जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान कांग्रेस में नए मुख्यमंत्री के नाम तय करने को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच भाजपा ने मौजूदा गहलोत सरकार को अल्पमत में बता कर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस में चल रहे इस घटनाक्रम को मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई बताया। कटारिया ने कहा कि कांग्रेस विधायकों की खींचतान पर हम नजरें जमाए हुए हैं और कांग्रेस जब पूरी तरह से टूटेगी तो फिर इस घटनाक्रम में हमारी भी एंट्री हो सकती है। कटारिया के अनुसार जब गहलोत समर्थित विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया है, तब यह साफ हो चुका है कि प्रदेश की सरकार अल्पमत में आ चुकी है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाना चाहिए। वही उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भी ट्वीट कर कहा कि जिनके इशारे पर त्यागपत्र देने का खेल चल रहा है, उसे जनता भली-भांती जानती है। उन्होंने लिखा कि इस्तीफे का खेल कर समय जाया न करें। अगर इस्तीफा देना ही है तो मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर विधानसभा भंग का प्रस्ताव राज्यपाल को तत्काल भेजें। राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रही है। राठौड़ ने लिखा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी आप नाटक क्यों कर रहे हो। मंत्रिमंडल के इस्तीफे के बाद अब देरी कैसी आप भी इस्तीफा दे दीजिए। राठौड़ ने इसके अलावा भी अलग-अलग ट्वीट कर कांग्रेस में चल रही इस जंग को अंतर्द्वंद का संघर्ष बताया। कांग्रेस को कौरवों की ए और बी टीम बताकर आमने-सामने होना बताया और यह भी लिखा कि जादूगर की जादूगरी में सिर फुटव्वल चरम पर है।
पूनिया बोले रुझान आना प्रारंभ।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने भी मौजूदा घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कई ट्वीट किए। पूनिया ने लिखा कि रुझान आना प्रारंभ हो चुके हैं, जय भाजपा-तय भाजपा। वहीं एक अन्य ट्वीट में पूनिया ने लिखा कि इतनी अनिश्चितता तो भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच में भी नहीं है, जितनी राजस्थान की कांग्रेस पार्टी में नेता को लेकर है। विधायकों की बैठके अलग-अलग चल रही हैं। इस्तीफों का सियासी पाखंड चल रहा है, यह क्या राज चलाएंगे? कहां ले जाएंगे यह राजस्थान को, अब तो भगवान ही बचाए राजस्थान को।