जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट। 

सीनियर टीचर भर्ती पेपर लीक मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने बुधवार को बड़ा खुलासा किया। राजस्थान लोक सेवा आयोग(आरपीएससी) के मेंबर बाबूलाल कटारा ने ही पेपर लीक किया था। कटारा ने वाइस प्रिंसिपल शेरसिंह मीणा को 60 लाख रुपए में पेपर बेचा। शेरसिंह ने 80 लाख रुपए में भूपेंद्र सारण को यह पेपर दिया। एसओजी अफसरों का दावा है कि मामले में फरार चल रहे सुरेश ढाका को भी जल्द ही अरेस्ट कर लिया जाएगा।

एसओजी एडीजी अशोक राठौड़ ने बताया कि शुरुआती जांच में हम लोगों को पता चल गया था कि किसी परीक्षा केंद्र से पेपर लीक नहीं हुआ है। बल्कि आरपीएससी ये ही पेपर लीक हुआ था। इसके बाद इनपुट मिलने के आधार पर विशेष टीम का गठन कर कड़ी से कड़ी जोड़कर कार्रवाई को अंजाम दिया। आखिरी मोहरे तक हम लोग पहुंच सके। गिरफ्तार आरपीएससी के मेंबर बाबूलाल कटारा, उसके भांजे विजय डामोर और ड्राइवर गोपाल को आज कोर्ट में पेश किया गया। 29 अप्रैल तक रिमांड पर भेजा गया है।

एग्जाम से 2 हफ्ते पहले दे दिया था पेपर

राठौड़ ने बताया कि पेपर सेट करने का जिम्मा बाबूलाल कटारा के पास था। कटारा ने पेपर शुरू होने से 2 हफ्ते पहले ही शेर सिंह को हाथ से लिखा पेपर दे दिया था। शेर सिंह ने दो किस्तों में 60 लाख रुपए कटारा को दिए। शेर सिंह ने इस पेपर को जयपुर के शास्त्री नगर थाना इलाके में टाइप करा कर भूपेंद्र सारण को बेच दिया। भूपेंद्र फिर इस पेपर को आगे सर्कुलेट करता चला गया। पेपर को 5 लाख रुपए तक में बेचा गया।

आरपीएससी चेयरमैन से पूछा पेपर का एक्सेस किस-किस व्यक्ति के पास था
एडीजी ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस टीम ने हर जगह सर्च किया। परीक्षा केंद्र से लीक होने का कोई इनपुट नहीं मिला। इस पर आरपीएससी चेयरमैन से संपर्क किया गया। उन्हें कहा- पेपर की चैन ऑफ कस्टडी देखी जाए। इससे पता चल सकेगा की किस-किस व्यक्ति के पास पेपर की एक्सेस था।राठौड़ ने बताया कि दिसंबर से लेकर अप्रैल तक हमारी टीम ने एक-एक कर इस गिरोह के सदस्यों को पकड़ना शुरू कर दिया। इस गिरोह के सदस्यों से हुई पूछताछ के बाद एसओजी को पता चल सका की आरपीएससी के सदस्य ने पेपर लीक किया है। जिस पर मंगलवार सुबह टीम को अजमेर भेजा गया। इसके बाद तीनों आरोपियों की गिरफ्तार हुई।

ड्राइवर ने कटारा और शेर सिंह को मिलवाया
अशोक राठौड़ ने बताया कि पेपर सेट करने की जिम्मेदारी आरपीएससी ने सदस्यों को दी थी। सदस्यों ने पेपर को सेट करवाया। पेपर को प्रिंटिग प्रेस में भेजने की कॉपी सदस्यों के पास थी। जिन्हे कटारा के हाथ से लिख लिया। कटारा का ड्राइवर के जरिए शेर सिंह से संपर्क हुआ था। इसके बाद शेर सिंह पेपर लेकर जयपुर आया।

आरपीएससी ने 6 पेपर एक ही सदस्य से कराए सेट

अशोक राठौड़ ने बताया- जांच के दौरान उन्हें पता करने में बड़ी परेशानी हुई की पेपर किसने सेट किया। आरपीएससी का कहना था कि पेपर सेट करने वालों को गोपनीय रखते हैं। जब जांच की गई तो पता चला कि शेर सिंह को पता था कि पेपर बाबूलाल सेट कर रहा है। इसलिए ड्राइवर के जरिए कटारा से संपर्क किया। इससे आरपीएससी की गोपनीयता का आप पता लगा सकते हैं। हैरानी की बात है कि एक ही सदस्य छह के छह पेपर को सेट कर रहा था। गोपनीयता यहीं खत्म हो जाती है।

शेर सिंह ने कटारा के भांजे को दिया था सोने का कड़ा
एडीजी ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि बाबूलाल कटारा का भांजा विजय कटारा भी एक्टिव है। विजय ने शेर सिंह से एक सोने का कड़ा लिया था। सोने का कड़ा पेपर लीक की प्लानिंग करने के लिए लिया था। शेर सिंह और विजय कटारा के संबंध अच्छे थे। इसलिए विजय ने शेर सिंह से पैसा न लेकर सोने का कड़ा लिया। एसओजी ने वह ज्वेलरी शॉप भी तलाश ली, जिस से विजय के लिए सोने का कड़ा खरीदा गया था।

कटारा को गिरफ्तारी का पहले से था अंदेशा

अशोक राठौड़ ने बताया कि बाबूलाल कटारा यह जान चुका था कि कभी भी उसकी गिरफ्तारी हो सकती है। जब एसओजी के डीआईजी सतवीर सिंह उसके अजमेर स्थित घर पहुंचे तो उसने किसी भी प्रकार का कोई रिएक्शन नहीं किया। प्रारंभिक पूछताछ में कई खुलासे किए हैं। अभी भी पेपर लीक मामले में 10 से अधिक लोग एसओजी की गिरफ्त में नहीं आए हैं। इनकी तलाश की जा रही है।

अब बाबूलाल कटारा समेत तीनों को एक साथ वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह मीणा के सामने बैठाकर पूछताछ की जाएगी। शेर सिंह को पहले ही दस दिन की रिमांड पर लिया जा चुका है। रिमांड पूरी होने के बाद फिर से तीन दिन की रिमांड पर लेने की तैयारी है।

बेरोजगार भांजे को अपने यहां काम पर रखा

आरपीएससी मेंबर बाबूलाल कटारा की पेपर माफिया शेर सिंह मीणा से चार साल पहले दोस्ती हुई थी। शेर सिंह मीणा ने बाबूलाल को आरपीएससी से भर्ती परीक्षाओं के पेपर आउट कर मुनाफा कमाने के लिए मना लिया था। कटारा के मन में पेपर लीक से मिलने वाले पैसों का लालच तो था, लेकिन डर भी था। कटारा पेपर माफिया के ज्यादा संपर्क में नहीं रह सकता था।

RPSC के अधिकारियों और दूसरे कर्मचारियों को उस पर शक हो सकता था। ऐसे में कटारा को किसी विश्वासपात्र की जरूरत थी। डूंगरपुर में रहने वाला कटारा का भांजा विजय डामोर बेरोजगार था। उसे काम की जरूरत थी, इसलिए बाबूलाल ने भांजे विजय को अपने साथ मिला लिया। बाबूलाल अपने घर या बाहर के सभी जरूरी काम विजय से ही करवाता था।

सुरेश ढाका की तलाश में छापे शुरू
अब फरार चल रहे पेपर लीक के मास्टरमाइंड सुरेश ढाका की तलाश में डूंगरपुर और चित्तौड़गढ़ में छापेमारी शुरू कर दी गई है। एसओजी को उसके बारे में कुछ जानकारी मिली है। उसके बाद बुधवार सुबह से सर्च शुरू कर दिया गया है। इस पूरे मामले में अब तक करीब पचास से ज्यादा लोगों को पकड़ा जा चुका है। इसमें बड़ी संख्या में वे अभ्यर्थी हैं, जिन्होंने पेपर के लिए पैसा दिया था।