दक्षिण अफ्रीका में केप ऑफ गुड हॉप से आने वाले यात्री यकायक एक किले की दीवार जैसी आकृति देखते हैं जो समुद्र से उभरती हुई सी दिखती है। सागर से आने वाले यात्रियों को यह कोई 200 किलोमीटर दूर से नजर आने लगती है। पास आने पर लगता है कि मानो प्रकृति ने एक विशाल टेबल सजा रखी है। और यदि दिन गर्मियों के हों तो श्वेत बादलों की चादर यों फैल जाती है जैसे किसी ने एक मेजपोश फैला दिया हो। यह दक्षिण अफ्रीका का टेबल माउंटेन है जिसके साए में केप टाउन नगर बसा है। 

इस टेबल आकार के पूरब में एक चोटी आसमान की तरफ उठती है जिसे शैतान की चोटी या डेविल्स पीक कहा जाता है। इसके उत्तर पश्चिम में शेर के मुख जैसी पहाड़ी है जिसे शेर का मस्तक कहा जाता है। पहाड़ की ढलानों और घाटियों में अति मनमोहक जंगली फूलों के पौधे है जो एक विहंगम दृश्य प्रदान करते हैं। टेबल माउंटेन पर कभी शेर बघेरों का साम्राज्य होता था पर आज 400 पगडंडियों और एक केबल कार द्वारा लाखों इंसानों की आवाजायी  के कारण जानवर यहां से गायब हो गए।

इसी तरह का एक और शानदार पहाड़ दक्षिण अफ्रीका में एक अन्य स्थान पर भी है जो ड्रेकेंसबर्ग पर्वत माला का हिस्सा है जोकि मुख्यतया लेसोथो प्रांत में है। ड्रेकेंसबर्ग का मतलब दैत्य होता है क्योंकि प्राचीन आदिवासी लोग इन पर्वतों को दैत्यों का घर मानते थे। यहां एक पर्वत है मो आऊ सोर्सेज यानि झरनों का पर्वत जिसका शिखर 3200 मीटर की ऊंचाई तक जाता है। शिखर के नीचे चन्द्राकार कृति बनी है जिसे एंप्हीथिएटर का नाम दिया गया है। इस पर्वत से तूगेला नामक नदी निकलती है जो एंप्हीथिएटर से पारदर्शी पानी के बुलबुलों से लबालब कई झरनों के रूप में नीचे गिरती है। पर्यटकों के अनुसार यह एक अलौकिक और मन को अल्हादित करने वाला विहंगम दृश्य है जो धरती पर और कहीं नहीं दिखता क्योंकि ये झरने नीचे 948 मीटर तक गिरते हैं जोकि विश्व का दूसरा सबसे ऊंचाई से गिरने वाला झरना है। पानी अत्यधिक श्वेत कपास जैसा नजर आता है जो हृदय को रोमांचित कर देता है। यह पर्वत श्रृंखला कोई पांच करोड़ साल पहले ज्वालामुखीय विस्फोट से बनी हुई है। यहां से निकली नदियां अटलांटिक और हिंद महासागर में जा मिलती हैं। इन पहाड़ों में मनुष्य से शारीरिक बनावट में सबसे करीब मिलने वाले चाकमा प्रजाति के लंगूर भी रहते हैं।