जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।

प्रदेश में बहुचर्चित संजीवनी क्रेडिट काे-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। इस संबंध में दायर संजीवनी सोसायटी पीड़ित समिति की याचिका सोमवार को खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसी याचिकाएं न तो तथ्यों पर और न कानूनी आधार पर यहां चलने योग्य हैं।

इस स्तर पर मामले में दखल देना और मामले की जांच सीबीआई को भेजना गलत होगा जबकि मामले की जांच अंतिम चरण में चल रही हो। याचिका में संजीवनी साेसायटी घोटाले को मल्टी स्टेट क्रेडिट सोसायटी घोटाला बताते इसकी जांच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) से लेकर सीबीआई को ट्रांसफर करने का आग्रह किया था।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि संजीवनी घोटाला राजस्थान के अलावा गुजरात व एमपी में भी हुआ है और बीयूडीएस एक्ट 2019 के तहत यह मल्टी स्टेट घोटाला है, इसलिए इसकी जांच एसओजी से लेकर सीबीआई को दिलवाई जाए।

राज्य सरकार के 2 तर्क... सोसायटी अपंजीकृत, सीबीआई पहले भी जांच लेने से इनकार कर चुकी
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से सीनियर एडवाेकेट सिद्दार्थ लूथरा और संजीवनी पीड़ित संघ की ओर से एडवोकेट आदित्य जैन व एडवोकेट मितुल जैन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा- यह अपंजीकृत सोसायटी ने दायर की है। गुमान सिंह के नेतृत्व में संजीवनी पीड़ित संघ 5000 से ज्यादा निवेशकों का पंजीकृत समाज है और वे ही संजीवनी सोसायटी के पीड़ित हैं।

सीबीआई ने हाई कोर्ट के समक्ष भी इस मामले की जांच को खुद के पास दिलवाने का विरोध किया था। यह याचिका कुछ हाई प्रोफाइल लोगों के जरिए दायर करवाई गई है। मामले की जांच एसओजी कर रही है।

कई आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश हो चुका है जबकि कुछ आरोपियों के खिलाफ जांच लंबित चल रही है। एसओजी का अनुसंधान अंतिम चरण में है और इस स्तर पर इसकी जांच सीबीआई को ट्रांसफर नहीं की जाए।

इस पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। दोनों पक्षों की बहस सुनकर संजीवनी घोटाला मामला सीबीआई को भेजने से इंकार करते हुए समिति की याचिका खारिज कर दी।