जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

प्रदेश में अधिकारी-कर्मचारी के कामकाज को पारदर्शी व तेज कार्यशैली के लिए सरकार ने राजकाज पर ‘ई-फाइल’ सिस्टम लागू किया है। लेकिन राजस्व विभाग, भू-प्रबंध विभाग व रेवेन्यू बोर्ड के बीच तालमेल नहीं होने के कारण लैंड रिकॉर्ड के कामकाज की फाइलें अब भी ‘ऑफलाइन’ ही है। प्रदेश में रहन, बेचान, विरासत, हक त्याग, कोर्ट स्टे सहित अन्य मामलों के करीब पांच हजार नामांतरण पेंडिंग हैं। किसानों को लैंड रिकॉर्ड में रहन व नामांतरण दर्ज करवाने के लिए पटवार भवन व तहसील में चक्कर लगाने पड़ रहे है।

रेवेन्यू बोर्ड के बार बार पत्र लिखने के बाद भी एनआईसी ई-धरती सॉफ्टवेयर पर पटवारियों के आई.डी. रजिस्ट्रेशन नहीं कर रहा है। भू-प्रबंध विभाग व राजस्व अधिकारी एप बनाने वाली कंपनी के बीच विवाद के कारण 5 माह से एप बंद है। जबकि सीएम गहलोत ने बजट में विक्रय, हक त्याग व गिफ्ट डीड के दस्तावेजों की रजिस्ट्री होते ही स्वत: नामांतरण (म्यूटेशन) दर्ज कर जमाबंदी को अपडेट करने का प्रावधान किया है।

नामांतरण के लिए किसान और पटवारी जाते हैं तहसील
फिलहाल ई-धरती सॉफ्टवेयर से ही नामांतरण खोले जा रहे हैं। ई-धरती सॉफ्टवेयर की आईडी केवल तहसील के एलआरसी व तहसीलदार के पास ही है। ऐसे में पटवारी को तहसील आकर नामांतरण आवेदन का प्रिंट लेना पड़ता है। कागज पर ही पटवारी की रिपोर्ट होती है। किसान उस कागज को लेकर गिरदावर के पास जाता है। गिरदावर की जांच रिपोर्ट के बाद वापस तहसील या ग्राम पंचायत में जाकर नामांतरण दर्ज करवाना पड़ता है।

ऑनलाइन सिस्टम बंद, किसानों को नहीं मिल रहा बैंक लोन

कृषि लोन व केसीसी का ऑनलाइन सिस्टम पांच महीने से बंद है। पहले किसान का बैंक से लोन स्वीकृत होते ही जमाबंदी में रहन नामांतरण की ऑनलाइन प्रक्रिया हो जाती थी और बैंक किसान को लोन की राशि का पेमेंट कर देता था। लेकिन अब धारा 61 की कार्यवाही ऑनलाइन बंद है बैंक से लोन स्वीकृत होने के बाद ऑफलाइन रहन नामांतरण की प्रक्रिया होती है। किसान को बैंक, पटवारी व तहसील के चक्कर लगाने पड़त रहे हैं। कई किसानों को 4 माह से कृषि लोन नहीं मिल रहे हैं।

इससे भ्रष्टाचार के प्रकरण भी बढ़े हैं।

"रहन व नामांतरण की ऑनलाइन प्रक्रिया और राजस्व अधिकारी एप का मामला सरकार स्तर का है। सब हड़ताल पर हैं। हम क्या कर सकते हैं।"
-अरविंद कुमार सेंगवा, एडिशनल कमिश्नर, भू-प्रबंध विभाग