उदयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

एनआरआई से 1.12 करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में गिरफ्तारी व निलंबन के 95 दिन बाद डीएसपी जितेंद्र आंचलिया को सोमवार को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। साथ ही इसी मामले में दलाल मनोज श्रीमाली को भी जमानत मिली है। जमानत के साथ कोर्ट ने इन्हें पोसपोर्ट जमा करवाने को कहा है।

अब मामले में दो अन्य आरोपी अभिरक्षा में रह गए हैं। इनमें निलंबित थानेदार व नाथद्वारा नगर पालिका वार्ड-20 के पार्षद रमेश राठौड़ शामिल हैं। वहीं, दो आरोपी अंकित मेवाड़ा व लवलीना की गिरफ्तारी पर 20 मई तक रोक है।

जमानत अर्जी में बचाव पक्ष ने ये दी दलील
जोधपुर हाइकोर्ट में आंचलिया और श्रीमाली की ओर से जमानत अर्जी दी गई। बचाव पक्ष ने कहा कि परिवादी एनआरआई नीरज पूर्बिया का आंचलिया के पास कोई काम बाकी नहीं था और न उन्होंने रिश्वत मांगी। परिवादी ने कितनी रिश्वत दी, इसका खुलासा भी आरोप पत्र में नहीं है। संपत्ति नीरज के भाई की पत्नी लवलीना की थी, परिवादी की नहीं। कॉल डिटेल में भी केवल सुखेर थाने के निलंबित एसआई रोशनलाल से बातचीत का जिक्र है।

श्रीमाली के वकील ने कहा परिवाद में उसका नाम नहीं है। उसकी केस से जुड़े किसी भी व्यक्ति से भी फोन पर बात नहीं हुई। अतिरिक्त महाअधिवक्ता की दलील पर जस्टिस मदन गोपाल व्यास ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी हो गई है और आरोप पत्र भी पेश हो चुका। दोनों काफी समय से जेल में हैं। फैसला होने तक आंचलिया और श्रीमाली अपने पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराएं। आंचलिया ऐसा कुछ न करें, जिससे गवाह प्रभावित हों।

जमीन को विवादित बनाने की साजिश, 1.12 करोड़ की रिश्वत
सहेली नगर के नीरज पूर्बिया ने एसीबी में शिकायत दी थी कि मर्यादा नगर में उसकी 32 हजार वर्गफीट जमीन है। इसे डीएसपी आंचलिया, सुखेर थाने के निलंबित एसआई रोशनलाल, दलाल मनोज और नाथद्वारा के पार्षद रमेश राठौड़ (जैन) ने नीरज की भाभी लवलीना से मिलीभगत कर पहले विवादास्पद बनाई। फिर उसे वापस खरीदने के लिए दबाव बनाया था। रजिस्ट्री के 71 लाख समेत 1 करोड़ 12 लाख लिए गए। एसीबी ने 103 फरवरी को आंचलिया को गिरफ्तार किया था।