चित्तौड़गढ़-गोपाल चतुर्वेदी।
अक्सर कहा जाता है कि जो भी सरकार के नियम होते हैं वह सिर्फ आमजन के लिए होते हैं वीआईपी या राजनेताओं के लिए नहीं, तो यह बात बिल्कुल सही है कि जो भी नियम कायदे बनाए जाते हैं वह सिर्फ आमजन के लिए बनाए जाते हैं।
जिनका कोई अस्तित्व नहीं होता। जिसका एक उदाहरण चित्तौड़गढ़ के ऐतिहासिक दुर्ग पर देखने को मिला जहां पर कोयला खान एवं इस्पात से संबंधित 28 सदस्यों कि संसदीय स्टैंडिंग कमिटी राकेश सिंह के नेतृत्व में चित्तौड़गढ़ पहुंची सभी सदस्यों ने विश्व प्रसिद्ध दुर्ग का भ्रमण किया। जिसके लिए आर्कोलॉजिकल विभाग के सारे नियम कायदे ताक में रख कर कुंभा महल में फाइव स्टार होटल कि तर्ज पर शामियाने लगाकर सभी मेहमानों को नाश्ता कराया गया। उसके बाद जो हालात यह देखने को मिले जिसमे कुंभा महल परिसर में चारो तरफ गंदगी का आलम देखने को मिला।
जिसको साफ करने वाला भी कोई नही था। अब प्रश्न यह उठता है कि दुर्ग की सीमा में किसी भी प्रकार के निर्माण और टेंट शामियाने लगाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है और ऐसे में संसदीय समिति के सदस्यों के लिए चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी और एएसआई के साथ विभाग के कई अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में नियमों को ताक मे रखा गया। वही विश्व प्रसिद्ध विजय स्तंभ के प्रवेश गेट को भी वीआईपी मेहमानों के लिए खोला गया। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या चित्तौड़गढ़ दुर्ग देखने के लिए आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों जो महंगा टिकट खरीद कर चित्तौड़ दुर्ग देखते हैं और उसकी इतिहास की जानकारी लेते हैं। वही पर्यटन विभाग के नियम वीवीआईपी लोगों के लिए अलग से बनाए हुए हैं जो निशुल्क चित्तौड़ दुर्ग देखते हैं उनके लिए ऐतिहासिक धरोहर में टेंट शामियाना लगाकर खाने की व्यवस्था की जाती है। वही दिनभर दुर्ग पर रहने वाले आमजन के मन में यह प्रश्न चलता रहा है कि चित्तौड़ दुर्ग पर बने उनके पुराने मकानों की मरम्मत के लिए पर्यटन विभाग की ओर से मंजूरी नहीं दी जा रही है। जबकि बाहर से आने वाले लोगों के लिए ऐतिहासिक धरोहर को छलनी कर के उनके लिए टेंट शामियाने लगाकर नियमों को तोड़ा जा रहा है।