श्रीगंगानगर से राकेश मितवा की खबर

श्रीगंगानगर. विवादित दस्तावेजों को प्रमाणित करने पर पुलिस ने एक अधिवक्ता को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। यह अधिवक्ता नोटरी पब्लिक है। इसने कुछ साल पहले एक पक्ष की ओर से पेश किए गए फर्जी दस्तावेज को प्रमाणित किया था। दूसरे पक्ष के लोगों ने पहले पक्ष के लोगों और अधिवक्ता संजीय धींगड़ा के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इस प्रकरण की जांच चल रही है।

इस बीच सदर पुलिस ने बुधवार शाम को इस अधिवक्ता को आईपीसी की धारा 420 में गिरफ्तार कर लिया। जबकि अधिवक्ता का कहना था कि इस प्रकरण के मुख्य आरोपी को पुलिस ने हाइ्रकोटज़् से स्थनादेश लाने तक छूट दे दी। जबरन गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही अधिवक्ताओं ने सदर थाने का घेराव कर लिया। इन वकीलों ने इस अधिवक्ता को बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए अड़ गए। रात ग्यारह बजे पुलिस अधीक्षक राजन दुष्यंत ने वहां आकर वकीलों से वार्ता की। इस दौरान आश्वासन दिया गया कि अब किसी भी अधिवक्ता को सीधा गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, इसके लिए बकायदा बार संघ की ओर से गठित कमेटी को सूचना दी जाएगी।

 संबंधित आरोपी अधिवक्ता को वकीलों के दबाव में फोरी राहत देते हुये थाने की बजाय राजकीय जिला चिकित्सालय में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। इस मामले में पीड़ित महावीर प्रसाद के पुत्र प्रमोद शर्मा का कहना है कि  शहर में फर्जी दस्तावेज के जरिये भूखंडों को हथियाने का गिरोह सक्रिय है। इसी गिरोह द्वारा उनके भूखंड के फर्जी दस्तावेज तैयार करके तहसील से रजिस्ट्री करवा ली गई थी, जिसके तमाम तरह के दस्तावेज एडवोकेट नोटरी संजीव धींगडा ने तस्दीक किए थे, मगर इन पूरे दस्तावेजों के एक बार भी उनके पिता के संज्ञान में नही लाया गया । आरोपियों द्वारा उनके पिता के नाम भूखंड के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लिए गए, फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार की गई तथा एडवोकेट संजीव धींगड़ा को इन दस्तावेजों के फर्जी होने का पता होने के बावजूद भी उन्होंने आरोपियों के साथ मिलीभगत कर सभी दस्तावेजों को प्रमाणित किया। इसके चलते आरोपी तहसील से भूखंड की अपने नाम पर रजिस्ट्री करवाने में कामयाब हो गए । 

गौरतलब है कि 2 साल पहले इन पूरे दस्तावेजों की न्यायालय के आदेश पर एफ एस एल जांच की गई ,जिसमें सभी दस्तावेज झूठे पाए गए तथा सभी प्रकार के हस्ताक्षर और अन्य प्रमाणित दस्तावेज फर्जी पाए गए थे । प्रमोद शर्मा ने बताया कि इस मामले में अभी भी और कई आरोपी भू माफियाओं के सहयोगी शामिल है ,जिनकी गिरफ्तारी शीघ्र होनी चाहिए । जिसमें एक पार्षद का भी  है जिसने प्रमाणित दस्तावेज की फोटोप्रति को दोबारा प्रमाणित किया ,जबकि पीड़ित उसके वार्ड का ही नहीं था। अब इस भू माफियाओं के गिरोह के ही एक सदस्य एडवोकेट नोटरी संजीव धींगड़ा की गिरफ्तारी से उन्हें थोड़ी न्याय की आस बंधी है।