जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

संगठित गिरोह बनाकर सरकारी डाॅक्टराें काे लाखाें रुपए का ऋण दिलवाने के मामले में जिन बैंकाें ने सरकारी डाॅक्टराें काे लाखाें रुपए का ऋण दिया उन डाॅक्टराें काे बिना पूरी जानकारी के ऋण दे दिया।

लाेन देने की वेरीफाई के लिए जाे बैंक अधिकारी नियुक्त हाेता था, आराेपी उसे लाेन की कुछ प्रतिशत राशि देते थे। इसके चलते बैंक अधिकारी डाॅक्टराें काे बैंक में बुलाए बिना ही ऋण स्वीकृत कर देते थे।

यह जानकारी आराेपी डॉ.रामलखन डिसानिया व उसकी महिला मित्र नेहा जैन से सांगानेर थाना पुलिस की पूछताछ में सामने आई। पुलिस ने दाेनाें आराेपियाें काे मंगलवार काे गिरफ्तार किया है।

वे तीन दिन की रिमांड पर चल रहे हैं। आराेपी नेहा जैन एसएमएस नर्सिंग काॅलेज की छात्रा थी। पढ़ाई के दाैरान ही डॉ. रामलखन डिसानिया के संपर्क में आ गई थी। इसके बाद अमित शर्मा काे भी अपने साथ लेकर गिराेह संगठित किया था।

डॉक्टरों को एक लाख रुपए पर प्रतिमाह 10 हजार मुनाफे का लालच दिया

एसीपी राम सिंह ने बताया कि आराेपी डॉ. रामलखन डिसानिया के डाॅक्टर हाेने के कारण उस पर सरकारी डॉक्टरों ने विश्वास कर लिया।

आराेपी ने इसका फायदा उठाकर डॉक्टरों को ऋण दिलवाने के बाद ऋण की राशि को स्वयं द्वारा संचालित व्यवसाय में निवेश करवा कर प्रतिमाह दस हजार से एक लाख रुपए तक के मुनाफे का लालच दिया।

आरोपियों ने डॉक्टरों को फार्मा, माइनिंग व प्रॉपर्टी में निवेश कर एक फर्म बनने का झांसा दिया। इसके अलावा उन्हें आईफोन, ऑडी, बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी कारें कम ब्याज पर दिलवाने का भी प्रलोभन दिया था।

बैंक सरकारी डाॅक्टराें काे ऋण जल्दी स्वीकृत देते थे
आराेपियाें ने पुलिस काे बताया कि सरकारी डाॅक्टराें काे बैंक अधिकारी जल्दी ऋण स्वीकृत करते थे। इसीलिए उन्हाेंने सरकारी डाॅक्टराें काे ही लालच देकर फंसाया। वे करीब 80 डॉक्टर्स के साथ करोड़ों रुपए ठगी कर चुके लेकिन अब तक 25 ही मुकदमें दर्ज हैं। अब अन्य ठगी के शिकार डाॅक्टर भी पुलिस से संपर्क कर रहे हैं।