हनुमानगढ़ विश्वास कुमार।

राजस्थान सहित हनुमानगढ जिले में भी डेंगू का कहर बढ़ता जा रहा है।इस समय सरकारी व निजी अस्पतालों में अधिकतर डेंगू व बुखार के मरीज भर्ती है।वर्तमान में डेंगू मरीजों की बात करे तो अब तक कुल 21 मरीज सामने आए है। जिनमे वर्तमान में 11 मरीज जिला अस्पताल में भर्ती है।अन्य मौसमी बीमारियों से ग्रसित भर्ती मरीजों की संख्या 93 है। इस तरह जिला अस्पताल में कुल 104 मरीज भर्ती है। जिले में जहाँ एक तरफ डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है वही "SDP" ( Singla Doner Platelets) किट की किल्लत शुरू हो गई है।जिसको लेकर डेंगू के मरीज और उनके परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।मरीजों की परेशानियों को लेकर "राजकाज न्यूज़" ने गहनता से मामले की पड़ताल की तो सरकारी स्तर पर कई खामियां व लापरवाहियां उजागर हुई।कोरोना महामारी से देश-दुनिया व प्रदेश उभरा नही की डेंगू के डंक ने आम आदमी को हलकान कर दिया है।हनुमानगढ जिले में डेंगू व बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।

लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास डेंगू से लड़ने के लिए पुख्ता प्रबंध नही है।लेकिन इसका सीधा असर मरीजों के स्वास्थ्य व जेब पर पड़ रहा है।क्योकि एक तरफ जहां मरीज व परिजन बीमारी से परेशान व मुसीबत में है वही स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त "एसडीपी किट" तक नही है।जिसके चलते सरकारी चिकित्सकों द्वारा मरीजों को (RPD)" Random Doner Platelets" "रिकमेंड" (Recommend) की जा रही है।लेकिन जहां एसडीपी प्रक्रिया से ब्लड में से प्लेटलेस अलग करने के लिए मात्र एक रक्तदाता (Single Blood Donner ) से ही काम चल जाता है। वही रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (RDP) प्रकिया कम से 4 से 5 रक्तदाताओं की जरूरत पड़ती है। ऐसे में मरीजों के परिजनों को इतने रक्तदाताओं को तलाशने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। ऐसे ही कुछ मरीजों के परिजनों व निःशुल्क रक्तदान की सेवा कर रहे समाजिक कार्यकताओं से हमने खास बातचीत की तो उन्होंने "राजकाज न्यूज़" के जरिये प्रशासन व सरकार से व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर राहत की गुहार लगाई है।

लोकल फ़ॉर वोकल भी सार्थक नही हो रही है।

दरअसल स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुछ समय पूर्व लिखित रूप में सरकार से "एसडीपी" किट की मांग की गई थी। लेकिन सरकार द्वारा किट उपलब्ध नही करवाई गई है। खास बात ये की लोकल फ़ॉर वोकल भी सार्थक नही हो रहा है,क्योकि जिला अस्पताल में जो मशीन है उसकी एसडीपी किट नीदरलैंड में निर्मित होती। जिसके चलते वो इम्पोर्ट नही हो रही है और किट की किल्लत की वजह से मरीजों को परेशानी तो उठानी पड़ ही रही है। साथ ही जेब भी हल्की करनी पड़ रही है। क्योकि जो मरीज सरकारी अस्पताल में भर्ती है उन्हें सरकार द्वारा 7500 व जो मरीज गैरसरकारी अस्पतालों में भर्ती है उनके लिए 9500 रुपये है। हालांकि स्वास्थ्य अधिकारियों ने  "एसडीपी किट" की कमी की बात तो स्वीकारी लेकिन उनका कहना है कि "एसडीपी" और "आरडीपी" प्लेटलेस मरीज की कंडीशन के हिसाब से ही चढते है।इसमे मरीजों को परेशान होने की जरूरत नही है।

मरीज हलकान होते आये नजर।

राज-काज न्यूज के संवादाता विश्वास कुमार ने जिला मुख्यालय के कई वार्डो में जाकर फॉगिंग,सफाई व डेंगू से बचाव की व्यवस्थाओं का जायजा लिया तो कई वार्डो में जगह-जगह कचरा अटा पड़ा मिला तो कई जगह खड़े पानी में मच्छरों की भरमार दिखी और इस बाबत जब हमने आमजन,पार्षदों एंव नगरपरिषद अधिकारियों से बात की हालांकि सरकारी आंकड़ों की माने तो सब तक डेंगू से मरीजों की मौत शून्य है। लेकिन हर वर्ष इस मौसम में डेंगू व सामान्य बुखार के मरीज सामने आते है लेकिन सवाल ये की ऐसे में सरकार व प्रशासन पूर्व में ही क्यो नही चेतता।अब देखने वाली बात ये होगी कि सरकार व स्वास्थ्य विभाग कब तक एसडीपी किट की किल्लत दूर कर मरीजों को शारीरिक,मानसिक व आर्थिक रूप से राहत देता है या यूं ही मरीज हलकान होते रहेंगे..!