श्रीगंगानगर राकेश मितवा।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मंगत बादल ने कहा है कि साहित्य साधना का विषय है और साहित्यकार साधना करके, तप कर ही किसी रचना का सृजन कर पाता है। बादल सृजन सेवा संस्थान एवं सरदार पटेल लॉ कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में साधुवाली छावनी के सामने स्थित सरदार पटेल लॉ कॉलेज परिसर में आयोजित वरिष्ठ कवयित्री अनूप कटारिया (जयपुर) की दो पुस्तकों ‘अश्रु-विपंची’ तथा ‘घुमक्कड़ी और चिठियाँ के विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कविता तो कवि के हृदय में तभी उतरती है, जब वह अतीत की स्मृतियों में कहीं कुछ तलाशता है। अनूप कटारिया ने भी अपनी इन पुस्तकों के माध्यम से अपने अतीत को याद करने और स्मृतियों को याद करने का प्रयास किया है। मुख्य अतिथि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की पूर्व सदस्य डॉ. विजयलक्ष्मी महेंद्रा ने कहा कि किसी गलत बात का विरोध करना कविता का पहला धर्म होता है। कवि इस धर्म का निर्वाह करता ही है अपने तरीके से साथ ही उन्होंने कहा कि कवयित्री अनूप कटारिया ने जिस तरह ईमानदारी और सादगी के साथ अपनी कविताओं का सृजन किया है, उतनी ही ईमानदारी के साथ आज आलोचकों ने अपनी बात कही है। विशिष्ट अतिथि आलोचक एवं कवयित्री डॉ. नवज्योत भनोत ने कहा कि विमोचित कृति की कविताएं आभूषण के समान हैं। अनूप  ने अपनी कविताओं में भावनाओं के मोती जड़े हैं। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि डॉ. संदेश त्यागी ने कहा कि कवि अपनी पीड़ाओं को स्वर देता है। जितनी भावुकता आपके व्यक्तित्व में है, उतने ही गहरे भाव आपकी कविताओं में उतरे हैं।
काव्यकृति ‘अश्रु-विपंची’ पर पत्रवाचन करते हुए आलोचक एवं हिंदी व्याख्याता डॉ. बबीता काजल ने कहा कि कवयित्री ने अपनी कविताओं में आदमी होने की तमीज बताई है। सच यही है कि कविता आदमी को आदमी होना सिखाती है। ‘घुमक्कड़ी और चिट्ठियां’ पुस्तक पर पत्रवाचन करते हुए हिंदी व्याख्याता डॉ. मधु वर्मा ने माना कि लेखिका ने जहां यात्रा वृतांत में चेन्नई से केदारनाथ तक की यात्रा के साथ विदेश में बिताए पलों का भी भावपूर्ण चित्रण किया है, वहीं चिट्ठियां के माध्यम से अपनी भावनाओं को पिरोया है। इनमें नेह की निर्बाध सरिता बहती हुई प्रतीत होती है। कार्यक्रम में डॉ. दीपा माथुर, डॉ. मीनू तंवर, डॉ. श्यामलाल ने भी विचार रखे। सरदार पटेल लॉ कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष डॉ. ओपी महेंद्रा ने स्वागत किया और सृजन सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अरुण शहैरिया ‘ताइर’ ने आभार जताया। मंच संचालन कृष्णकुमार ‘आशु’ ने किया।