जयपुर ब्यूरो रिपोर्ट।
जयपुर हेरिटेज नगर निगम की महापौर को बदलने को लेकर पिछले एक सप्ताह से चल रहा है सियासी घटनाक्रम पर अब ब्रेक लग गया है। दरअसल जिन अल्पसंख्यक विधायकों ने महापौर को बदलने का बीड़ा उठाया था। उन्हीं विधायकों ने अब सियासी नुकसान की आशंका के चलते इस मामले को फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने का मन बना लिया है और महापौर को हटाने की बजाय केवल हेरिटेज नगर निगम में जल्द से जल्द समितिया गठित करने पर फोकस कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि जिन पार्षदों ने महापौर को हटाने के लिए आवाज बुलंद की थी, उन्हें भी समझा-बुझाकर मनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इधर कांग्रेस गलियारों में भी चर्चा इस बात की है कि अगर महापौर मुनेश गुर्जर को हटाया जाता है तो इसका बड़ा सियासी नुकसान पार्टी को असेंबली इलेक्शन में भुगतना पड़ सकता है। चूंकि मुनेश गुर्जर जिस वर्ग से आती हैं वो वर्ग पहले ही पार्टी से नाराज चल रहा है। ऐसे में मुनेश गुर्जर को हटाकर उनकी नाराजगी को और नहीं बढ़ाया जा सकता है।

पार्टी के अधिकांश नेता भी मेयर के पक्ष में।
वहीं कांग्रेस पार्टी के अधिकांश नेता भी अंदर खाने से महापौर मुनेश गुर्जर को हटाने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि इस पर प्रदेश कांग्रेस का कोई पदाधिकारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन अंदर खाने कोई भी महापौर को हटाने के समर्थन में भी सामने नहीं आ रहा है। संगठन के नेताओं को भी आशंका है कि अगर महापौर को हटाया गया तो फिर इसका बड़ा सियासी नुकसान पार्टी को होगा।इस लिहाज से भी संगठन के नेताओं ने इस पूरे घटनाक्रम से दूरी बना रखी है। चर्चा इस बात की भी है कि अगर महापौर को हटाया गया तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान किशनपोल से कांग्रेस विधायक अमीन कागज़ी और आदर्श नगर से कांग्रेस विधायक रफीक खान को ही होगा। इस आशंका को भांपते हुए दोनों विधायकों ने भी अब अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं।

महापौर को नहीं हटाने की एक वजह यह भी।
वहीं दूसरी ओर महापौर मुनेश गुर्जर को नहीं हटाने की एक वजह अब यह भी सामने आ रही है कि कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद महापौर मुनेश गुर्जर को हटाने के पक्ष में तो हैं लेकिन अल्पसंख्यक महिला को महापौर बनाने के पक्ष में नहीं हैं। अल्पसंख्यक महिला महापौर के नाम को लेकर ही पार्षदों में मतभेद है। चर्चा यह भी है कि अगर महापौर को हटाया गया तो कहीं महापौर बगावत करके भाजपा से हाथ मिलाकर कांग्रेस का बोर्ड गिरा सकती हैं। इसी आशंका के चलते अब महापौर को हटाने की कवायद पर ब्रेक लगा दे गया है।

अब केवल समितियों पर फोकस।
महापौर को हटाने के बजाए विधायकों का फोकस केवल समितियों पर बना हुआ है कि जल्द से जल्द समितियां बनाकर पार्षदों को संतुष्ट कर लिया जाए। कहा जा रहा है कि महापौर का विरोध कर रहे पार्षदों को भी समझा-बुझाकर शांत करवाने की कवायद शुरू हो चुकी है। आपको बता दें, कि महापौर मुनेश गुर्जर की कार्यशैली से नाराज पार्षदों ने उन्हें हटाने के लिए मोर्चा खोल दिया था । 35 से ज्यादा पार्षदों ने महापौर को हटाने के समर्थन में हस्ताक्षर कर दिए थे। पिछले दिनों निगम में काम नहीं होने और समितियां गठित नहीं किए जाने के विरोध में पार्षदों ने हैरिटेज मुख्यालय परिसर में धरना भी दिया था और मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, विधायक रफीक खान और अमीन कागजी से मिलकर महापौर की कार्यशैली की शिकायत भी की थी। जिसके बाद से ही महापौर को बदलने की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी थी।