बीकानेर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान के आठ जिलों में 6 मई से पानी का संकट हो सकता है। संकट इतना बड़ा है कि पुलिस को इंदिरा गांधी नहर पर तैनात रहने के निर्देश दिए गए हैं। पानी के संकट से गावों में सबसे ज्यादा हालात बिगड़ेंगे। जो 6 जून तक बना रहेगा।

दरअसल, इंदिरा गांधी नहर की सफाई और मरम्मत के लिए हर वर्ष होने वाली नहरबंदी पिछले दिनों नहीं हो पाई। अब 6 मई से असर दिखना शुरू हो जाएगा। बीकानेर सहित पश्चिमी राजस्थान के अधिकांश जिलों को नहर से पांच मई तक ही पानी मिल सकेगा। इसके बाद स्टोरेज हुए पानी से ही वाटर सप्लाई करनी पड़ेगी। बीकानेर में छह मई से ही व्यवस्था गड़बड़ाने तय है, जबकि अन्य जिलों में इसके एक-दो दिन बाद असर दिखना शुरू होगा।

दरअसल, पंजाब में नहर की मरम्मत के लिए हरिके बेराज से बुधवार को पानी पूरी तरह बंद कर दिया गया है। इससे पंजाब के साथ राजस्थान में भी पानी नहीं आ रहा। पहले से चल रहा पानी ही आगे पहुंच रहा है, जो धीरे धीरे बंद हो जाएगा। अब तीस जून को हरिके बेराज से पानी छोड़ा जाएगा। जो पांच जून तक ही इंदिरा गांधी नहर के बीकानेर, जोधपुर, बाडमेर, जैसलमेर के हिस्से को मिल पाएगा।

दो हिस्सों में नजर बंदी
इंदिरा गांधी नहर बंदी दो हिस्सों में होती है। पहले सिंचाई के लिए पानी बंद किया जाता है। इस बार तीस दिन पहले सिंचाई का पानी बंद हो गया। फिर पीने का पानी बंद किया जाता है। अब पीने का पानी बुधवार से बंद हुआ है।

पंजाब में हो रहा है काम
इस दौरान राजस्थान में कम और पंजाब में मरम्मत का काम ज्यादा होता है। नहर में पानी नहीं होने की स्थिति में राजस्थान में ज्यादातर सिल्ट (मिट्‌टी व गाद) निकालने का काम होता है, जबकि पंजाब में नहर की रिलाइनिंग की जाती है। इस बार भी आरडी चार सौ के नीचे ही काम चल रहा है।

इस बंदी का असर बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू में पानी पर आएगा। इन जिलों में जहां इंदिरा गांधी नहर का पानी दिया जाता है, उन क्षेत्रों में पहले से स्टोरेज पानी की ही सप्लाई हो सकेगी। ऐसे में स्टोरेज पानी के आधार पर पानी आगामी दिनों के लिए बांट दिया जाएगा। बड़ी कृत्रिम झीलें होने से बड़े शहरों में तो एक दिन के अंतराल से पानी की आपूर्ति होगी, लेकिन जिन गांवों में डिग्गी में उपलब्ध पानी का वितरण होता है, वहां वाटर सप्लाई में दो से तीन दिन का अंतराल भी हो सकता है। छोटी डिग्गी वाले गांवों में इससे भी ज्यादा अंतर आ सकता है।

कितना पानी चाहिए?
जलदाय विभाग हर रोज प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की सप्लाई करता है। पांच मई तक तो इतना पानी मिलेगा, लेकिन छह मई से ये व्यवस्था आधी हो जाएगी। तब एक दिन के अंतराल से पानी मिलेगा यानी एक दिन पानी आएगा और दूसरे दिन नहीं आएगा। ऐसे में प्रति व्यक्ति करीब 68-70 लीटर पानी ही प्रति व्यक्ति मिल सकेगा।

बीकानेर शहर की व्यवस्था

बीकानेर शहर में वाटर सप्लाई के लिए दो बड़ी झीलें फिलहाल लबालब भरी हुई हैं। विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेश राजपुरोहित का कहना है कि दोनों झीलों में पंद्रह सौ मीट्रिक लीटर (ML) पानी है। इससे बीकानेर को तीस दिन सप्लाई की जाएगी। बीकानेर में शोभासर व बीछवाल स्थित जलाशय ही बीकानेर शहर की प्यास बुझाते हैं।

गांवों में ये है व्यवस्था

बीकानेर के गांवों में 376 डिग्गियां बनी हुई है। सभी इंजीनियर्स को आदेश दिए गए हैं कि वो हर हाल में सभी डिग्गियों का स्टोरेज फुल कर लें। गांवों में तीन तरह की डिग्गियां है। इसमें कुछ आठ दिन ही पानी की सप्लाई करने में सक्षम है। वहीं, कुछ 15 और कुछ 21 दिन तक सप्लाई कर सकती हैं। जहां आठ दिन की क्षमता है। वहां तीस दिन तक सप्लाई करने के लिए चार दिन के बाद पानी देना पड़ सकता है। इसी तरह 21 दिन जलापूर्ति की क्षमता वाली डिग्गियों से हर दूसरे दिन पानी दिया जाएगा।

जहां शून्य लीटर पानी, वहां टैंकर

राजेश राजपुरोहित ने बताया- विभाग के नियमों के मुताबिक किसी भी क्षेत्र को शून्य लीटर सप्लाई वाला नहीं रखा जाएगा। ऐसे क्षेत्रों में टैंकरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा। गांव व शहर में टैंकरों से जलापूर्ति के लिए विभाग ने कांट्रेक्ट कर लिए हैं। रेट भी तय कर ली गई है।

नहर बंदी से पहले ब्रांचों में पानी

नहरबंदी शुरू होने से पहले बीकानेर और श्रीगंगानगर की अधिकांश नहरी ब्रांचों में पानी दिया गया है। ताकि पीने के लिए गांवों में स्टोरेज हो सके। मंगलवार को अनूपगढ़ ब्रांच, पूगल ब्रांच, चारण वाला ब्रांच, वीर तेजाजी लिफ्ट और कोलायत लिफ्ट में पानी आ गया। विभाग के इंजीनियर्स को मौके पर भेजा गया है। ताकि सभी डिग्गियों को भरा जा सके। अगले तीन दिन में कुल 376 डिग्गियों को भरने का लक्ष्य है।

सिंचाई के लिए पूरी तरह बंद

सिंचाई के लिए पानी एक महीने पहले ही बंद हो गया था। अब सिर्फ पीने के पानी की आपूर्ति हो रही है। अब पांच मई बाद ये आपूर्ति भी बंद हो जाएगी। इससे नहरी क्षेत्र में बड़ा जल संकट खड़ा होना तय माना जा रहा है। इस दौरान अगर कोई किसान पानी का उपयोग सिंचाई के लिए करेगा तो उसके खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जाएगी। अब तक तीन-चार किसानों के खिलाफ मामले दर्ज भी हो गए हैं। इंदिरा गांधी नहर के अधिशासी अभियंता ललित शर्मा ने बताया- नहरी क्षेत्र में लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है।

पुलिस भी मुस्तैद रहेगी नहरों पर

इंदिरा गांधी नहर में इतना भारी जल संकट आने वाला है कि पानी की रक्षा भी हथियारबंद जवान लगाए गए हैं। राज्य सरकार ने नहरी क्षेत्र के थानों में कार्यरत पुलिसकर्मियों को नियमित गश्त करने के आदेश दिए हैं। बीकानेर के नाल, बीछवाल थाने की पुलिस अपने अपने क्षेत्र में गश्त कर रही है। अगर कोई किसान पानी की चोरी करता मिलेगा, तो उस पर कार्रवाई होगी।

कई गांवों में पहले से संकट

उधर, बीकानेर के कई गांवों में बिना नहर बंदी ही जल संकट खड़ा है। श्रीडूंगरगढ़ में वैसे तो अधिकांश गांवों में कुएं के पानी से सिंचाई होती है, लेकिन यहां भी पानी का संकट है। श्रीडूंगरगढ़ में नहर से पानी नहीं जाता, लेकिन डिग्गियों में पानी यहां भी नहीं है। कहीं डिग्गी छोटी है। आबादी अब बढ़ गई। जोधासर के निवासियों ने अधीक्षण अभियंता को ज्ञापन देकर पानी की सप्लाई सुधारने की डिमांड की है।

हर साल होती है नहरबंदी

हिमाचल प्रदेश से पानी लेकर पश्चिमी राजस्थान के शहरों व गांवों की प्यास बुझाने वाली इंदिरा गांधी नहर में हर साल नहर बंदी होती है। इस दौरान नहर के फीडर्स की मरम्मत और रिलाइनिंग का काम होता है। कई जगह से नहर लगातार पानी में डूबे रहने के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है। लंबी चौड़ी नहर को दुरुस्त करने के लिए हर बार नहर में पानी की आपूर्ति रोककर मरम्मत का काम होता है।

मई-जून की गर्मी में ही क्यों?

दरअसल, इस समय किसानों की नहर पर निर्भरता कम होती है। रबी के बाद और खरीफ के मौसम की शुरुआत के बीच में नहर बंद की जाती है। ताकि किसानों की सिंचाई में दिक्कत नहीं हो। हर बार नहर विभाग मरम्मत कार्यों का सर्वे करता है। इसके बाद एक महीने के अंतराल में युद्ध स्तर पर काम किया जाता है। हर बार सिंचाई का पानी साठ दिन तक रोका जाता है, जबकि पीने का पानी तीस दिन तक रोक लिया जाता है।