जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

शहर में कई पशुपालक गायों में दूध की मात्रा बढ़ाने के प्रलोभन में पशु और हमारे स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। वे गायों को हानिकारक ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगा रहे हैं, जो दूध के जरिये इंसानों में पहुंच नुकसान पहुंचा रहा है। यह पुरुषों को नपुंसक बनाने के साथ ही डायबिटीज व किडनी रोग का कारण भी बन रहा है।

महिलाओं में महावारी अनियंत्रित कर रहा है। वहीं बच्चे समय से पहले वयस्क जैसे होने लगे हैं। मिल्कमैन कॉलोनी के पशु बाड़ों में यह इंजेक्शन खुलेआम बिकने की शिकायत पर भास्कर ने वहां के बाड़ों में जाकर देखा तो शिकायत सही पाई गई।

भास्कर टीम ने मिल्कमैन कॉलोनी क्षेत्र में स्टिंग करके दो जगहों से तीन बोतलें खरीदी। जहां 200 एमएल की बोतल भी 50 रुपए थी और 150 एमएल की बोतल भी 50 रुपए में मिली। इन सभी के बावजूद औषधि नियंत्रण संगठन विभाग व प्रशासन आंखें मूंद कर बैठा है।

हालांकि इस इंजेक्शन का इस्तेमाल में महिलाओं की प्रेग्नेंसी व दुधारू पशुओं की प्रेग्नेंसी सहित बीमारियों में किया जाता है। इस इंजेक्शन का मूल उद्देश्य गायनी रोगों से संबंधित है, लेकिन पशुओं के जरिए ये इंजेक्शन दूध से मानव शरीर में पहुंच नुकसान पहुंचा रहा है।

मिल्कमैन कॉलोनी की गली नं. 3 व 13 से 100 रुपए में खरीदी दो बोतलें

भास्कर टीम ने मिल्कमैन कॉलोनी क्षेत्र में रैकी की। करीब दो घंटे तक मिल्कमैन कॉलोनी में जगह-जगह ऑक्सीटोसिन की उपलब्धता को लेकर जानकारी जुटाई। इसके बाद गली नं. 3 में एक जगह से दो बोतलें ऑक्सीटोसिन की खरीदी। जिसके सौ रुपए लिए गए। इसके बाद मिल्कमैन कॉलोनी के गली संख्या 13 में एक जगह से भास्कर ने सफेद प्लास्टिक की बोतल वाला इंजेक्शन 50 रुपए में खरीदा।

जबकि इस इंजेक्शन की 150 एमएल व 200 एमएल दोनों की दर एक जैसी वसूली गई। जहां पशुपालकों के बाड़े बने हुए हैं, इनमें से कुछेक स्थानों पर जमकर ये इंजेक्शन बिक रहे हैं। मिल्कमैन कॉॅलोनी के अलावा भी और भी कई जगहों पर इनके बिकने की सूचना है।

चौहटा व्यापारी बोले- हमने कह रखा है इंजेक्शन लगा दूध नहीं लेंगे
जोधपुर खांडा फलसा दुग्ध उत्पादक विकास समिति के अध्यक्ष पुखराज सोलंकी ने बताया कि चौहटे में ज्यादातर दूध झालामंड, बोरानाड़ा व मिल्कमैन कॉलोनी आदि क्षेत्रों से आता है। इंजेक्शन लगाने वाले पहले बहुत थे, अब कम है। बाजार के बाहर बैठने वाले गायों को ऐसा इंजेक्शन लगा दूध बेचते होंगे। हम इसके खिलाफ है। हमने तो ऐलान कर रखा है कि कोई ऐसा इंजेक्शन नहीं लगाएगा।

पशुओं की बीमारी का इंजेक्शन, दूध बढ़ाने का नहीं

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. संजय कृष्ण व्यास ने बताया कि दूधारू पशुओं में इसका उपयोग बहुत है। ये मिल्क बढ़ाने के साथ उनकी बॉडी रिलेक्स, एग व स्पर्म रिलीज आदि करने का कार्य करता है। लेकिन कोई अति कर रहा है तो खराब है।

यदि कोई पशुपालक लंबे समय तक गाय को इंजेक्शन लगा रहा है तो उसके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इस इंजेक्शन की लाइफ तीन मिनट की होती है, जो बाद में बाहर आ जाता है। ये एक हार्मोन है, जो बॉडी खुद बनाती है। इसका उपयोग पशुओं की बीमारी तक ठीक है।

इंसानों के लिए यह इंजेक्शन बेहद घातक, इसलिए प्रतिबंधित किया

ये हमारे शरीर के लिए खतरनाक है। ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगी गायों का दूध पुरुषों के शरीर को धीरे-धीरे महिला बनाता है। इसका प्राइमरी उद्देश्य ही फिमेल की ब्रेस्ट से दूध निकालना है। ज्यादा मात्रा में गायों को देने से ऑक्सीटोसिन दूध के जरिए बाहर आता है और हमारे शरीर में पहुंचता है। इसलिए इसे प्रतिबंधित कर रखा है।

ये बेसिकली हार्मोन है, ये हमारा डायबिटिक मेटाबोलिज्म भी प्रभावित करता है। महिलाओं की महावारी अनियंत्रित होती है। पेट में दर्द व सिरदर्द तक होता है। हार्ट को भी प्रभावित करता है।