जोधपु ब्यूरो रिपोर्ट। 

बहुचर्चित संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले मामले में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पेश एप्लिकेशन को स्वीकार कर लिया है।

यह एप्लिकेशन शेखावत को स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की ओर से संजीवनी घोटाला मामले में आरोपी मानने के लिए लगाई गई थी। मामले में अगली सुनवाई 30 मई को होगी।

सरकार ने संशोधित एप्लिकेशन पेश की

सरकार की ओर से हाईकोर्ट में आदेश संशोधन प्रार्थना-पत्र दाखिल किया गया था। पहले एसओजी ने संजीवनी घोटाले में शेखावत को आरोपी नहीं बनाया था, इसमें संशोधन करते हुए एसओजी ने शेखावत को इस मामले में आरोपी बनाया और फिर सरकार ने कोर्ट में एप्लिकेशन पेश की, जिसे आज स्वीकार किया गया है।

27 अप्रैल को भी इस मामले में सुनवाई हुई थी। हालांकि समय अभाव के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी थी। शुक्रवार को हुई सुनवाई में जस्टिस कुलदीप माथुर की बेंच ने सरकार की ओर से दाखिल एप्लिकेशन को मंजूर कर लिया।

पहले नहीं माना था आरोपी

13 अप्रैल को राज्य सरकार की ओर से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले में जिरह करते हुए कहा था कि शेखावत को SOG की एफआईआर में न तो आरोपी माना है और न ही गिरफ्तार कर रहे हैं। इस पर हाईकोर्ट ने गजेंद्र सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के बाद उसी दिन एप्लिकेशन में संशोधन के लिए प्रार्थना-पत्र पेश किया गया। सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऑनलाइन होने से ब्रीफिंग के समय सही से समझा नहीं सके।

यह भी कहा कि कोर्ट में एसओजी के जांच अधिकारी भी मौजूद थे। तथ्यात्मक रिपोर्ट के अनुसार शेखावत आरोपी हैं। इसके लिए संशोधन पत्र पेश किया गया, जिसे आज स्वीकार कर लिया गया है।

15 दिन पहले मिली थी कोर्ट से राहत

इससे पूर्व 28 मार्च और 3 अप्रैल को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट जस्टिस मनोज गर्ग और प्रवीर भटनागर की बेंच ने सुनवाई पर इनकार कर दिया था। 13 अप्रैल गुरुवार को हुई सुनवाई में जस्टिस कुलदीप माथुर ने शेखावत को राहत देते हुए एसओजी व राजस्थान में कहीं भी दर्ज एफआईआर पर उनकी संभावित गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और 3 सप्ताह बाद दोबारा सुनवाई के लिए कहा था।

इसके बाद इस मामले में आज सुनवाई हुई, जिसमें राज्य सरकार की ओर से दी गई एप्लिकेशन को स्वीकार कर लिया गया।

संजीवनी मामले पर गहलोत और शेखावत आमने-सामने

संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आमने-सामने हैं। 21 फरवरी को सीएम ने शेखावत समेत उनके परिवार को इस घोटाले का आरोपी बताया था। इसके बाद शेखावत ने मार्च के पहले सप्ताह में गहलोत के खिलाफ दिल्ली की कोर्ट में मानहानि केस दायर किया था।

क्या है संजीवनी घोटाला

राजस्थान सोसायटी एक्ट के तहत साल 2008 में संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी को रजिस्टर्ड कराया गया था। बाड़मेर में शुरुआत हुई थी। साल 2010 में ये सोसायटी मल्टी स्टेट सोसायटी हो गई थी। 12 साल में ही 230 से ज्यादा शाखाएं खुल गईं थी।

इसके प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह मास्टरमाइंड है, जो जेल में बंद है। 1 लाख लोगों से 900 करोड़ की ठगी की गई। फर्जी लोन बांटे और ब्याज नहीं लिया। कुछ निवेशकों ने शिकायत की तो राजस्थान एसओजी को मामला सौंपा। हजारों खाते फर्जी पाए गए। आरोप है कि विक्रम ने निवेशकों का पैसा ऐसी कंपनी के शेयर खरीदने में लगाया, जिसके शेयर होल्डर गजेंद्र सिंह भी थे।