सिरोही,  सिरोही जिले के रेवदर उपखंड क्षेत्र के करोटी में संचालित एक मेडिकल स्टोर संचालक से एक व्यक्ति द्वारा BCMO डॉ जितेश सांखला के नाम से 3 लाख रुपये रिश्वत लेने का सनसनीखेज मामला सामने आया हैं। दरअसल कोरोना गाइडलाइन की पालना नही करने व मेडिकल की आड़ में डिस्पेंसरी चलाने की शिकायत के बाद रेवदर पुलिस करोटी स्थित एक मेडिकल की दुकान पर पहुंची। 


जहां मेडिकल संचालक द्वारा मरीजो का इलाज करते पाए जाने पर पुलिस ने रेवदर BCMO डॉ रितेश सांखला को सूचना देकर मौके पर बुलाया। जिस पर मौके पर पहुंचे BCMO ने उक्त मेडिकल को ताला लगाकर चाबी अपने कब्जे में लेकर मेडिकल संचालक को मेडिकल नही खोलने की सख्त हिदायत दी। करीब एक महीने तक उक्त मेडिकल की दुकान को बंद रखा गया।

 इस बीच जोलपुर गांव निवासी भूराराम माली ने आकर इस मेडिकल संचालक से सम्पर्क कर मेडिकल की दुकान पुनः खुलवाने और डिस्पेंसरी को भी पुनः खुलवाने की बात कही गई। भूराराम माली ने मेडिकल संचालक को बताया कि इसके बदले BCMO और थानाधिकारी को पैसे देने पड़ेंगे तभी काम हो पाएगा। मेडिकल संचालक जो खुद बेरोजगार हो चुका था, उसने अपने कामकाज को पुनः शुरू की आस में भूराराम से लेन देन की बात की। तब भूराराम ने 5 लाख रुपयों की मांग की।




 लेकिन जब फाइनल लेनदेन की बात हुई वो 3 लाख रुपये में तय हुई। मेडिकल संचालक के पास पैसे नही थे तो उसने अपने मामा से 3 लाख रुपये उधार लेकर भूराराम माली को 3 लाख रुपये दे दिए। जैसे ही भूराराम को 3 लाख रुपये दिए। उसके एक दो दिन बाद मेडिकल संचालक को उसके मेडिकल की चाबी BCMO द्वारा एक दूसरे व्यक्ति के साथ लौटा दी गई और दुकान शुरू करने की बात कह दी गई। 

मेडिकल संचालक ने चाबी लेकर मेडिकल दुकान पुनः शुरू कर दी। लेकिन डिस्पेंसरी चालू करने की परमिशन नही दी जा रही थी। जिस पर मेडिकल संचालक सुरेश माली ने भूराराम से मोबाइल पर सम्पर्क किया। तो भूराराम ने उसे एक दो दिन में डिस्पेंसरी शुरू करवाने की बात कही। लेकिन ये एक दो दिन हर रोज आगे बढ़ते रहे। करीब 15 दिन से भूराराम माली मेडिकल संचालक को सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ भी नही दे रहा था। 



आखिर थकहार कर मेडिकल संचालक सुरेश माली रेवदर BCMO डॉ रितेश सांखला के पास पहुंच गया और सारी बात BCMO को बता दी। भूराराम माली और सुरेश माली के बीच हुई बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी BCMO को सुनाई, जिसमें BCMO के नाम से पैसे के लेनदेन की बातें रिकॉर्ड थी। तब BCMO डॉ रितेश सांखला ने मेडिकल संचालक सुरेश माली के मोबाइल से ही भूराराम से बात करते हुए कहा कि "भूराराम जी आपने मेरे नाम से इस व्यक्ति के पास से पैसे क्यों लिए?"

 जिस पर भूराराम ने कहा कि "सर मैं कल आकर आपसे मिलता हूँ।"  लेकिन तभी BCMO बोले कि "नही अब इस मामले में मैं आपसे कभी नही मिल सकता, इस व्यक्ति ने मुझे सारी रिकॉर्डिंग सुनाई हैं।" उसके बाद BCMO ने मेडिकल संचालक को यह कह कर रवाना कर दिया कि "उनके नाम से किसी को पैसे दिए हैं तो वो आपका लुकआउट हैं, मैंने किसी के जरिए कोई पैसे नही मांगे।" अब ये मेडिकल संचालक हर रोज भूराराम से अपने पैसे वापस करने की गुहार लगा रहा हैं पर भीखाराम ना तो उसके पैसे वापस लौटा रहा हैं और ना ही उसका काम करवा रहा हैं। 


BCMO उनके नाम से पैसे मांगने वाले के विरुद्ध क्यों नही कर रहे कानूनी कार्रवाई?


जब रेवदर BCMO डॉ रितेश सांखला के संज्ञान में ये मामला आ गया और उसकी सारी रिकॉर्डिंग उन्होंने सुन ली।  फिर भी BCMOडॉ रितेश सांखला ने उस व्यक्ति के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज क्यों नही करवाया, जिसने उनके नाम से मेडिकल संचालक से पैसे लिए हैं? क्या इसके पीछे कोई खास वजह हो सकती हैं? एक जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति के नाम से कोई अन्य व्यक्ति रिश्वत के नाम पर पैसे ऐंठ ले और इसकी जानकारी और सबूत मिल जाने के बाद भी अगर वो अधिकारी उस ठग के खिलाफ मामला दर्ज नही करवाए ऐसा कभी हो नही सकता?

 हमने जब इस पूरे मामले को लेकर BCMO डॉ रितेश सांखला से बातचीत की तो पहले तो वो पयरे मामले से ही अनजान बन गए। यहां तक कि उन्होंने भूराराम को पहचानने से ही इनकार कर दिया। लेकिन जब हमने उनके और भूराराम  के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग का जिक्र किया तो उन्होंने कहा "अच्छा वो मेटर, देखिए ये इनका उनका आपसी मामला हैं। मेरा इसमें कोई रोल नही हैं। अगर इसकी जांच होगी तो मैं अपना पक्ष रखूंगा। दोनो ही माली हैं ये उनका आपसी मामला हैं।"

सिरोही से गणपत सिंह मांडोली की खास रिपोर्ट।