जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

राजस्थान में शराब पीने वाले शौकीन लोगों के लिए ये खबर जरूरी। आबकारी विभाग ने विदेश से इम्पोर्ट होकर भारत में आने वाली शराब की रेट्स निर्धारित की है। पिछले साल (अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक) विभाग ने इन शराब की रेट्स का निर्धारित नहीं की थी। इसके कारण ये गैरकानूनी तरीके से राजस्थान के ठेकों पर बिक रही थी, जो पास के राज्य उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा से मंगवाई जा रही थी। इस बार आबकारी विभाग ने जो रेट्स इन शराब की तय की है। उसकी एमआरपी भी बढ़ाई है।

आबकारी सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में पिछले साल विभाग की ओर से विदेशी शराब की रेट्स तय कर दी थी, लेकिन कंपनियों ने उसे मानने से मना कर दिया था। इस कारण अधिकांश दुकानों, बार और होटल में जो शराब बेची गई वह सब गैरकानूनी थी। इससे विभाग को करोड़ों रुपए के रेवेन्यू का नुकसान हुआ। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर समेत प्रदेश के तमाम बड़े होटल (3 सितारा या उससे ऊंची कैटेगिरी के) और बार में विदेशी शराब की बिक्री सबसे ज्यादा होती है। इसके अलावा होटलों में होने वाले आयोजन और पार्टी में भी अधिकांशत: विदेशी शराब ही दी जाती है।

150 करोड़ रुपए का मिलता है रेवेन्यू

सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में एक साल में अलग-अलग ब्रांड की विदेशी शराब की 2 लाख से ज्यादा पेटियां बिकती है। एक पेटी पर अलग-अलग मद में सरकार को करीब 6 से लेकर 7 हजार रुपए का रेवेन्यू मिलता है। इस तरह एक साल में सरकार को करीब 150 करोड़ रुपए से ज्यादा का रेवेन्यू विदेशी शराब से मिलता है।

15 से ज्यादा ब्रांड की रेट्स निर्धारित, एमआरपी भी बढ़ाई
राजस्थान में अभी तक देशी और भारत निर्मित अंग्रेजी और विदेशी शराब ही कानूनी रूप से बिकने के लिए अधिकृत थी। लेकिन अब विभाग ने 15 विदेशी शराब (जो बाहर से बनकर आती है) के ब्रांड की रेट्स तय कर दी है। इसमें 1600 रुपए से लेकर 12870 रुपए तक की शराब है। इन शराब की एमआरपी को सरकार ने अब 10 फीसदी तक बढ़ाया है। जो शराब एक साल पहले तक 2 हजार रुपए की आती थी वह अब 2200 से 2300 रुपए में आ रही है।

जयपुर में 14 दुकानों की दोबारा होगी नीलामी
सरकार के बड़े रेवेन्यू सोर्स में से एक शराब की दुकानें इस बार अब तक पूरी नहीं उठी। जयपुर में 14 ऐसी दुकानें है जो 2 बार नीलामी करने के बाद भी नहीं उठी है। अब विभाग ने इन दुकानों की रिजर्व प्राइज को 25 फीसदी तक कम करके वापस नीलाम करने का फैसला किया है। दुकानें नहीं उठने के पीछे बड़ा कारण कॉम्पीटिशन है। क्योंकि इन दुकानों के आसपास खुली दुकानों के संचालक नीलामी में बड़ी बोली लगाकर नीलामी को रोक देते है और दुकान भी नहीं उठाते।