श्रीगंगानगर - राकेश शर्मा 
राजस्थान सरकार एवं शुगर मिल की भ्रष्ट मैनेजमेन्ट शुगर मिल एवं डिस्टलरी श्रीगंगानगर की 10 वर्षों के लिए निजि हाथों में सोंपकर भष्टाचार का भारी खेला करने जा रही है। कांग्रेस की सरकार का यह अन्तिम वर्ष है। मात्र 6-7 माह चुनाव के बाकी रह गये। इन अन्तिम महिनों में शुगर मिल डिस्टलरी को निजी हाथों में सोंपकर बड़ा घोटाला करने की तैयारी में है।
राज्य सरकार ने 10 वर्ष को निजी हाथों में सौंपने के लिए निविदा आमन्त्रित की गई है। राज्य सरकार शुगर मिल एवं डिस्टलरी को निरन्तर घाटे का सौदा मान कर उक्त निर्णय ले रही है। जब करोड़ों रूपयों के घाटे के लिए शुगर मिल के भ्रष्ट अधिकारी एवं सरकार है। शुगर मिल मैनेजमेन्ट बीहेवी का निर्णय लेकर जहां 2 प्रतिशत रिकवरी कम होने के कारण मिल का करीब 2 करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ ग्लोबल निजी कम्पनी के द्वारा अपना बगास बचाने के लिए प्रतिदिन 55000 यूनिट प्रतिदिन विद्युत का उत्पादन होना था जो कि प्रतिदिन 42000 हजार प्रतिदिन यूनिट का उत्पादन हुआ। जिससे करोडो रूपये का नुकसान हुआ इतना ही नही बी-हेवी चलाने के कारण जितने स्प्रीट बननी चाहिए उसकी रिकवरी भी कम रही। और बनने वाली स्प्रीट भी घटिया बनी। वर्तमान में लगभग 8 लाख वर्ग लीटर स्प्रीट भी टैंको में पड़ी हुई है। इस घटिया बनने वाली स्प्रीट का जिम्मेवार कौन है? और इस घटिया स्प्रीट बनाने वाला कम्पनी का भुगतान इन भ्रष्ट अधिकारियों ने मिलीभगत कर कम्पनी को कर दिया। देशी शराब घटिया स्प्रीट बननेे वाली देशी शराब भी बहुत बद्बुदार के कारण आज बाजार में बिक नहीं है। यह गंभीर जांच का विषय है। शुगर मिल मैनेजमेन्ट के अविवेक निर्णय के कारण इस वर्ष करोड़ो रूपयों खर्च कर गुड़ बनाने का कार्य शुरू किया। इस वर्ष लगभग 300 क्विंटल का गुड का उत्पादन किया। गुड़ का निर्धारित रेट 60 रू. के कारण शुगर मिल का गुड़ आज बाजार में नहीं बिक रहा है। करीब 60 क्विंटल गुड़ मदिरालय झोटवाङा, जयपुर मदिरालय में सड़ रहा है। बाजार में बिक नहीं रहा है, यह निर्णय भी घाटे का रहा है। 10 वर्ष के लिए ठेके पर किसी भी प्राईवेट फर्म को देने का डटकर विरोध किया जायेगा। इस मिल बचाने के लिए ही शीघ्र  आन्दोलन की रूप रेखा मिल को बचाने के लिए तैयार करेगें।