जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

राजस्थान हाउसिंग बोर्ड के अस्तित्व को बचाने के लिए बोर्ड के कर्मचारियों ने आज बड़ा आंदोलन किया। जयपुर में ज्योति नगर स्थित मुख्यालय पर प्रदेशभर से आए कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों ने नारेबाजी की और सरकार से जमीन अवाप्ति करने और कर्मचारियों की भर्ती करने का मुद्दा उठाया।

राजस्थान आवासन बोर्ड कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष दशरथ कुमार के नेतृत्व में सुबह 10 बजे से प्रदर्शन शुरू हुआ। इस प्रदर्शन में महिला कर्मचारी भी शामिल हुई। संघ के महामंत्री प्रदीप शर्मा ने बताया कि बोर्ड का जब गठन हुआ था तब उसका उदेश्य सस्ती दरों पर गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को मकान उपलब्ध करवाना था। इसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने जमीनें अवाप्त की और राज्य के 20 से ज्यादा शहरों में मकान बनाए। लेकिन पिछले एक दशक से बोर्ड को सरकार बंद करने की कोशिश कर रही है।

मंडल प्रशासन अब केवल चैपाटियों का निर्माण, उनके रखरखाव, कोंचिग हब का निर्माण जैसे गैर आवासीय कार्यो पर अपना समय और पैसा बर्बाद कर रहा है। मौजूदा कांग्रेस सरकार ने चुनाव से पहले बोर्ड की स्थिति को देखते हुए इसे मजबूती देने की घोषणा की थी, लेकिन मजबूती देने के बजाए सरकार बोर्ड की जमीनों को खुर्द-बुर्द कर रही है, जिससे बोर्ड का अस्तित्व खतरे में आ गया है।

कार्यकारी अध्यक्ष भगवती प्रसाद ने बताया कि बोर्ड बचाओ अभियान के तहत संघर्ष के लिए रमेश चन्द शर्मा के संयोजन में संघर्ष समिति का गठन किया है। यदि समय रहते मण्डल प्रशासन ने बोर्ड के हित में आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो मजबूरन कर्मचारियों को अपना आंदोलन और सख्त करना पड़ेगा। इस आंदोलन को वरि. उपाध्यक्ष आर.सी. बुढानिया, अलवर अध्यक्ष प्रवीण शर्मा, उदयपुर अध्यक्ष मुकेश शर्मा, महासंघ (राठौड) के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कवैया, कोटा अध्यक्ष पुरूषोत्तम शर्मा, उपाध्यक्ष अश्विनी लोहरा, संयुक्त महामंत्री गोविन्द नाटाणी, कोषाध्यक्ष मोहन सिंह, जोधपुर एस.पी. हर्ष, राजेश रूपराय, कार्यालय मंत्री मो. युसुफ खानप्रचारमंत्री मनुज ठाकुर सहित कई कर्मचारी नेताओं ने सम्बोधित किया।

जमीन अवाप्ति और कर्मचारी भर्ती के प्रस्ताव लंबित
संघ के प्रदेशाध्यक्ष दशरथ कुमार ने बताया कि सरकार के पास बोर्ड के कई जमीन अवाप्ति के प्रस्ताव लम्बित पड़े है, लेकिन उस पर अब तक कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा। अब स्थिति ये हो गई है कि बोर्ड के पास आवासीय स्कीम बसाने के लिए राजस्थान में जमीन ही नहीं बची। जबकि सरकार ने मानसरोवर के सिटी पार्क की जमीन और आईपीडी टॉवर निर्माण के लिए 300 करोड़ रुपए लेने की एवज में दूसरे शहरों में जमीन उपलब्ध करवाने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ। इसके अलावा 311 पदों पर भर्ती करने का प्रस्ताव पास किए 6 महीने बीत गए, लेकिन अब तक भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं की। उन्होंने बताया कि अगर ऐसा ही सब चलता रहा तो जल्द बोर्ड के बंद होने की नौबत आ जाएगी।