जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

भरतपुर में सैनी, माली, कुशवाह और मौर्य समाज 12% अलग आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है। अभी यह वर्ग ओबीसी में शामिल है और अब ओबीसी से अलग आरक्षण मांग रहा है। हालांकि, यह पहला समाज नहीं है, जाे आरक्षण बढ़ाने की मांग कर रहा है। बीते कुछ महीनों में जयपुर में ओबीसी और ब्राह्मण सम्मेलन भी हो चुके हैं।

इसमें भी ओबीसी आरक्षण 21% से बढ़ाकर 27% करने जबकि ईडब्ल्यूएस आरक्षण 10% से बढ़ाकर 14% किए जाने की मांग है। संसद में डाॅ. किराेड़ीलाल मीणा ने भी एसटी आरक्षण 12 से बढ़ाकर 14% करने की मांग रखी है।

यानी एक तरह से 8 करोड़ आबादी वाले राजस्थान में क्रीमीलेयर सामान्य और ओबीसी को छोड़कर करीब 93% से अधिक आबादी आरक्षण मांग रही है। यदि आरक्षण की मांगें मान ली जाएं तो वर्तमान आरक्षण की सीमा 64% से बढ़ाकर 88% करनी पड़ेगी। यही नहीं, अभी अनारक्षित बचे 36% को लेकर ही सबकी लड़ाई है। सबकी मांगें पूरी हुईं तो सिर्फ 12% अनारक्षित आरक्षण रह जाएगा।

हर जाति मांग रही आरक्षण: जातिगत गणना के बिना यह संभव नहीं...
ओबीसी कोटे के विभाजन पर केंद्र में रोहिणी कमीशन की वर्किंग चल रही है। राज्य सरकार कोटा बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है। प्रदेश में ओबीसी आरक्षण वर्ग में 1991 के बाद 60 जातियां जुड़ी हैं। सभी जातियां आबादी के अनुपात में आरक्षण मांग रही हैं।

एक्सपट्‌र्स के अनुसार, जातिगत जनगणना के बिना यह संभव नहीं है। केंद्र इससे इनकार कर चुका है। ऐसे में गहलोत सरकार के पास बिहार की तर्ज पर जातिगत जनगणना का विकल्प है। एमबीसी में कुछ जातियों काे जोड़कर राहत दी जा सकती है। यह बात अभी आंदोलन कर रहे समाज पर लागू नहीं। क्योंकि यह वर्ग पहले से ओबीसी में शामिल है।

प्रदेश में अभी कुल 64% आरक्षण...

ओबीसी 21 की जगह 27%, ईडब्ल्यूएस 10 की जगह 14% मांग रहे, भरतपुर में ओबीसी से अलग 12% आरक्षण के लिए हाईवे पर बैठा है।

एससी 16%
प्रदेश में करीब 1.28 करोड़ यानी 17.83% आबादी। अभी 16% आरक्षण है। यह शिक्षा-भर्ती से लेकर चुनाव में भी शामिल है।
राजनीतिक ताकत : 34 विधायक, 4 सांसद।
एसटी 12%

71 लाख यानी कुल आबादी का करीब 12% एसटी हैं। आरक्षण 12% मिला हुआ है। सांसद किरोड़ी लाल मीणा 2% आरक्षण बढ़ाने की मांग संसद में कर चुके हैं।
राजनीतिक ताकत : 33 विधायक, 3 सांसद।

ओबीसी 21 %
करीब साढ़े तीन करोड़ जनसंख्या। यानी 51 से 52% आबादी इसी वर्ग से। ओबीसी सम्मेलन में आरक्षण 21% से बढ़ाकर 27% करने की मांग की। क्योंकि केंद्र में भी ओबीसी आरक्षण 27% है। अभी शिक्षा और भर्ती के अलावा निकाय चुनाव में आरक्षण है। विधानसभा व लोकसभा चुनाव में आरक्षण नहीं है।
राजनीतिक ताकत : 61 विधायक, 11 सांसद।
एमबीसी 05%
गुर्जर सहित 5 जातियों को सरकार ने 5% मोर बैकवर्ड कास्ट (एमबीसी) आरक्षण दे रखा है। हालांकि एमबीसी समाज चाहता है कि उनका आरक्षण केंद्र की 9वीं अनुसूची में दर्ज हाे। वजह-13 साल में तीन बार कानूनी लड़ाई के बाद ये सब हासिल हुआ है। यह आरक्षण सिर्फ शिक्षा-भर्ती में है।

ईडब्ल्यूएस 10%
केंद्र की तरह राज्य में भी गरीब सवर्णों को 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण हासिल है। इनका दावा है कि इनकी आबादी पौने दाे करोड़ से अधिक का है। चूंकि शुरुआत में ही ईडब्ल्यूएस आरक्षण की मांग 14% की थी। इसलिए सम्मेलन में आरक्षण बढ़ाकर 14 फीसदी करने की मांग है।

राजस्थान कुल आरक्षण में हम तीसरे स्थान पर
एमपी 73%
तमिलनाडु 69%
महाराष्ट्र 62%
हरियाणा 60%
बिहार 60%
गुजरात 60%
छत्तीसगढ़ 58%

झारखंड में ओबीसी आरक्षण 32% जबकि तमिलनाडु में 30% है।