जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
अतिरिक्त मुख्य सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि फील्ड अभियंता ठेकेदार फर्मों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं सुनें और उनसे विभिन्न परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में आ रही समस्याओं पर फीडबैक लें।डॉ. अग्रवाल जल भवन में विभिन्न पेयजल परियोजनाओं एवं जल जीवन मिशन की प्रगति की वीसी के माध्यम से समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एसीएस स्तर पर भी ठेकेदार फर्मों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की जाएगी ताकि विभिन्न परियोजनाओं की गति बढ़ाकर समय पर उन्हें पूरा किया जा सके। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जल जीवन मिशन में प्रतिदिन होने वाले जल कनेक्शन की संख्या 3250 तक पहुंचने को अच्छा संकेत बताते हुए इसे 5 हजार से अधिक प्रतिदिन तक ले जाने के निर्दश दिए हैं। उन्होंने एमडी जल जीवन मिशन एवं अन्य अधिकारियों को दिसम्बर के अंत तक सभी कार्यादेश जारी करने की तय सीमा को ध्यान में रखने को कहा। उन्होंने जनता जल योजनाओं के पीएचईडी को ट्रांसफर करने के कार्यों में भी गति बढ़ाने तथा 2 अक्टूबर को प्रस्तावित ग्राम सभाओं में शत-प्रतिशत जल कनेक्शन वाले गांवों को हर घर जल गांव प्रमाण पत्र जारी करने के भी निर्देश दिए।
सोर्स सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट जरूरी होगी।
डॉ. अग्रवाल ने जल जीवन मिशन की ऑपरेशनल गाइडलाइन के तहत इसी माह जारी किए गए सोर्स फाइंडिंग कमेटी के गठन संबंधी आदेशों का जिक्र करते हुए समस्त फील्ड अभियंताओं को निर्देश दिए कि किसी भी प्रोजेक्ट को भेजने से पहले पानी का सोर्स लम्बे समय तक के लिए उपलब्ध होने के बारे में पुख्ता किया जाए। उन्होंने कहा कि अभी जो परियोजनाएं सेंक्शन हो गई हैं उनमें भी भूजल की आगे रहने वाली उपलब्धता के बारे में सोर्स फाइंडिंग कमेटी पता लगाकर अपनी रिपोर्ट दे। उन्होंने भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी आदेशों एवं सर्कुलर्स के साथ ही विभाग द्वारा जारी विभिन्न आदेशों एवं सर्कुलर को फील्ड अभियंताओं तक भेजने के निर्देश दिए और कहा कि आवश्यकता पडने पर पुराने सर्कुलर एवं आदेश फिर से रिवाइज कर जारी किए जाएं। 
पीएचईडी एवं भूजल विभाग समन्वय से कार्य करें।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने वीसी के दौरान जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल दोनों विभागों का एक साथ रिव्यू करते हुए निर्देश दिए कि भूजल पर आधारित परियोजनाओं को तैयार करने से पहले सोर्स सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट बनाने में दोनों विभाग आपसी समन्वय के साथ कार्य करें। 
पाइप उपयोग संबंधी गाइडलाइन्स की हो पालना।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पेयजल परियोजनाएं तैयार करते समय ‘स्टेट पाइप पॉलिसी-2015’ को ध्यान में रखा जाए। उन्होंने कहा कि इस पॉलिसी में पाइप उपयोग संबंधी जो भी गाइडलाइन्स हैं, उनकी अक्षरशः पालना सुनिश्चित की जाए। उन्होंने विभागीय अभियंताओं के खिलाफ लंबित जांच प्रकरणों को भी समय पर पूरा करने के निर्देश दिए। साथ ही, अंतर्विभागीय प्रकरणों, विधानसभा में उठाए गए प्रश्नों के जवाब, वीआईपी पत्रों, राजस्थान संपर्क पोर्टल की शिकायतों, गुणवत्ता नियंत्रण टीमों द्वारा किए गए निरीक्षण, अधिकारियों के दौरे, हैण्डपंप-ट्यूबवैल स्थापना, लंबित विद्युत कनेक्शन आदि की समीक्षा की। बैठक में अधिकारियों ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत अभी तक कुल 29 लाख ग्रामीण घरों में जल कनेक्शन दिए गए हैं। अभी तक 38,637 गांवों के 92.15 लाख जल संबंधों (वृहद पेयजल परियोजनाओं के 52.40 लाख, लघु परियोजनाओं के 39.75 लाख शामिल) की स्वीकृतियां प्राप्त कर ली गई हैं। 33 जिलों में से 20 जिलों में जल संबंधों की शत-प्रतिशत स्वीकृतियां मिल चुकी हैं। डूंगरपुर, उदयपुर, जैसलमेर, चितौड़गढ़ एवं धौलपुर में सर्वाधिक कार्यादेश बकाया हैं।