कोटा हंसपाल यादव।

कोटा मे भारत माला प्रोजेक्ट का काम तकरीबन एक सप्ताह से बंद पड़ा है। किसानों ने प्रशासन पर भारतमाला प्रोजेक्ट में धोखा करने का आरोप लगाया है। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किसानों ने 21 अक्टुबर से काम बंद करा दिया । मामले को लेकर प्रशासन ने 23 अक्टुबर को एक समिति का गठन किया। लेकिन सप्ताह भर बाद भी समिति की कोई बैठक नहीं होने से अब तक नतीजा नहीं निकल सका है। ऐसे में प्रोजेक्ट में देरी की आशंका पैदा हो गई है।भारतीय किसान संघ के प्रांत प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत दीगोद क्षेत्र में सड़क का निर्माण कार्य किया जा रहा है। प्रोजेक्ट से पूर्व किसानों, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच जो मौखिक सहमति बनी थी। अब उसका उल्लंघन किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि सहमति के अनुसार धोरों की ऊँचाई 6 फीट रखी जानी थी। जबकि निर्माण कार्य के दौरान 4 फीट के ही सीमेंट ब्लॉक रखे जा रहे हैं। ऐसे में 300 फीट चौड़े रोड पर किसान जलकुंभी, मिट्टी, अपशिष्ट, झाड़ झंकार की सफाई कैसे कर पाएंगे। सफाई न होने पर एक छोर से दूसरे छोर पर पानी ले जाने में भी समस्या होगी। जिससे भविष्य में किसानों के सामने नहरी पानी लेने में संकट खड़ा होने की आशंका पैदा हो गई है।स्थानीय किसान और भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधि जगदीश कलमंडा और ब्रह्मानंद शर्मा ने बताया कि केचमेंट में जो ड्रेन दी गई है, उनमें किसानों के आने जाने के रास्ते हैं। लेकिन, रोड बन जाने पर किसानों के रास्ते बंद हो जाएंगे। प्रोजेक्ट को लेकर किसानों और प्रशासन के बीच बनी मौखिक सहमति को तोड़ना किसानों के साथ धोखा है। 

ये है पूरा माजरा।

किसानों का आरोप है कि प्रोजेक्ट में डीपीआर बनाते समय ही खामी छोड़ दी गई। जब एनएचएआई ने सीएडी से धोरों की जानकारी मांगी तो उन्हें अधूरी जानकारी ही दी गई। ऐसे में प्रोजेक्ट के नक्शे से 37 धोरे गायब कर दिए गए। जिनके बारे में जानकारी देने के बावजूद बाद में अधिकारी आनाकानी करने लगे। जब एसडीओ पुष्पा हरवानी ने सभी अधिकारियों को बुलाकर पॉइंट टू पॉइंट सर्वे कराया तो धोरे अवरुद्ध पाए गए। किसानों के अनुसार प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी रास्ता देने से ही मुकर गए हैं। जबकि पुरानी ड्रेन पर किसानों के आने जाने के रास्ते बने हुए थे। अब रास्ते के बिना किसानों के सामने खेत पर पहुंचने की भी चुनौती होगी।

समाधान नहीं निकला तो काम बंद कराया।

मामले को लेकर भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधियों की अगुवाई में स्थानीय प्रशासन से लेकर सड़क परिवहन मंत्री, जल संसाधन मंत्री, कमिशनर, कलेक्टर और स्थानीय विधायक, सांसद को अवगत कराया। इसके बाद भी कोई समाधान नहीं निकलने पर किसानों ने मिलकर प्रोजेक्ट के काम को ही रुकवा दिया। 

प्रशासन ने बनाई समिति नहीं हुआ कोई समाधान।

भारतीय किसान संघ की आपत्ति पर धोरों का निर्माण तकनीकी रूप से सही साइज में करने को लेकर एसडीओ की ओर से समिति का गठन किया गया है। जिसमें सीएडी कोटा के अधिशासी अभियंता, नायब तहसीलदार दीगोद, एनएचएआई के परियोजना निदेशक और भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधियों को रखा गया है। समिति को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर धोरों की तकनीकी जांच करने के लिए निर्देशित किया गया है। एसडीएम दीगोद की ओर से 23 अक्टुबर को ही कमेटी गठित कर दी गई थी, लेकिन अभी तक एनएचएआई की ओर से तो प्रतिनिधि का नाम तक तय नहीं हो पाया है। जबकि सीएडी प्रशासन नहरों में जल प्रवाह का बहाना कर रहा है। समिति की कोई बैठक न होने से निर्माण कार्य अटका पड़ा है। 

किसानों ने आंदोलन की दी चेतावनी।

भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष गिरिराज चौधरी ने चेताते हुए कहा कि यदि किसानों की मांग के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण और सहमति अनुसार कार्य नहीं किया गया तो किसान सड़क पर उतरेंगे। किसानों के हितों के विरुद्ध कोई कार्य नहीं होने दिया जाएगा। भारतीय किसान संघ दिवाली के बाद बड़ा आंदोलन छेड़ देगा।