जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा की तरफ से हाईकोर्ट में दिए शपथ पत्र में कहा गया है कि 81 विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे। इसलिए इन्हें मंजूर नहीं किया गया। भाजपा विधायक दल के उप नेता विधायक राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल की बेंच में सुनवाई हुई।विधानसभा सचिव की तरफ से सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पैरवी की।महाधिवक्ता एमएस सिंघवी भी पेश हुए। अब अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी। विधानसभा सचिव महावीर प्रसाद शर्मा ने इस्तीफा देने वाले 81 विधायकों को पूरा ब्योरा हाई कोर्ट में पेश किया। इसमें  विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को इस्तीफा देने से लेकर इस्तीफे वापसी तक की पूरी फाइल का ब्यौरा कोर्ट में पेश किया गया। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने इस्तीफे वापसी का कारण बताया है। इसमें लिखा है की सभी विधायकों ने अलग-अलग मेरे सामने पेश होकर स्वैच्छिक रूप से इस्तीफे वापस लिए जाने के प्रार्थना-पत्र पेश किए हैं। प्रार्थना पत्रों में यह साफ उल्लेख किया है कि उनके द्वारा पहले दिए गए इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे। सभी विधायकों ने राजस्थान विधान सभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 173 ( 4 ) के अनुसार स्वैच्छिक रूप से अपने इस्तीफे वापस लिए हैं। यह मामला 10 वीं अनुसूची का नहीं, मंत्री और विधायकों के इस्तीफों का है। इसलिए इसमें चार सप्ताह में फैसला करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू नहीं होता। 25 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के सामने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक  डॉ.महेश जोशी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, राजस्व मंत्री रामलाल जाट, कांग्रेस विधायक रफीक खान और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा खुद सहित 81 विधायकों के इस्तीफे लेकर गए थे। इनमें पांच विधायक जिसमें कांग्रेस विधायक चेतन डूडी, दानिश अबरार, अमित चाचाण, गोपाल मीणा और निर्दलीय सुरेश टाक  के इस्तीफे की फोटोकॉपी थी। विधानसभा सचिव महावीर शर्मा ने पेश जवाब में कहा कि विधानसभा सदस्यों की प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 173(3) के अनुसार इस्तीफे तब तक स्वीकार नहीं किए जाएंगे, जब तक उनका स्वैच्छिक और वास्तविक होने का अध्यक्षीय समाधान नहीं हो जाता। इस्तीफों पर लंबे समय तक फैसले नहीं करने पर भी जवाब में विधानसभा अध्यक्ष  डॉ.सीपी जोशी की ओर से तर्क दिया कि हर विधायक ने अलग-अलग इस्तीफे नहीं दिए थे। सामूहिक रूप से इस्तीफे पेश किए गए थे। इसमें छह विधायकों ने खुद पेश होकर 81 विधायकों के इस्तीफे दिए थे। 5 विधायकों के इस्तीफे की फोटोकॉपी थी। इसके कारण पूरी संतुष्टि और जांच-पड़ताल के बाद ही फैसला करना जरूरी था। 30 दिसंबर 22 को 24 विधायकों ने इस्तीफे वापस लिए, 31 दिसंबर 22 को 38 विधायकों ने और 1 जनवरी 23 को 15 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के सामने पेश होकर इस्तीफे वापस लिए। 2 जनवरी को 2 विधायकों ने इस्तीफे वापस लिए। 3 जनवरी को निर्दलीय संयम लोढ़ा और 10 जनवरी को कांग्रेस विधायक वाजिब अली ने इस्तीफा वापस लिया था।