लाइपोसोमल एंफोटेरेसिन बी इंजेक्शन। यह नाम है उस दवा का जो ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अत्यावश्यक है। इसके बिना मरीज की जान भी जा सकती है। यहां एक और खास बात! ब्लैक फंगस के एक मरीज को सर्जरी के बाद 50 इंजेक्शन की जरूरत होती है। प्रदेश में कोरोना के ग्राफ में भले ही उतार-चढ़ाव चल रहा हो लेकिन जहां तक ब्लैक फंगस की बात है। इस भयानक बीमारी के मरीज रोजाना बढ़ रहे हैं।


आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में इस समय अट्ठारह सौ से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज सामने आ चुके हैं। लेकिन इनके मुकाबले इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है। हालांकि राज्य सरकार ने अपनी ओर से तमाम प्रयास किए हैं कि  इंजेक्शन समय पर उपलब्ध हो जाए जिससे कि मरीजों की जान बचाई जा सके। लेकिन देशभर में ब्लैक फंगस के मरीजों की बढ़ती तादाद को देखकर ये इंजेक्शन फिलहाल जरूरत के मुताबिक मिल पाना असंभव ही नजर आ रहा है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने। इस इंजेक्शन की आयात की अनुमति का अधिकार भी अपने पास रिजर्व रखा है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई की अनुमति के बिना इस इंजेक्शन का आयात भी संभव नहीं। इसकी खरीद और वितरण का अधिकार डीसीजीआई के पास ही है। 



इस तरह से देखा जाए तो इस इंजेक्शन की आपूर्ति के लिए राज्य सरकार फिलहाल पूरी तरह से केंद्र पर निर्भर है। यदि जल्द ही इसकी आपूर्ति नहीं हुई तो प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीजों की मौत का आंकड़ा भी धीरे-धीरे बढ़ने लगेगा।

ब्यूरो रिपोर्ट!