट के आधार पर गाइडलाइन जारी करना प्रस्तावित है। राज्य में दूध में मिलावट करने वाले जिलों में जयपुर, अलवर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, सीकर, झुंझुनूं है।