जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

ब्लड में बनने वाले खून के थक्के अगर दिमाग में पहुंच जाएं तो मरीज को लकवा मार सकता है। इससे बचने के लिए मरीज को ताउम्र खून को पतला करने की दवाएं खानी पड़ती हैं। हालांकि ऑपरेशन कर दिल में एक डिवाइस लगा दी जाती है जो दिमाग तक खून के थक्के पहुंचने से रोकती है। प्राइवेट हॉस्पिटल में यह ऑपरेशन 7 लाख में होता है।

यह जानकारी हम आपको इसलिए दे रहे हैं क्योंकि इसी तरह के 4 ऑपरेशन सोमवार को जोधपुर के एमडीएम (मथुरा दास माथुर) हॉस्पिटल में फ्री किए गए हैं। यहां कार्डियोलॉजी विभाग ने 4 मरीजों के दिल में बटननुमा डिवाइस लगाई। ये चारों ऑपरेशन निशुल्क किए गए। राजस्थान में यह पहली बार है जब सरकारी अस्पताल में एट्रियल फ्रिब्रिलाइजेशन (खून के थक्के से लकवे की संभावना) से पीड़ित मरीजों का फ्री ऑपरेशन किया गया है। इस उपलब्धि पर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल दिलीप कच्छावा और एमडीएम हॉस्पिटल के अधीक्षक विकास राजपुरोहित ने कार्डियोलॉजी विभाग की टीम को बधाई दी।

दिमाग तक पहुंच जाते हैं खून के थक्के

अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ रोहित माथुर ने बताया- दिल के कोने में खून जमा हो जाता है। कई बार दिल के उस हिस्से से खून के थक्के निकलकर दिमाग में चले जाते हैं। ऐसे मरीजों को लकवा होने की संभावना बनी रहती है।

इसे रोकने के लिए मरीज को खून पतला करने की दवाएं ताउम्र खानी पड़ती हैं। बुजुर्ग मरीज इन दवाओं का लगातार सेवन करें तो शरीर के अन्य हिस्सों से ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। उनकी जान भी जा सकती है। हमने ऐसे ही 4 मरीजों का सफल ऑपरेशन किया है।

मरीजों का ऑपरेशन कर दिल में एक डिवाइस (लेफ्ट एट्रियल एपेंडेजस क्लोजर) लगाई है। पैर की नस से एंजियोप्लास्टी के जरिए तार के साथ बटननुमा डिवाइस लगाकर लेफ्ट एट्रियल एपेंडेजस को बंद किया। फिर दिल के निष्क्रिय भाग में पड़े खून के थक्कों को शरीर के अन्य हिस्से में जाने से रोकने के लिए डिवाइस फिट कर दी। यह डिवाइस खून के थक्के को दिमाग में जाने से रोकेगी। इससे भविष्य में मरीज को लकवा होने वाली समस्या नहीं होगी।

दिल्ली-मुंबई में होते हैं इस तरह के ऑपरेशन

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ.पवन सारडा ने बताया- इस तरह के ऑपरेशन आम तौर पर दिल्ली-मुंबई में होते हैं। हमारे पास जब इस तरह के केस आए तो पहले मरीज की काउंसिलिंग की। उन्हें भरोसा दिया कि इस सरकारी हॉस्पिटल में आपका ऑपरेशन करने की सभी सुविधाएं हैं, साथ ही बेहतर इलाज होगा।

हमने उन्हें बताया कि मुख्यमंत्री चिरंजीवी नि:शुल्क बीमा योजना के तहत फ्री इलाज होगा। मरीज और उनके परिजन काउंसिलिंग में तैयार हो गए। इसके बाद चारों ऑपरेशन भी सफलतापूर्वक हो गए। इतना ही नहीं, इलाज के 24 घंटे के बाद मरीजों को छुट्टी भी दे दी। सभी स्वस्थ हैं।

इस तरह से चली प्रक्रिया

पैर की नस से तार से बटननुमा डिवाइस (लेफ्ट एट्रियल एपेंडेजस क्लोजर) को दिल तक पहुंचाया। दिल के दायें हिस्से से डिवाइस ले जाकर लेफ्ट हिस्से में इफेक्टिव एरिया में लगा दिया। डिवाइस क्लोटिंग (खून का थक्का बनना) को वहीं रोक देता है। शरीर के अन्य हिस्सों में क्लोटिंग ब्लड को जाने से रोकेगा।

फ्री हुआ 7 लाख का ऑपरेशन

मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना के तहत इन मरीजों का फ्री इलाज हुआ। आमतौर पर इस ऑपरेशन में 5-7 लाख का खर्च आता है। जोधपुर का मथुरा दास माथुर हॉस्पिटल हार्ट सुपर स्पेशियलिटी मॉडल सेंटर बन गया है।

बीकानेर में भी देंगे ट्रेनिंग

कार्डियोलॉजी विभाग की उपलब्धि पर डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ दिलीप कच्छवाह ने कहा- जोधपुर का MDM हॉस्पिटल मॉडल सेंटर के तौर पर दूसरे जिलों के अस्पतालों के डॉक्टरों को भी ट्रेनिंग देगा।

बीकानेर के PBM हॉस्पिटल में जाकर एक्सपर्ट सेवाएं देंगे। महीने में दो-तीन बार जोधपुर के एक्सपर्ट डॉक्टर वहां जाकर डॉक्टरों को हार्ट के इलाज की ट्रेनिंग देंगे।

1 महीने में 1 करोड़ का फ्री इलाज

मथुरा दास माथुर हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने कहा- चिरंजीवी बीमा योजना की लोकप्रियता इस कदर है कि दूसरे स्टेट के डॉक्टर भी हमें फोन करके पूछते हैं, क्या वाकई यहां पर फ्री इलाज होता है।

हाल ही में दूसरे राज्यों से एक्सपर्ट डॉक्टर एमडीएम हॉस्पिटल आए थे। उन्होंने नि:शुल्क बीमा योजना की प्रोसेस देखी। मार्च महीने में एमडीएम हॉस्पिटल के कार्डियक डिपार्टमेंट में मरीजों का 1 करोड़ रुपए का फ्री इलाज हो चुका है।

कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अनिल बारूपाल ने बताया कि कार्डियक डिपार्टमेंट में साल 2011 से अब तक 10 हजार एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक की जा चुकी हैं। डिपार्टमेंट की सुविधाओं को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के अधीन डॉक्टर्स अपने परिजनों का इलाज भी इसी विभाग में करवाते हैं।