जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

रक्षा मंत्रालय ने देशभर में 62 सैन्य छावनी परिषदों को समाप्त करना शुरू कर दिया है। मंत्रालय का तर्क है रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा छावनियों के क्षेत्रों के विकास पर खर्च हो रहा है। छावनियों के नागरिक क्षेत्रों के विस्तार के लिए सेना की जमीनों की जरूरत पड़ती है। इस फैसले से राजस्थान की नसीराबाद सैन्य छावनी परिषद खत्म होगी। इस प्रक्रिया के बाद छावनी परिषद सैन्य क्षेत्र मिलिट्री स्टेशन में तब्दील हो जाएगी। सिविल एरिया के लिए लिए पालिका का गठन होगा। एमओडी ने सबसे पहले हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित योल छावनी परिषद का अस्तित्व समाप्त करने का आदेश जारी किया है।

जोधपुर स्थित रक्षा संपदा विभाग के सूत्रों का कहना है कि आने वाले कुछ ही दिनों में नसीराबाद छावनी परिषद को भंग करने का आदेश जारी होगा। इसके लिए स्थानीय स्तर से सारी तैयारियां हो चुकी हैं। एमओडी को सिविल एरिया, सैन्य एरिया, आबादी, वार्ड सहित महत्वपूर्ण जानकारियां भेज दी गई हैं। गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कई बार कह चुके हैं कि सेना में ब्रिटिश परंपराओं को खत्म किया जाएगा। इसके अंतर्गत होने वाली सेरेमनी पर भी रोक लगेगी।

गौरतलब है कि विद्रोह रोकने के लिए अंग्रेजों ने 1818 में नसीराबाद सैन्य छावनी परिषद बनाई थी। यह राजस्थान के बीच में सबसे सुरक्षित इलाका था। यहां की छावनी परिषद 5601.870 एकड़ में है। इसमें 216.4557 एकड़ नागरिक एरिया है। आबादी 50804 है, इसमें 36908 आम नागरिक हैं। सिविल एरिया 8 वार्डों में फैला हैं, इसका नियंत्रण छावनी बोर्ड के पास हैं।

राज्य सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा
छावनी परिषद के नागरिकों को अभी राज्य सरकार की योजनाओं का सीधा लाभ नहीं मिलता था। लेकिन अब योजनाओं का फायदा मिलेगा। कैंटोनमेंट बोर्ड से मिलिट्री स्टेशन बनने के बाद सेना भी अपने एरिया पर फोकस कर सकेगी। छावनी के नागरिकों को नए भवनों के निर्माण, भवन की ऊंचाई बढ़ाने, वाणिज्यिक निर्माण और कन्वर्जन, सफाई, सीवरेज, रोशनी, सड़क के लिए सेना के पास नहीं जाना पड़ेगा।