जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

54 साल पहले जिस जमीन को धर्मार्थ उपयोग के लिए दिया गया था वह समय के साथ अब बेशकीमती हो चुकी है। इस जमीन को फायदे के लिए बेचने और इस पर एकल कमर्शियल पट्टा जारी होने का खुलासा हुआ है। इसके बाद इस मामले में जेडीए के उपायुक्त को सस्पेंड कर दिया गया है। राज्य सरकार तक पहली बार यह मामला पहुंचने पर आगे और भी सख्त कार्यवाही होने की उम्मीद जगी है।

यूडीएच के प्रमुख शासन सचिव से जेडीए अफसरों तक के हाथों से इस बेशकीमती जमीन की पत्रावली निकली। पहले जमीन का उपयोग बदला, फिर पत्रावली बिना बाधा चली।आपत्तियां भी आईं, लेकिन इन्हें अनसुना किया गया। अब इस मामले में पट्टा जारी करने वाले उपायुक्त आरएएस अधिकारी रविन्द्र कुमार को सस्पेंड किया गया है। हालांकि सरकार के स्तर पर मामला पहुंचने और उच्च स्तरीय जांच होने पर और भी अधिकारियों पर गाज गिर सकती है।

डायरेक्टर लॉ की टिप्पणी से खुलासा

जेडीए के डायरेक्टर लॉ से जब प्रक्रिया के तहत विधिक राय मांगी तो उन्होंने अपनी टिप्पणी में लिखा कि समस्त कार्रवाई विधि विरुद्ध होने से नियम 34 के अनुसार जारी पट्टा व समस्त कार्रवाई को निरस्त किया जाए। इस एक टिप्पणी के बाद 90ए से लेकर कॉमर्शियल एकल पट्टा जारी करने वाले अफसरों की जान सांसत में आ गई। आनन- फानन में 5202.57 वर्ग मीटर का कॉमर्शियल पट्टा खारिज कर दिया।

जिला कलेक्टर को दी रिपोर्ट

एम्स के पास धर्मार्थ की जमीन में हुए घोटाले के एक के बाद एक कर खुलासे के बाद बुधवार को जेडीए आयुक्त नवनीत कुमार ने जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता को इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी हैं। राज्य सरकार मंगलवार को कलेक्टर से इस पूरे मामले की जानकारी मांगी थी। हालांकि इस मामले में सीआईडी पूरे तथ्य जुटाकर दस्तावेज सरकार को भिजवा चुकी हैं।

पट्टा खारिज

जेडीए ने पट्टा खारिज होने की सार्वजनिक सूचना प्रकाशित करवाई, हालांकि कॉमर्शियल एकल पट्टा जेडीए कुछ दिनों पहले ही खारिज कर चुका था।