जोधपुर ब्यूरो रिपोर्ट।  

राजस्थान में 3 नए कंजर्वेशन एरिया घोषित किए गए हैं। जोधपुर जिले के खींचन में कुरजां पक्षी के लिए देश का पहला संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। राजस्थान सरकार के वन विभाग की ओर से इसके लिए अधिकृत सूचना जारी की गई है।

अब राजस्थान में कुल 29 संरक्षित एरिया हो जाएंगे। विश्व अर्थ दिवस पर वन विभाग ने इस घोषणा के साथ ही प्रदेश में फॉरेस्ट एरिया को कंजर्व करने की दिशा में एक नया कदम उठाया है। हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स डॉ. दीप नारायण पांडे ने इस संबंध में जानकारी दी।

यह हैं 3 नए फॉरेस्ट कंज़र्वेटिव एरिया

  • - जोधपुर जिले का खींचन।
  • - भीलवाड़ा जिले में हमीरगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व।
  • - बारां जिले में सोरसन कंजर्वेशन रिजर्व।

कुरजां के लिए देश में पहला कंजर्वेशन रिजर्व

जोधपुर जिले के फलोदी के निकट खींचन गांव में मेहमान पक्षी कुरजां के लिए देश में पहली बार कंजर्वेशन रिजर्व बनाया गया है। इसके लिए पिछले 3 साल से प्रयास चल रहे थे। कई बार प्रोजेक्ट आगे बढ़ा और फाइलें सरकी लेकिन अब जाकर इसे मूर्त रूप दिया गया है।

सर्दी में आती है हर साल 40 हजार कुरजां

जोधपुर जिले के खींचन गांव में हर साल सर्दी के मौसम में 40 हजार से ज्यादा कुरजां आती हैं। ऐसा पिछले कई सालों से होता आ रहा है। यह मेहमान पक्षी पूरी सर्दियों के सीजन में यही रहता है। जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में पर्यटक भी आते हैं।

हजारों किलोमीटर का सफर कर पहुंचती है कुरजां

साइबेरिया, उत्तरी रूस, यूक्रेन व कजाकिस्तान अन्य देशों का सफर कर हजारों की संख्या में कुरजां पक्षी खींचन पहुंचते हैं।

सेवाराम करते हैं कई सालों से सेवा

खींचन गांव के ही सेवाराम माली कुरजां पक्षियों की पिछले कई सालों से सेवा कर रहे हैं। इस कंजर्वेशन रिजर्व घोषित होने के बाद भास्कर ने उनसे बातचीत की तो बताया कि बहुत खुशी है कि सरकार ने यह मांग मांग ली है। दिनभर से ही कई बड़े अधिकारियों और ग्रामीणों की बधाई मिल रही है।

हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं

कुरजां के प्रवास के कारण ही पिछले कई सालों में खींचन गांव पर्यटकों को भी आकर्षित करने लगा। सीजन में यहां 5 से 10 हजार तक पर्यटक पहुंचते हैं। ऐसे में अब कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र घोषित होने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

तत्कालीन संभागीय आयुक्त ने किए थे प्रयास

जोधपुर में तत्कालीन संभागीय आयुक्त डॉ समित शर्मा ने इसके लिए प्रयास तेज किए थे। खसरा नंबर 170 में आवंटित 400 बीघा जमीन एवं इसके आस-पास स्थित खसरा नंबर 158, 160 व फलोदी के खसरा नंबर 596 की प्रस्तावित जमीनों का अवलोकन किया गया था।

कुरजां संरक्षण के लिए जमीनों की उपलब्धता एवं प्रस्तावित प्लान की रिपोर्ट सौंपी गई। इस रिपोर्ट के आधार पर करीब 1200 बीघा अतिरिक्त जमीन आवंटित करना तक हुआ। अभी वन विभाग के अधिकारियों को यह निश्चित रूप से नहीं पता है कि कंजर्वेशन एरिया की सीमा कहां तक होगी।

यह होगा कन्जर्वेशन रिजर्व से फायदा

राष्ट्रीय उद्यानों, वन्य जीव अभ्यारण्यों और आरक्षित, संरक्षित वनों के बीच बफर जोन का काम करते हैं। यहां किसी भी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधि या खनन गतिविधि को अनुमति नहीं दी जा सकती। वन्यजीवों को इन कंजर्वेशन रिजर्व एरिया में पूरी तरह से सुरक्षा दी जाती है।