जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
राजस्थान में स्कूलों की फीस को लेकर फसाद का दौर अभी तक बरकरार है। बेसक राज्य सरकार और प्रशासन प्रदेश में कानून व्यवस्था के दावे करते हो किन्तु अभिभावकों का आरोप है कि राज्य सरकार और प्रशासन स्कूल फीस मसले पर कानून की पालना करवाने की बजाय निजी स्कूल माफियाओ को संरक्षण देकर उनकी कठपुतली बनी हुई है। संयुक्त अभिभावक संघ के अनुसार राज्य में स्कूल लगातार अपनी मनमानियों का प्रदर्शन करते हुए ना केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे है। बल्कि स्कूल देश के कानून व्यवस्था का भी मजाक उड़ा रहे है। संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार और प्रशासन के द्वारा स्कूलों को संरक्षण देने का परिणाम अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। अभिभावकों की शिकायतों पर सरकार और प्रशासन के मौन रवैये के चलते आज अभिभावकों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूलों ने जहां पूर्व में फीस के अभाव में छात्रों की कक्षाएं बन्द कर दी थी। वही अब परीक्षाएं तक लेने से इनकार कर दिया है। 31 जनवरी से सेंट एंसलम स्कूल में परीक्षाओ का संचालन शुरू हुआ किन्तु स्कूल ने जिनकी फीस बकाया है उन बच्चों की परीक्षाएं रोक दी है। जबकि 3 मई व 1 अक्टूबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया था कि कोई भी स्कूल किसी भी विधार्थी की ना पढ़ाई रोक सकता है ना परीक्षा रोक सकता है। बावजूद इसके सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना राज्य सरकार और प्रशासन के संरक्षण करवाई जा रही है। प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि निजी स्कूल लगातार मनमानी पर उतारू है। अभिभावक लगातार शिकायतें दर्ज करवा रहे है। किंतु प्रशासन कार्यवाही करने की बजाय अभिभावकों पर स्कूलों से सेटलमेंट करने का दबाव बना रहे है। स्कूलों से राहत के लिए पत्र लिखने अनुरोध करने का प्रस्ताव रख रहे है। जबकि अभिभावक बोल रहे है हमें स्कूलों से कोई भीख या कोई राहत नही चाहिए। देश के कानून ने स्कूलों की फीस को लेकर जो प्रावधान किये है उनकी पालना सुनिश्चित करवाई जाए। फीस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिए है उसकी पालना सुनिश्चित की जाए और प्रदेश में फीस एक्ट 2016 को लागू किया जाए, जिसका आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।

अभिभावकों ने संयुक्त शिक्षा निदेशक को कार्यवाही के लिए लिखा पत्र।
सोमवार को स्कूलों द्वारा परीक्षा रोकने और कक्षाएं बंद करने के बाद एक बार फिर अभिभावकों की शिकायत पर संयुक्त अभिभावक संघ ने जयपुर संभाग संयुक्त शिक्षा निदेशक घनश्याम दत्त जाट को अभिभावकों और छात्रों की सूची के साथ पत्र लिखकर कार्यवाही करने की मांग की है। इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट के आदेश सहित अभिभावकों के समस्त जानकारियां उपलब्ध करवाई गई है। पत्र में जिन छात्रों का हवाला दिया गया है वह कक्षा 2 से 12 तक के छात्र है। जिनके भविष्य के साथ स्कूल, सरकार और प्रशासन खिलवाड़ कर रहे है। सूची में सेंट एंसलम स्कूल, नार्थ सिटी निवारू रोड़ के 18 छात्रों , मॉर्डन स्कूल, शिप्रा पथ मानसरोवर के 2 छात्रों, सेंट टेरेसा स्कूल मानसरोवर के 3 छात्रों, एमपीएस इंटरनेशनल स्कूल तिलक नगर के 1 छात्र एवं राधा बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल के 3 छात्रों की कक्षाएं बन्द कर दी गई है और परीक्षाएं रोक दी गई। संयुक्त अभिभावक संघ ने दावा किया कि पूरे प्रदेश में हजारों छात्रों की कक्षाएं बन्द है और परीक्षाएं रोक दी है। किन्तु ना प्रशासन के कानों में जू रेंग रही है ना सरकार के कानों में जू रेंग रही है। राज्य सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे और वादे तो किये जा रहे है किंतु धरातल पर कुछ दिखाई ही नही देता।