हनुमानगढ़-विश्वास कुमार।
जिला कलेक्टर नथमल डिडेल की अध्यक्षता में जंक्शन स्थित जाट धर्मशाला में फसल अवशेष ( पराली) प्रबंधन और सिंगल सुपर फास्फेट के उपयोग को अधिक से अधिक बढ़ावा देने को लेकर जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन  किया गया। कृषि विभाग की ओर से आयोजित इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला कलेक्टर ने किसानों से आह्वान किया कि वे  धान की पराली को खेत में ना जलाएं। इससे ना केवल पर्यावरण प्रदूषण होता है बल्कि खेत की मृदा उर्वरता भी नष्ट होती है। 
अतः विभिन्न कृषि यंत्रों के माध्यम से पराली का प्रबंधन किया जाए ताकि विभिन्न गोशालाओं में पशु चारे की आपूर्ति की जा सके। उन्होने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड द्वारा समय-समय पर राज्य सरकारों पर पर्यावरण प्रदूषण के कारण भारी जुर्माना लगाया जाता है। यदि कोई कृषक अपने खेत में फसल अवशेष को जलाता है तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड के निर्देशानुसार पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु जुर्माना लगाया जाएगा। फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी देने हेतु जिला कलेक्टर ने ग्राम पंचायत एवं ब्लॉक स्तर पर किसान गोष्ठियों का आयोजन कर अधिक से अधिक कृषकों को पराली न जलाने हेतु प्रेरित करने हेतु निर्देशित किया। साथ ही बताया कि जिले में 01 अक्टूबर 2022 से समर्थन मूल्य पर धान की खरीद शुरू की जाएगी।इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के अंतर्गत शत प्रतिशत परिवारों को योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया। कार्यशाला में कृषि विभाग के उपनिदेशक दानाराम गोदारा ने पराली प्रबंधन एवं रबी सीजन में फास्फेटिक उर्वरक मुख्यतः डीएपी की उपलब्धता संबंधी जानकारी दी।गोदारा ने उपस्थिति कृषकों को रबी फसलों में सिंगल सुपर फास्फेट के अधिक से अधिक उपयोग करने की सलाह दी। बेसल उर्वरक के रूप में डीएपी के बजाय सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक का उपयोग किया जाये, क्योंकि एसएसपी एक फास्फोरस युक्त उर्वरक है, जिसमें की 16 प्रतिशत फास्फोरस के साथ-साथ 11 प्रतिशत सल्फर की मात्रा भी पाई जाती है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहन एवं दलहन फसलों के लिए अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है।गोदारा ने बताया कि सरसों फसल में बुवाई के समय सिंगल सुपर फास्फेट एवं यूरिया के उपयोग को प्राथमिकता दी जाए। कार्यक्रम में बी एस यादव ने धान की पराली से उच्च गुणवत्ता युक्त पशु आहार निर्मित करने की विधि एवं संभावनाओं के बारे में बताया। संगरिया के रतनपुरा में संजोग पावर प्लांट के प्रतिनिधि रोहित कुमार ने बताया कि प्लांट में पराली के माध्यम से बिजली उत्पादन किया जाता है तथा प्लांट को प्रति वर्ष 6 लाख मीट्रिक टन पराली उपयोग करने की क्षमता है। लिहाजा किसान पराली को खेतों में न जलाकर कटाई उपरान्त उपरोक्त प्लांट में बेचान कर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। संदीप दीवान कम्पनी प्रतिनिधि टी-स्टेन्स ने कृषकों को जैविक खेती करने की विस्तृत जानकारी दी। आखिर में कृषि विभाग के सहायक निदेशक बी०आर० बाकोलिया गोष्ठी में उपस्थित सभी प्रतिभागीयों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यशाला में संयुक्त निदेशक पशुपालन ओमप्रकाश किलानियां, कृषि विभाग के सहायक निदेशक बी.आर. बाकोलिया एवं सुरेन्द्र कुमार जाखड़ तथा कृषि अधिकारी बलकरण सिंह, साहबराम गोदारा,स्वर्ण सिंह अराई, सुभाष सर्वा,विकास स्वामी,ऋचा बंशीवाल, कृषि पर्यवेक्षक जगदीश दूधवाल एवं फील्ड स्टॉफ केवीके नोहर प्रभारी डॉ सुरेश कुमार, कृषि आदान विक्रेता संघ के अध्यक्ष बालकृष्ण गोल्याण एवं कृषक प्रतिनिधि सुरजाराम के साथ-साथ आदान विक्रेताओं, फास्फेटिक उर्वरक निर्माता कम्पनी प्रतिनिधि, कृषि यंत्र निर्माता कम्पनी प्रतिनिधि, कृषि यंत्र विक्रेता फर्म के प्रतिनिधि, गौशाला संघ के जिला अध्यक्ष विजय रौता एवं प्रगतिशील कृषकों ने भाग लिया।