जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान मे हुए सियासी घटनाक्रम के बाद अजय माकन का राजस्थान प्रभारी पद से हटना लगभग तय हो चुका है। इनका स्थान कौन ग्रहण करेगा फिलहाल यह साफ हीं है। लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि अविनाश पांडे या तारिक अनवर को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। माकन से पहले अविनाश पांडे राजस्थान के प्रभारी महासचिव थे। दरअसल राजनैतिक सूत्रों का कहना है कि राजस्थान की स्थिति पर नियंत्रण रख पाने में माकन पूरी तरह से असफल साबित हुए। उनकी वजह से ही विधायक उतेजित हुए। विधायकों की नब्ज टटोलने के बजाय माकन ने आदेशात्मक रवैया अपनाया, जिसकी वजह से कांग्रेस के अधिकांश विधायक आक्रोशित हो गये और फिर बगावत पर उतर आए। इसके बाद भी उन्होंने अशोक गहलोत से मुलाकात करना भी मुनासिब नही समझा, जबकि दूसरे पर्यवेक्षक मल्लिकाजुर्न खड़गे ने गहलोत का पक्ष सुना। अजय माकन पर धारीवाल सहित अनेक विधायकों ने पक्षपात और पूर्वाग्रह से ग्रसित होने का आरोप लगाया है। विधायकों का आरोप है कि वह योजनाबद्ध तरीके से सचिन पायलट के पक्ष में प्रस्ताव पास कराना चाहते थे। इसके संकेत उन्होंने पहले ही फोन पर कई विधायकों दे दिया था। माकन के अड़ियल रवैये की वजह से ही विधायक बगावत करने को मजबूर हो गए। माकन को प्रभारी बने करीब तीन साल हो चुके हैं। इस दौरान उन्होंने गहलोत और सचिन के बीच समझौता कराने के प्रभावी प्रयास नहीं किए।प्रभारी महासचिव होने के नाते माकन बखूबी जानते थे कि गहलोत और पायलट के बीच छतीस का आंकड़ा है। ऐसे में उनकी तरफ से सार्थक पहल की जाती तो गहलोत और पायलट फिर से गले मिल सकते थे। माकन की सबसे बड़ी कमी यह रही कि वह हमेशा से कार्यकर्ताओं और नेताओं से दूर रहे। माकन जब भी राजस्थान आते थे, फाइव स्टार होटल में कैद होकर रह जाते। कार्यकर्ताओं का उनसे जयपुर हो या दिल्ली, मिलना मुश्किल ही नहीं असम्भव था। इसके अलावा कार्यकर्ता और बड़े नेताओं के पत्र का जवाब भी उनकी ओर से नहीं मिलता था। फोन से बात करना भी बहुत कठिन था। ज्ञात हुआ है कि आलाकमान भी पर्यवेक्षक के तौर पर उनकी भूमिका से बेहद खफा है। आलाकमान को पता लग चुका है कि माकन के अड़ियल रवैये की वजह से पहली दफा उसकी ऐतिहासिक फजीहत हुई है। ऐसे में आलाकमान ने उन्हें प्रभारी पद से हटाने का मन बना लिया है। इसकी पालना कब होगी, अभी यह तय नहीं है। हो सकता है कि एक-दो दिन में उन्हें हटा दिया जाए या फिर अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद आदेश जारी किए जाएं।