शहर में स्वर्ण जयंती एनक्लेव फेज-2 के नाम से दो टाउनशिप में जमीन खरीदने वाले 361 लोगों का मकान बनाकर रहने का सपना छह साल बाद भी साकार नहीं हो पाया है। स्वर्ण जयंती एनक्लेव-2 नाम से हरोलाई हनुमान और मोहता सराय में यूआईटी ने 2015 में टाउनशिप काटी थी। दोनों स्कीम में 360 लोगों को भूखंड आबंटित किए थे। भूखंड धारी आज भी वहां मकान नहीं बना पा रहे हैं। कारण, जहां टाउनशिप काटी गई वहां बजरी की पुरानी खदानें थीं।

यूआईटी ने 2012 में वह जगह अतिक्रमण से मुक्त कराई थी। उसके बाद जमीन समतल कर वहां टाउनशिप काट दी। कुछ लोगों ने मकान बनाने की कोशिश की, लेकिन जमीन धंसने लगी। पुरानी सुरंगें वापस निकल आईं। भूखंडधारी भयभीत हो गए। एक भूखंडधारक राजेश आचार्य ने 2018 में राजस्थान संपर्क पोर्टल पर इस संबंध में शिकायत करते हुए जमीन को सही करने, सड़क, रोड लाइट, पेयजल आदि मूलभूत सुविधाएं विकसित करने की मांग की थी, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई। आचार्य ने बताया कि यूआईटी का पार्क एक तरफ से जमीन में धंसने से क्षतिग्रस्त हो चुका है। दोनों टाउनशिप से यूआईटी ने आठ करोड़ रुपए से अधिक कमाए थे। भूखंड खरीदने वाले अब खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

यह सही है दोनों ही स्कीम सक्सेस नहीं हो सकी। वह खदान एरिया है। उसके लिए दुबारा योजना बनाई जाएगी। यूआईटी की नई स्कीम आने पर भूखंड धारकों को एक्सचेंज ऑफर दिए जाएंगे।
नरेंद्र सिंह राजपुरोहित, यूआईटी सचिव

एमडी व्यास नगर के वंचित आवंटियों को दिए थे भूखंड

मुरलीधर व्यास नगर योजना में करीब 300 लोग भूखंड से वंचित रह गए थे। उनमें से 170 लोगों को हरोलाई और मोहता सराय में भूखंड आवंटित किए गए थे। खदान एरिया होने के कारण ये लोग आज भी वहां मकान नहीं बना सके। बारिश होने पर जमीन दलदली हो जाती है।

टोटल रिकॉल: यूआईटी ने जमीन समतल की, सुरंगें नहीं भरी

हरोलाई हनुमान और मोहता सराय में यूआईटी ने 2015 में भूखंडों की नीलामी की थी। उस वक्त वहां बजरी की खदानें थीं। नीलामी भी आंबेडकर भवन में हुई। अधिकांश आबंटियों को जमीन के बारे में जानकारी ही नहीं थी। बाद में यूआईटी ने जेसीबी की मदद से जमीन को समतल तो किया, लेकिन सुरंगे नहीं भरी जा सकीं। अब बारिश होने पर जमीन धंसने लगती है।

फैक्ट फाइल

हरोलाई स्कीम

  • 100 बीघा क्षेत्रफल
  • 304 भूखंड
  • 239 आबंटित

मोहता सराय ...

  • 100 बीघा क्षेत्रफल
  • 600 भूखंड
  • 124 आबंटित