अजमेर ब्यूरो रिपोर्ट।   

किशनगढ़ के रहने वाले पर्वतारोही अनुराग मालू अब भी जिदंगी की जंग लड़ रहे हैं। माउंट की खाई से रेस्क्यू के बाद उनके परिवार को लगा कि जल्द ही शायद सब ठीक हो जाएगा, लेकिन वे अब नई मुश्किल में हैं। दरअसल, नेपाल में रेस्क्यू करने वाली कंपनी ने फैमिली को 70 लाख का भारी-भरकम बिल थमा दिया है। परिवार का कहना है कि इतनी बड़ी रकम चुका पाना उनके लिए संभव नहीं है।

फैमिली ने अब जिला कलेक्टर को लेटर लिखकर इस संबंध में मदद मांगी है। जिला कलेक्टर की ओर से मदद का यह लेटर राज्य सरकार और वहां से केंद्र को भेजा गया है। इसके बाद मालू के परिवार को अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी ने भी मदद का भरोसा दिलाया है।

रेस्क्यू कर कंपनी ने खड़े कर दिए थे हाथ, विदेश मंत्रालय ने की मदद

अनुराग के ताऊ रामअवतार ने बताया कि 17 अप्रैल को अनुराग के लापता होने के बाद रेस्क्यू टीम ने तलाश शुरू कर दी। पूरे दिन और रात को तलाश करने के बाद टीम ने हाथ खड़े कर दिए।

इसके बाद कोई भी रेस्क्यू कंपनी रेस्क्यू करने के लिए तैयार नहीं हुई । परिजनों ने सांसद भागीरथ चौधरी से संपर्क किया। सांसद ने प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्री कार्यालय में संपर्क साधा। इसके बाद रेस्क्यू शुरू हो सका।

रेडियो सिग्नल से ट्रेस किया, वीडियो बनाया

अनुराग मालू 24 मार्च को नेपाल के लिए रवाना हुए थे। वे 17 अप्रैल की सुबह माउंट अन्नपूर्णा के कैंप- 3 से उतरते समय लापता हो गए थे। जिस वक्त हादसा हुआ वे समुद्र तल से 6000 मीटर की ऊंचाई पर थे।

वे 300 मीटर बर्फीले पहाड़ की दरार में गिर गए थे। रेस्क्यू करने गई टीम ने इसका वीडियो भी बनाया है। वीडियो में अनुराग मालू गुफानुमा एक दरार में फंसे हुए दिख रहे थे।

बेहोशी की हालात में वे सांस भी ठीक से नहीं ले पा रहे थे। रेडियो सिग्नल से लोकेशन ट्रेस होने के बाद आर्मी के जवान रस्सियों के सहारे बिना ऑक्सीजन मास्क लगाए नीचे उतरे। अनुराग को बर्फ से घिरे दरारों से जिंदा बाहर लेकर आए।

रेस्क्यू टीम की ओर से दावा किया जा रहा है कि फिक्स रोप में अनुराग का सेल्फ एंकर हट गया होगा। फिक्स रोप से जुड़ने पर बचने के चांस ज्यादा होते हैं।

फिक्स रोप कमर पर बंधी थी, ऐसी स्थिति में फिक्स रोप नीचे चली जाती है, ताकि आराम से रस्सी खींचकर बाहर निकाला जा सके।

अनुराग के साथ 22 सदस्यों का दल अलग-अलग चढ़ाई में था, ऐसे में जिस समय हादसा हुए उन्हें बाहर नहीं निकाला जा सका।

बेहोशी की हालत में निकाला

रेस्क्यू ऑपरेशन के वीडियो में दिख रहा है कि इंडियन और नेपाली शेरपा किस तरह रस्सियों के सहारे माउंट अन्नपूर्णा पर लटक कर हिम दरारों में अटके पर्वतारोही अनुराग तक पहुंचे।

दरारों के बीच ऑक्सीजन की कमी, नुकीली बर्फ और हाड़ गला देने वाले बर्फीले पहाड़ की चुनौतियों के बीच पर्वतारोही अनुराग के लिए किए गए रेस्क्यू ऑपरेशन में खूब प्रयास करना पड़ा है।

अनुराग के पास खाने-पीने का सामान काफी कम था। बर्फीले पहाड़ के बीच ऑक्सीजन की कमी थी। उस पर हडि्डयां गलाने वाली बर्फीली हवाएं। इन सबके बावजूद उन्होंने हौसला नहीं खोया और मौत को मात दे दी।

दुनिया की 10वीं सबसे ऊंची चोटी

माउंट अन्नपूर्णा दुनिया की 10वीं सबसे ऊंची चोटी है। यहां पर्वतारोहण आसान नहीं है। वहां जरा सी चूक जानलेवा साबित होती है। माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8,848, जबकि माउंट अन्नपूर्णा 8,091 मीटर ऊंची है। दोनों की हिम दरारों में फंसना खतरनाक होता है। माउंट अन्नपूर्णा में रात का न्यूनतम तापमान माइनस 15-20 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। मौसम खराब होने पर दिन में भी तापमान माइनस 20 डिग्री तक पहुंच जाता है।

शीतलहर का सामना करना पड़ता है। बर्फ टूटने और एंकर निकलने का खतरा रहता है। ऑक्सीजन लेवल भी बहुत कम हो जाता है।

माउंट अन्नपूर्णा में धुंध के कारण पर्वतारोही को आसानी से नहीं दिखता। वह अंदाजे से पैर रखते हैं। इसके चलते हादसे का शिकार होते हैं। माउंट अन्नपूर्णा में 6 हजार मीटर की ऊंचाई पर 80-100 किलोमीटर प्रतिघंटा से ठंडी हवाएं चलती हैं।

जानकारों ने बताया कि माउंट अन्नपूर्णा में दो तरह की बर्फ होती है। ऊपरी सतह वाली बर्फ स्नो कहलाती है। यह सख्त नहीं होती, जबकि हिम दरार वाली बर्फ जमी होती है।

इसकी गहराई का अंदाजा नहीं होता। यह 20 से 300 मीटर तक भी हो सकती है। गिरने पर पर्वतारोही कहां जाकर रुकेगा, इसका अंदाजा नहीं होता है। हिम दरार में बर्फ नुकीली होने से व्यक्ति चोटिल भी होता है।