कोटा ब्यूरो रिपोर्ट।  

कोटा नगर निगम की गौशाला में गायों की मौतों का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। गौशाला में तमाम सुविधाएं होने के बावजूद भी रोज गायों की मौत हो रही है। मंगलवार को भी 18 गायों की मौत रिकॉर्ड हुई है। अब तक गौशाला समिति चैयरमेन जितेंद्र सिंह का दावा था कि गौशाला में बीमार गायों को लाया जाता है। इसकी वजह से उनकी मौत होती है। लेकिन अब स्वस्थ गाय भी मौत का शिकार हो रही है। निगम की बंधा धर्मपुरा गौशाला में गायों की मृत्यु दर बढ़ रही है।

यह स्थिति तब है जब निगम की गौशाला में गायों को हरा चारा व भूसा भी भरपूर मिल रहा है। बंधा धर्मपुरा स्थित गौशाला में सामान्य तौर पर 8 से 10 गायों की मौत हर दिन होती रही है। पिछले कई दिन से यह संख्या बढ़कर 15 से ज्यादा चल रही है। कोटा को कैटल फ्री बनाने के लिए यूआईटी और निगम लगातार गौवंशों को पकड़कर गौशाला भिजवा रहे हैं। अब यहां रोज गौवंश तो आ रहे हैं लेकिन इन्हें रखने की जगह की भी दिक्कत है। बंधा गौशाला में वर्तमान में 3900 से ज्यादा गौवंश है। जबकि यहां दो हजार तक की क्षमता है। गौशाला समिति अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह ने गौवंशों की मौतों को लेकर कहा कि गौशाला में ज्यादातर बीमार गाय आती है। उनकी मौत इलाज के दौरान होना समझ आता है लेकिन जो स्वस्थ गौवंश है उनकी भी मौतें हो रही है। अभी सभी गोवंशों के पेट के कीड़े मारने के टीके लगाए गए।

उन्होंने कहा कि यहां जिला पशु चिकित्सालय के डॉक्टर्स आकर चेक तक नहीं करते। इलाज भी करने नहीं आते। निगम के लगाए कंपाउंडर से ही इलाज करते है। समिति ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर मांग की है कि गौशाला में डॉक्टर्स की टीम गठित कर भेजी जाए जो जांच का पता लगाए कि गोवंशों की मौत के क्या कारण है। बीमार गायों में ज्यादातर बाहर कचरा, थैली खाती है ऐसे में इनके पेट में थैली जम जाती है। गौशाला में उन्हें पूरी मात्रा में चारा और भूसा मिलता है। पेट में थैलियां जमा होने के चलते इनका स्वास्थ्य और खराब होता है और एक बार यह बैठ जाए तो फिर उठ नहीं पाती है। लेकिन ठीक गोवंशों की मौत चौकानें वाली है।