सवाई माधोपुर - हेमेंद्र शर्मा
आधुनिकता के इस युग एंव भागमभाग भरे इस जीवन में आज भी कुछ लोग ऐसे है जो जिम्मेदार पद पर होने के बावजूद समाज को साहित्य और संस्कार से जोड़े रखने के लिए अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। एसआई ही एक नाम है डॉक्टर सूरज सिंह नेगी ,जो सवाई माधोपुर में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत है। डॉ सूरज सिंह नेगी अतिरिक्त जिला कलेक्टर होने के साथ ही एक साहित्यकार भी है। जो अपने पद का दायित्व निभाने के साथ ही साहित्य के क्षेत्र में भी कई अनोखे प्रयोग कर रहे है। इन दिनों उनका पाती लेखन खासा चर्चाओं में है।
सवाई माधोपुर में अतिरिक्त जिला कलेक्टर के पद पर कार्यरत डॉ सूरज सिंह नेगी मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले है। प्रशासनिक अधिकारी की जिम्मेदारी निभाने के साथ ही डॉक्टर सूरज सिंह नेगी साहित्य के क्षेत्र में भी अपनी अहम भूमिका निभा रहे है। डॉ सूरज सिंह नेगी पिछले पिछले कई सालों से साहित्य लेखन का काम कर रहे है। उनके द्वारा अब तक पांच उपन्यास सहित कहानीयां, संस्करण, निबंध, आलेख, समीक्षा, लघु उपन्यास एंव कई आर्थिक एंव सामाजिक विषयों पर आलेख लिखे जा चुके है। इन दिनों उनके द्वारा पाती लेखन विधा को लेकर एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जो देश ही नही अपितु विदेशों में भी खासा लोकप्रिय हो रहा है। उनके इस पाती लेखन अभियान से देश के विभिन्न राज्यों सहित विदेशों से भी हजारों लोग जुड़ रहे है। पाती लेखन विधा अभियान के तहत उन्हें अब तक करीब 10 हज़ार लोगो के पत्र प्राप्त हो चुके है। पाती लेखन विधा अभियान गुम होती पत्र लेखन विधा को पुनर्जीवित करने का अभियान है। आधुनिकता के इस युग में जहाँ लोग ई-मेल, इंस्टाग्राम, फेसबुक एंव वाट्स एप जैसे सोशल मीडिया का उपयोग कर अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे है। वहीं डॉक्टर सूरज सिंह नेगी पाती लेखन विधा अभियान के माध्यम से लुप्त होती पत्र लेखन विधा को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर लोगों को संवेदनाओं से जोड़ने का प्रयास कर रहे है। पाती लेखन विधा को पुनर्जीवित करने के लिए उनके द्वारा स्कूलों एंव विश्विद्यालय स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है और उनके इस अभियान से हजारों लोग जुड़ रहे है। 
साहित्यकार एडीएम डॉ सूरज सिंह नेगी द्वारा अब तक पांच उपन्यास जिनमे रिश्तों की आंच, ये कैसा रिश्ता, वसीयत ,नियति चक्र ,सांध्य पथिक लिखे गए है जो प्रकाशित भी हो चुके है। उपन्यास के साथ ही उनका कहानी संग्रह " पापा फिर कब आओगे " पब्लिश हो चुका है। उनका उपन्यास "रिश्तों की आंच " उर्दू व " ये कैसा रिश्ता " का मराठी व गुजराती तथा  "नियति चक्र " का राजस्थानी भाषा में " बगत रो फेर" के नाम से अनुवाद हो चुका है । वहीं पाती लेखन विधा अभियान के तहत मिलने वाले पत्रों के संकलन से उनके द्वारा अब तक करीब 10 पुस्तकें लिखी जा चुकी है ,जिनमे " माँ की पाती बेटी के नाम " बच्चों के पत्र, "एक पाती मीत को ", " प्रकृति की पुकार ", शिक्षक को पत्र" , बापू की चिट्ठी ,माटी की पुकार ,पाती स्मृतियों के झरोखे से ,पाती डाकिये को प्रमुख है । साथ ही कहानी विधा पर आधारित सांझ के दीप पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है ,इन पुस्तकों एंव उपन्यासों के अलावा उनके साहित्य कुंदन , दुनिया घुटनों पर लॉकडाउन ,बाल साहित्य ,नए भारत की शिक्षा , आलेख साझा पुस्तकों में प्रकाशित हो चुके है ।
साहित्यकार एडीएम डॉ सूरजसिंह नेगी बताते है कि महज 6 वर्ष की आयु में ही उनकी साहित्य में रुचि बन गई थी जिसके बाद से ही उन्होंने कहानियां ,नाटक ,उपन्यास , आलेख आदि लिखने प्रारम्भ कर दिए थे। डॉ नेगी बताते है कि साहित्य लेखन में उनकी माँ ने उनका बहुत हौसला बढ़ाया। वे कहते है कि उनके द्वारा विगत 40 सालों में कई किताबें ,उपन्यास एंव किस्से कहानियां, आलेख लिखे गये और अब उनके द्वारा पाती लेखन विधा को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। पाती लेखन विधा अभियान में उन्हें उनकी पत्नी एंव बच्चों का भी पूरा स्पोर्ट एंव सहियोग मिल रहा है। डॉ नेगी कहते है कि आज हम भले ही आधुनिकता की दौड़ में दौड़ रहे हो और ई मेल, इंस्टाग्राम, फेसबुक और वाटसएप के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हो लेकिन पत्र लेखन में जो संवेदनाएं थी वो संवेदनाएं आज इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म में नही है । आज भी पत्र लेखन के मध्यम से जो संवेदनाएं , अपनत्व ,प्रेम और आपसी लगाव व्यक्त किया जा सकता है। वो वाट्सअप एंव ई मेल से नही किया जा सकता है। उनका कहना है उनके पाती लेखन विधा को आज के युवा वर्ग का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। यही वजह है कि अब तक उनके पास करीब 10 हजार से अधिक पत्र आ चुके है और उनके द्वारा इन पत्रों की छटनी कर भावनात्मक ,सुंदर ,संवेदनाओं से भरे पत्रों को संकलित कर पुस्तक प्रकाशित की जा रही है ,जिसमे इन अभी पत्रों को शामिल किया जा रहा है ।
प्रशासनिक अधिकारी एंव साहित्यकार डॉक्टर सूरज सिंह नेगी द्वारा अपने प्रशासनिक कार्यो के साथ ही साहित्य के क्षेत्र में भी अतुल्यनीय कार्य किया जा रहा है ,अब तक उनके करीब 50 से अभी लेख ,आलेख ,समीक्षा ,संस्करण ,उपन्यास ,नाटक ,कहानी आदि की पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है वही  उनके सामाजिक एंव आर्थिक विषयों पर करीब दो दर्जन से अधिक निबंध और आलेख विभिन्न समाचार पत्रों एंव अन्य प्रकाशन सामग्री में प्रकाशित हो चुके है ,वहीं दुयोधन की प्रतिज्ञा ,चंद्रशेखर आजाद ,शाहिद भगत सिंह व मास्टर जी नामक नाटक एंव नील  कुमारी बाल उपन्यास अप्रकाशित है ,जो जल्द ही प्रकाशित होने वाले है। 
डॉक्टर सूरज सिंह नेगी ने बताया कि प्रशासनिक कार्य एंव साहित्य कार्य उनके लिए एक दूसरे के पूरक है ,डॉक्टर नेगी बताते है कि वे दैनिक डायरी लिखते है ,प्रशासनिक कार्य करते समय जब भी उनके दिमाग मे कुछ नई चीज आती है तो वे उसे अपनी डायरी में लिख लेते है और फिर जैसे ही उन्हें समय मिलता है  वैसे ही उसे वो अपने साहित्य में ढालने का प्रयास करते है ,उनका कहना है कि उनका प्रशासनिक कार्य उनके साहित्य के लिए किसी भी तरह से बाधा नही है ,बल्कि उनका प्रशासनिक कार्य उनके साहित्य के निखार में अहम रोल अदा करता है ,डॉक्टर नेगी कहते है कि अगर आप में भावना ,संवेदना ,मानवता आदि गुण नही होंगे तो आप प्रशासनिक कार्य भी सही ढंग से नही कर पाएंगे ,संवेदना ,मानवता और भावना ,आदि आप मे होंगे तब ही आप साहित्य के साथ नया कर पाएंगे ,डॉक्टर सूरज सिंह नेगी कहते है कि वे अपने प्रशासनिक कार्य के साथ साथ अपनी साहित्य के प्रति रुचि को भी जी खोलकर एन्जॉय करते है और हमेशा कुछ नया करने की कोशिश में लगे रहते है ।
साहित्यकार डॉक्टर सूरज सिंह नेगी कहते है कि आज के इस आधुनिक युग में भलेही युवाओं का साहित्य से मोह भंग हो रहा है ,लेकिन अगर अच्छा साहित्य और साहित्यकार की अच्छी लेखनी है तो उसे आज भी लोग पढ़ते है ,पाठक साहित्य में कुछ नया चाहता है ,जिसमे संवेदना ,भावना ,मर्म , और पाठक को सत्य से रूबरू करता सच हो तो उसे आज भी लोग पढ़ते है। उनका कहना है कि आज साहित्यकारों को आधुनिकता के इस युग में कुछ ऐसा लिखने की आवश्यकता है जो यथार्थ हो ,जो आत्मसाध करने जैसा हो ,जिसे पढ़कर पाठक कई दिनों तक ना भूल पाये ,जो सत्य को चरितार्थ करता पात्र बनकर पाठक को झकझर सके ,जो वर्तमान परिस्थितियों को   शब्दों में पिरोकर पाठक के सामने ला सके। ऐसे साहित्य को हमेशा से लोगो ने सराहा है और आज भी लोग ऐसे साहित्य को बखूबी पढ़ते है।
सवाई माधोपुर एडीएम एंव साहित्यकार सूरज सिंह नेगी द्वारा विभिन्न उपन्यास ,कहानियां ,नाटक , आलेख ,संस्करण ,समीक्षा ,सहित कई पुस्तकें लिखी गई और अब उनकी लुप्त होती पाती लेखन विधा को पुनर्जीवित करने की कोशिश बेहद सराहनीय है और उनके इस पाती लेखन विधा से हज़ारों लोग भी जुड़ रहे है ,डॉक्टर सूरज सिंह नेगी इस लुप्त होती पाती लेखन विधा को लेकर विभिन्न स्कूलों एंव विश्विद्यालयो सहित अन्य मंचो व माध्यमो से लोगो को जागरूक भी कर रहे है , इस कार्य मे उनकी पत्नी एंव बच्चों सहित अनेक पाठक एंव अन्य लोग भी उनका भरपूर सहियोग कर रहे है ।
सवाई माधोपुर एडीएम एंव साहित्यकार डॉक्टर सूरज सिंह नेगी द्वारा लिखित उपन्यास वसीयत एंव नियति चक्र पर लघु शोध हो चुके है ,साथ ही उनके आलेखों पर 6 विश्विद्यालयों में शोध कार्य चल रहा है ,डॉक्टर सूरज सिंह नेगी अपने प्रशासनिक कार्य के साथ साथ समाज को साहित्य के क्षेत्र में भी बहुत कुछ दे रहे है । डॉक्टर सूरज सिंह नेगी द्वारा लिखत उपन्यास ,कहानियां ,आलेख , सहित उनकी विभिन्न पुस्तकें समाज को साहित्य का नया भंडार एंव ज्ञान बांट रही है।