जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने प्रदेश में देशी गौवंश की नस्लों के संरक्षण, संवर्द्धन और गौ-आधारित उत्पादों के अनुसंधान एवं विकास को गति देने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए जरूरी है कि देशी गोवंश पर होने वाले अनुसंधानों व विकास कार्यों का लाभ उन्हें मिले। राज्यपाल मिश्र राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के पांचवें दीक्षांत समारोह में यहां राजभवन से ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गोमूत्र से कीटनाशक एवं गोबर से जैविक खाद आदि के उत्पादन और इसके विपणन को प्रभावी बनाने की दिशा में पहल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अंतिम छोर पर बैठे गाँव-ढाणी के किसान व पशुपालकों तक नवीनतम उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारी शीघ्र और सरल रूप में उपलब्ध कराने के लिए पशुधन अनुसंधान केन्द्रों और पशु विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से अधिकाधिक प्रयास किए जाएं। राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन आज भी किसानों की आय का महत्वपूर्ण स्रोत है, कृषि पर आश्रित परिवार भी अनुपूरक आय के लिए पशुपालन पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि फसल खराब होने पर तो गांवो में पशुधन ही आय का मुख्य स्रोत रह जाता है, इसलिए पशुपालकों को पशुधन से स्थायी आय प्राप्त हो सके, इस दिशा में प्रयास किए जाएं। इसके लिए उन्होंने पशुधन संरक्षण की तकनीकों में नवाचार और विकास का आह्वान किया। कुलाधिपति ने कहा कि भारत में वैदिक काल से ही गायों और पशुधन सम्पदा का विशेष महत्व रहा है। उन्होंने पशुधन से जुड़े प्राचीन ज्ञान पर आधुनिक संदर्भों में शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान से जुड़े आधुनिक ज्ञान के साथ ही इसके प्राचीन और पारम्परिक ज्ञान-विज्ञान से भी विद्यार्थियों को जोड़ा जाना चाहिए।कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में पशुपालन आजीविका का प्रमुख साधन है, जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने पशुपालकों के कल्याण और पशुपालन के विकास के लिए मुख्यमंत्री पशुधन निशुल्क दवा योजना, 108 की तर्ज पर 102 मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा, दुग्ध उत्पादकों को 2 रुपए प्रति लीटर के स्थान पर 5 रुपए प्रति लीटर अनुदान जैसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।कृषि वैज्ञानिक चयन मण्डल, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जहां गाय, भैंस, बकरी सहित पशुधन की 200 से अधिक स्वदेशी प्रजातियां पाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान देश में दुग्ध उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। अब भी यहां डेयरी क्षेत्र के विकास के लिए प्रचुर संभावनाएं हैं। उन्होंने प्रदेश में ऊंट, गधा, घोड़ी, भेड़ के दुग्ध उत्पादन की संभावनाओं का दोहन करने का सुझाव भी दिया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. राकेश चन्द्र अग्रवाल ने अपने सम्बोधन में देश में कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में हो रही प्रगति, आईसीएआर की उपलब्धियों और कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र की चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
कुलपति प्रो. सतीश कुमार गर्ग ने अपने स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।दीक्षांत समारोह में पशुपालन एवं पशुचिकित्सा विज्ञान के विभिन्न पाठ्यक्रमों की स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी की उपाधियां, स्वर्ण पदक एवं रजत पदक प्रदान किए गए।कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल मिश्र ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कर्तव्यों का वाचन भी करवाया।समारोह के दौरान राज्यपाल के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार सहित अधिकारी, शिक्षक, शोधार्थी तथा विद्यार्थी प्रत्यक्ष एवं ऑनलाइन उपस्थित रहे।